संभल जामा मस्जिद विवाद: सवालों में प्रशासन, कांग्रेस बोली-घटना बीजेपी और आरएसएस की साजिश
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद पर हुए सर्वे के दौरान रविवार को हिंसा भड़क गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और कई वाहन आग के हवाले कर दिए गए. पुलिस ने हालात काबू में करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया. इस घटना ने न केवल प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर भी गंभीर चर्चा छेड़ दी है.
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संभल जामा मस्जिद विवाद: तीन मुस्लिम युवाओं की मौत, कई सवाल खड़े हुए
घटना का पूरा क्रम
रविवार सुबह कोर्ट के आदेश पर मस्जिद के सर्वे का दूसरा दिन था। पहले दिन सर्वे शांतिपूर्ण रहा, लेकिन दूसरे दिन माहौल अचानक हिंसक हो गया. मस्जिद के पास नारेबाजी शुरू हुई, जिसने हिंसा का रूप ले लिया. पुलिस और भीड़ के बीच झड़प हुई, जिसमें तीन मुस्लिम युवाओं की मौत हो गई। हिंसक भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों समेत कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया.
मुरादाबाद के कमिश्नर अंजनेय सिंह ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है. घटना के संबंध में 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है.
सैयद सरवर चिश्ती का बयान
अजमेर दरगाह के खादिम सैयद सरवर चिश्ती ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि मुसलमान कब तक ऐसी घटनाओं को सहते रहेंगे. उन्होंने कोर्ट द्वारा जल्दबाजी में सर्वे के आदेश देने और मुस्लिम पक्ष को सुने बिना फैसले देने पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद फैसले के बाद यह उम्मीद थी कि देश में मंदिर-मस्जिद विवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा.
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी की अपील
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने हिंसा की निंदा करते हुए मुस्लिम समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक स्थल है और इसके संरक्षण के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि मस्जिद के गुंबद, दीवारें और मीनारें इसकी ऐतिहासिकता का प्रमाण हैं.
कांग्रेस का हमला
कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने इस घटना के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि “बंटेंगे तो कटेंगे” जैसे बयान राज्य में नफरत की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं. खेड़ा ने आरोप लगाया कि यह घटना बीजेपी और आरएसएस की साजिश का हिस्सा है, जो राज्य में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लिए जानबूझकर की गई है.
उन्होंने पुलिस पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सर्वे के दौरान मौजूद उपद्रवियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि यह घटना उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार द्वारा राजनीतिक फायदे के लिए सांप्रदायिक सौहार्द्र को खत्म करने की कोशिश है.
प्रशासन का पक्ष
संभल के डीएम राजेंद्र पेन्सिया और एसपी कृष्ण कुमार ने मीडिया से कहा कि सर्वेक्षण शांतिपूर्ण तरीके से पूरा कर लिया गया है. उन्होंने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया. एसपी ने बताया कि हिंसा के दौरान कुछ पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचा और कुछ संपत्तियों में तोड़फोड़ की गई.
हिंदू पक्ष का बयान
वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट के आदेश के अनुसार सर्वे किया गया और इसकी वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी पूरी कर ली गई. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट 29 नवंबर तक कोर्ट में पेश की जाएगी.
संभल की यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाती है बल्कि यह भी दिखाती है कि सांप्रदायिक मुद्दों को लेकर देश में तनाव बना हुआ है. सभी पक्षों ने संयम और शांति की अपील की है, लेकिन सवाल यह है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे.