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संभल जामा मस्जिद: सर्वेक्षण विवाद ने भड़काई हिंसा, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,लखनऊ/नई दिल्ली

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. 24 नवंबर को हुए सर्वेक्षण के दौरान हिंसा में चार लोगों की मौत और व्यापक संपत्ति नुकसान के बाद यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है.

क्या है संभल का ऐतिहासिक महत्व और जामा मस्जिद का इतिहास ?

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जामा मस्जिद समिति ने मस्जिद के सर्वेक्षण के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. समिति का दावा है कि यह आदेश असंवैधानिक है और सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने के उद्देश्य से लाया गया है.

क्या है विवाद?

मामला संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद का है, जिसे 16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर हिंदू बेग ने बनवाया था. स्थानीय अदालत में याचिका दायर कर दावा किया गया है कि मस्जिद एक ध्वस्त हिंदू मंदिर की भूमि पर बनाई गई थी..

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर याचिका के आधार पर सिविल कोर्ट ने मस्जिद का वीडियोग्राफिक और फोटोग्राफिक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था. अदालत ने सर्वेक्षण रिपोर्ट 29 नवंबर तक प्रस्तुत करने को कहा था.

हिंसा में जान गंवाने वाले और पुलिस कार्रवाई

24 नवंबर को सर्वेक्षण के दौरान इलाके में तनाव फैल गया. हिंदुत्व संगठनों द्वारा किए गए प्रदर्शन और सर्वेक्षण का विरोध कर रही भीड़ के बीच झड़प हो गई.प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और सरकारी वाहनों में आग लगाने का प्रयास किया.

जवाब में पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसमें गोलियां चलने की भी खबर है. हिंसा में चार लोगों की मौत हुई, जिनमें 25 वर्षीय मोहम्मद बिलाल अंसारी, 28 वर्षीय नईम, नोमान और एक अन्य घायल व्यक्ति शामिल हैं.

पुलिस ने 25 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है और समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेताओं सहित 2,750 अज्ञात लोगों के खिलाफ सात प्राथमिकी दर्ज की हैं..

सर्वेक्षण और मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व

संभल जामा मस्जिद, बाबर द्वारा बनवाई गई तीन प्रमुख मस्जिदों में से एक है. यह 1528 में मीर हिंदू बेग द्वारा संभल के मध्य स्थित एक पहाड़ी की चोटी पर निर्मित की गई थी.इतिहासकार हॉवर्ड क्रेन के अनुसार, मस्जिद की वास्तुकला बदायूं की मस्जिद से मेल खाती है. इसे जहाँगीर और शाहजहाँ के शासनकाल में दो बार पुनर्निर्मित किया गया.

हालांकि, यह विवाद अब केवल एक पुरातात्विक मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि सांप्रदायिक तनाव का केंद्र बन गया है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका

इस बीच, इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर घटना की सीबीआई जांच और एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की गई है. याचिका में मांग की गई है कि हिंसा के दौरान अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए.

योगी सरकार का न्यायिक जांच का आदेश

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.इस समिति में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और पूर्व आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन शामिल हैं. समिति को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर नजर

आज, सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. जामा मस्जिद समिति ने याचिका में तर्क दिया है कि सर्वेक्षण का आदेश संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है.सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केवल संभल जामा मस्जिद के लिए नहीं, बल्कि देशभर में धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों पर प्रभाव डाल सकता है..

समाप्ति पर स्थिति गंभीर

संभल में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है. प्रभावित इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात है, और नागरिक प्रशासन शांति बनाए रखने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ लगातार संपर्क में है.इस मामले का कानूनी और सामाजिक परिणाम केवल समय ही बताएगा, लेकिन यह घटना धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों के बढ़ते मुद्दे पर एक और चेतावनी जरूर है.