संभल दंगा: जामा मस्जिद कमेटी के जफर अली की गिरफ्तारी से बढ़ा विवाद, मुस्लिम समुदाय में आक्रोश
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के संभल में हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद जामा मस्जिद कमेटी के प्रमुख जफर अली की गिरफ्तारी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। जफर अली ने आरोप लगाया है कि उनकी गिरफ्तारी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाने के कारण हुई है। दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर यह बहस छिड़ गई है कि जो भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाएगा, उसे जेल में डाला जाएगा।
संभल दंगे की जांच के बड़े सवाल
यह जांच का विषय है कि संभल में दंगा किसके इशारे पर भड़काया गया? पांच मुसलमानों की गोली मारकर हत्या किसने की? क्या पुलिस और प्रशासन निर्दोष मुसलमानों को फंसाकर जेल भेज रही है? मुस्लिम समुदाय का आरोप है कि हत्या का इल्जाम उन्हीं पर मढ़ा जा रहा है और उन्हें ही सलाखों के पीछे भेजा जा रहा है। इन सभी सवालों के जवाब अदालत की जांच के बाद ही सामने आएंगे।
कट्टरपंथी संगठनों की खुशी, मुस्लिम समुदाय में रोष
इस गिरफ्तारी पर हिंदूवादी संगठनों में उत्साह देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर कट्टरपंथियों ने जफर अली की गिरफ्तारी को सही ठहराया है, वहीं मुस्लिम समुदाय पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है।

हिंदूवादी नेता श्री सिन्हा ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लिखा:
“जामा मस्जिद के जफर अली को संभल दंगे में गिरफ्तार किया गया है। उन पर मुसलमानों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है। योगी जी उन्हें यह सब शुरू करने पर पछतावा करवा रहे हैं।”
यूपी पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के लिए अभी और कितने लोगों को जेल में डालेगी?
— Salman Khan ( HYC ) (@Salmanhyc78) March 23, 2025
और जो सम्भल दंगे का मास्टर माइंड है वकील विष्णु शंकर जैन के खिलाफ कार्यवाही कब करेगी? pic.twitter.com/qihuAQnjio
इसके जवाब में मुस्लिम समुदाय के लोग ट्वीट कर रहे हैं:
“संभल की शाही जामा मस्जिद के सदर एडवोकेट जफर अली को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि वे 24 नवंबर को हुई हिंसा में सक्रिय भूमिका में थे। इस हिंसा में पांच मुसलमानों की जानें गईं, लेकिन जेल भी सिर्फ मुसलमानों को ही भेजा जा रहा है।”
“यूपी पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के लिए अभी और कितने निर्दोष लोगों को जेल में डालेगी? और जो संभल दंगे का मास्टरमाइंड वकील विष्णु शंकर जैन है, उसके खिलाफ कार्यवाही कब होगी?”
संभल की शाही जामा मस्जिद के सदर एडवोकेट जफर अली को SIT ने गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि वे पिछले साल 24 नवंबर को हुई हिंसा में सक्रिय भूमिका में थे। इस हिंसा में पांच मुसलमानों की जानें गयी थीं, और जेल भी मुसलमानों को ही भेजा जा रहा है। धार्मिक स्वतंत्रता?
— Wasim Akram Tyagi (@WasimAkramTyagi) March 23, 2025
pic.twitter.com/WtiUmQpMoc
जफर अली का बयान: मुझे झूठा फंसाया जा रहा है
गिरफ्तारी के बाद जब जफर अली को दो दिन की न्यायिक हिरासत में मुरादाबाद जेल ले जाया जा रहा था, तब उन्होंने कहा:
“मुझे झूठा फंसाया गया है क्योंकि मैंने पुलिस की पोल खोल दी। मैंने पुलिस की सच्चाई सामने रखी। पुलिस और प्रशासन ने ही निर्दोष लोगों पर गोली चलाई है। जितने भी लोग मारे गए, असल में **इन्हीं लोगों ने यह सब किया है।”
अदालत में जमानत याचिका खारिज, सेशन कोर्ट में अगली सुनवाई
जिला न्यायालय में जफर अली की जमानत की मांग की गई थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।
जफर अली के वकील, अधिवक्ता विनोद कुमार सिंह ने बताया:
“हमने जफर अली के लिए जमानत की अर्जी दी थी, लेकिन मजिस्ट्रेट को जमानत देने का कोई अधिकार नहीं था। हमने बहस की और अर्जी खारिज कर दी गई। अब सेशन कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की जाएगी। घटना 24 नवंबर की है, जबकि जफर अली ने 25 तारीख को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। वे घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं थे। यह कार्रवाई पूरी तरह से गलत है।”
क्या पुलिस पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है?
संभल दंगे को लेकर कई अहम सवाल उठ रहे हैं। मुस्लिम समुदाय का आरोप है कि हिंसा में निर्दोष मुसलमान मारे गए, लेकिन जेल भी उन्हीं को भेजा जा रहा है।
दूसरी ओर, दंगे के मुख्य आरोपी के रूप में चर्चित वकील विष्णु शंकर जैन और उनके समर्थकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। क्या पुलिस और प्रशासन निष्पक्ष जांच कर रहा है या फिर एकतरफा कार्रवाई हो रही है?
"मुझे झूठा फसाया गया है क्योंकि मैने पुलिस की पोल खोल दी। मैने पुलिस की सच्चाई बता दी। पुलिस और प्रशासन ने ही बच्चों को मारा है। जितने भी लोग मारे गए, असल में इन्होंने ही यह सब किया है।"#SambhalViolence में साजिश रचने के आरोप में जामा मस्जिद कमेटी के प्रमुख जफर अली को 2 दिन की… https://t.co/HGxhDuiIzt pic.twitter.com/XSqI22Lcjh
— The Muslim Spaces (@TheMuslimSpaces) March 23, 2025
काबिल ए गौर
संभल दंगे और जफर अली की गिरफ्तारी ने सियासी और सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ा दिया है। जहां एक ओर कट्टरपंथी संगठन इस गिरफ्तारी को सही ठहरा रहे हैं, वहीं मुस्लिम समुदाय पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा रहा है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सेशन कोर्ट जफर अली को जमानत देती है, और क्या पुलिस दंगे के असली मास्टरमाइंड तक पहुंचती है या नहीं।