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RSS प्रमुख मोहन भागवत को मुसलमानों के पूर्वज हिंदू होने की बात नहीं स्वीकारने पर अफसोस

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नागपुर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को लगता है कि देश के तमाम मुसलमानों के पूर्वज हिंदू हैं और यह बात तमाम मुसलमनों को स्वीकार लेनी चाहिए. ऐसा नहीं होने का उन्हंे बेहद अफसोस है. यही नहीं उन्हें हिंदू संस्कृति के विस्तार लेने की तो खुशी है, पर इस्लाम के कई देशों से सिमटने को सही ठहराते हैं.

उन्हांेने नागपुर में एक कार्यक्रम में कहा कि सरहदों पर बुरी नजर रखने वाले दुश्मनों को ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में ही लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में इस्लाम और इस्लाम की इबादत सुरक्षित है.

न्यूज 18 में छपी एक खबर के अनुसार,मोहन भागवत ने कार्यक्रम में कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए. आरएसएस प्रमुख ने कहा, इस्लाम स्पेन से लेकर मंगोलिया तक पूरी दुनिया में फैल चुका था. धीरे-धीरे वहां के लोग जागे, उन्होंने आक्रमणकारियों को परास्त किया, तब इस्लाम अपने प्रभाव क्षेत्र में सिमट कर रह गया. अब विदेशी तो यहां से चले गए, लेकिन इस्लाम की इबादत कहां सुरक्षित है? यहीं से सेफ चलता है. कितने दिन बीत गए, कितनी शताब्दियां बीत गईं, यह जीवन चल रहा है.

वहीं, नई संसद पर बयान देते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संसद में ली गई तस्वीरों के वीडियो वायरल हो रहे हैं. देखकर उन्हें गर्व होता है. लेकिन देश में परेशान करने वाली चीजें भी देखने को मिल रही हैं. देश में भाषा, संप्रदाय और सुविधाओं को लेकर तरह-तरह के विवाद हो रहे हैं.

साथ ही उन्होंने कहा कि हम अलग दिखते हैं इसलिए अलग हैं. यह सोच देश को नहीं तोड़ती. यह समझना सबके लिए जरूरी है. यह हमारी मातृभूमि है. हमारी पूजा अलग है. हमें यह सोचना चाहिए कि एक समाज के रूप में हम इस देश के हैं. हमारे पूर्वज इस देश के पूर्वज हैं. हम इस सच्चाई को क्यों स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं? उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरे हिंदू रीति रिवाज से नई संसद का उद्घाटन किया था. इस मौके पर राष्ट्रपति मौजूद नहीं थीं, जिसकी जमकर आलोचना हो रही है. यहां तक कहा जा रहा है कि चूंकि हिंदू रीति रिवाज से संसद का उद्घाटन होना था, इसलिए राष्ट्रपति मुर्मू को इससे दूर रखा गया.