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संभल हिंसा: प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप, चार की मौत से गहराया विवाद

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, संभल, नई दिल्ली

उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के बाद माहौल तनावपूर्ण है. शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़कने से चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. इस मामले में पुलिस प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप लग रहे हैं. मुस्लिम समुदाय और राजनीतिक दलों ने घटना के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि पुलिस का कहना है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए.

क्या है मामला?

24 नवंबर को संभल की शाही जामा मस्जिद में सर्वेक्षण किया गया. पुलिस के अनुसार, सर्वे के दौरान अराजक तत्वों ने टीम पर पथराव किया, जिससे हिंसा भड़क उठी। हालात को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग की. इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई.

मुस्लिम पक्ष का आरोप

पुलिस प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई को लेकर देश के मुसलमानों के एक वर्ग में भारी गुस्सा देखा जा रहा है. उनकी ओर से सोशल मीडिया पर प्रशासन की कार्रवाई पर उंगली उठाई जा रही है. यहां तक कहा जा रहा है कि पुलिस प्रशासन ने अब तक उस शख्स के खिलाई कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जो नारा लगाती भीड़ के साथ संभल की जामा मस्जिद दूसरी बार सर्वे के लिए पहुंचा था. पुलिस मूक दर्शक बनी रही और भीड़ को रोकने का प्रयास नहीं किया. इसी तरह वीडियो फुटेज में पिस्तौल को उंचा उठाकर भीड़ पर फाइरिंग करने वाले पुलिस कर्मी के विरूद्ध भी प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है. मुसलमानों के इस वर्ग ने पुलिस प्रशासन पर एक तरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है. जमियल उलेमा हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस आशय की शिकायत जिला प्रशासन से भी की है.

मस्जिद की ओर से पैरवी कर रहे वकील जफर अली ने पुलिस पर सुनियोजित हिंसा का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि मस्जिद के वुजू स्थल को जबरन खाली कराया गया, जिससे लोग आक्रोशित हो गए। जफर ने यह भी कहा कि मुस्लिम पक्ष की ओर से कोई फायरिंग नहीं हुई, बल्कि गोलियां पुलिस ने चलाईं.

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने प्रशासन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वह घटना के दिन उत्तर प्रदेश में मौजूद नहीं थे और प्रशासन ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए उन पर झूठे आरोप लगाए.

सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया. उन्होंने कहा कि यह घटना चुनावी माहौल को प्रभावित करने और जनता को उकसाने के लिए रची गई थी.

एफआईआर और विवाद

पुलिस ने हिंसा के मामले में 800 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और 25 एफआईआर दर्ज की हैं. इसके अलावा, समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल पर भी मामला दर्ज किया गया.

सोहेल ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह प्रशासन के निर्देशों का पालन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मस्जिद में शांति बनाए रखने के लिए वह अपने पिता का संदेश देने गए थे. उन्होंने घटना के समय खुद को घर में होने का दावा किया और पुलिस से सबूत पेश करने की मांग की.

समाज में उबाल

घटना के बाद सोशल मीडिया पर प्रशासन की कार्रवाई को लेकर मुस्लिम समुदाय में रोष देखा गया. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस मामले की शिकायत जिला प्रशासन से की है.

सरकार और प्रशासन की स्थिति

प्रशासन ने हिंसा की जिम्मेदारी से इनकार करते हुए दावा किया है कि मस्जिद के पास मौजूद भीड़ ने स्थिति को बिगाड़ा. वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस घटना को लेकर तीखी टिप्पणी की, जिससे राजनीतिक माहौल और गरमा गया.

आगे की राह

संभल हिंसा ने एक बार फिर प्रशासन और समुदायों के बीच विश्वास की कमी को उजागर किया है. मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है. इसके साथ ही, राजनीतिक दलों ने सरकार से इस मुद्दे पर जवाबदेही तय करने की अपील की है.

संभल की घटना ने एक बड़े प्रशासनिक और सामाजिक संकट को जन्म दिया है. सभी पक्षों को शांतिपूर्ण और कानूनी रास्ते अपनाने की अपील की जा रही है ताकि हालात सामान्य हो सकें.

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