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सऊदी विश्लेषकों की चेतावनी: कुरान के अपमान मामले में स्वीडन का मुस्लिम देशों से रिश्ता खतरे में

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

सऊदी अरब के राजनीतिक विश्लेषक सलमान अल-अंसारी का मानना है कि अगर स्वीडिश सरकार नफरत फैलाने वाले भाषण के संबंध में अपने कानूनों में बदलाव नहीं करती है तो ओआईसी कार्रवाई करेगा.सलमान अल-अंसारी ने ‘फ्रैंकली स्पीकिंग’ नामक एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि अगर स्वीडिश सरकार उन कानूनों को नहीं बदलती है जो चरमपंथियों को नफरत फैलाने की इजाजत देते हैं, तो मुझे ओआईसी के सर्वसम्मत फैसले से आश्चर्य नहीं होगा.

सलमान अल-अंसारी का विश्लेषण ऐसे समय में आया है, जब ओआईसी ने रविवार को स्वीडिश चरमपंथी समूह डेंस्क पैट्रियट द्वारा कोपेनहेगन में इराकी दूतावास के सामने कुरान जलाने की कड़े शब्दों में निंदा की है.उन्होंने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि स्वीडिश सरकार इसका उचित मूल्यांकन करे. यह उनके लिए बेहतर होगा, क्योंकि आप मुट्ठी भर नफरत फैलाने वाले चरमपंथियों के लिए 57 देशों के साथ रिश्ते खराब नहीं करना चाहते.

इससे पहले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने डेनमार्क में कुरान के अपमान की कड़ी निंदा करते हुए संगठन में स्वीडन के विशेष दूत का दर्जा निलंबित करने का फैसला किया था.ओआईसी महासचिव ने एक बयान में कहा कि यह निर्णय जुलाई की शुरुआत में ओआईसी कार्य समिति की आपातकालीन बैठक की सिफारिश के अनुरूप है.

महासचिव से अनुरोध किया गया कि वे किसी भी देश के जनरल सचिवालय के साथ संबंधों की समीक्षा करने के लिए संभावित कदम उठाएं, जो कुरान, इस्लामी मूल्यों और इस्लाम का अपमान कर रहे हैं.ओआईसी महासचिव हुसैन इब्राहिम ताहा ने स्वीडिश विदेश मंत्री को पत्र लिखकर इस फैसले की जानकारी दी है.

इसके अलावा इस्लामिक सहयोग संगठन ने डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में इराकी दूतावास के बाहर एक चरमपंथी समूह द्वारा कुरान जलाने की कड़ी निंदा की है.ओआईसी महासचिव हुसैन इब्राहिम ताहा ने एक बयान में इस्लामी पवित्रताओं के उल्लंघन की लगातार घटनाओं पर आक्रोश व्यक्त किया.

उन्होंने कहा, इस तरह की हरकतें धार्मिक घृणा, असहिष्णुता और भेदभाव को बढ़ावा देती हैं.इस तरह के उत्तेजक कृत्य नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध के अनुच्छेद 19 और 20 की भावना के खिलाफ हैं. उन्हें अभिव्यक्ति या विचार की स्वतंत्रता के बहाने उचित नहीं ठहराया जा सकता.

ओआईसी महासचिव ने कहा, अभिव्यक्ति और राय की स्वतंत्रता का अधिकार अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दायित्वों के साथ आता है जो धार्मिक घृणा, असहिष्णुता और भेदभाव को भड़काने पर स्पष्ट रूप से रोक लगाता है.उन्होंने कहा कि सभी देशों को धार्मिक घृणा की रोकथाम के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के तहत मानवाधिकार परिषद के हालिया फैसले का पालन करना चाहिए. धार्मिक भेदभाव या शत्रुता या हिंसा भड़काने वाला कोई भी कार्य धार्मिक घृणा के दायरे में आता है.

हुसैन इब्राहिम ताहा ने डेनिश सरकार से इस तरह की उत्तेजक कार्रवाइयों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया.

उन्होंने पवित्र कुरान के बार-बार अपमान के खिलाफ ओआईसी सदस्य देशों की कार्रवाई का भी स्वागत किया है. उन्हांेने कहा कि सदस्य देशों को उचित निर्णय लेना चाहिए और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बहाने स्वीडिश अधिकारियों द्वारा पवित्र कुरान के अपमान और इस्लाम के पवित्र शख्सियतों के अपमान के लिए परमिट जारी करने की जघन्य गतिविधियों का जवाब देना चाहिए.

महासचिव ने कहा कि ईशनिंदा को अपराध घोषित करने के लिए कानून जरूरी है. यह ध्यान में रखना चाहिए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक जिम्मेदारीपूर्ण कार्य है.

उन्होंने आगे कहा कि पवित्र कुरान का अपमान, इस्लाम के पैगंबर की महिमा का अपमान और इस्लामी हस्तियों का अपमान महज इस्लामोफोबिया के दायरे में नहीं आता है. यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून को तुरंत लागू करे जो धार्मिक घृणा भड़काने के किसी भी कार्य पर रोक लगाता है.

मुस्लिम स्कॉलर्स एसोसिएशन और मुस्लिम वल्र्ड लीग के महासचिव और मजलिस उलमा अल-इस्लामी के प्रमुख डॉ. मुहम्मद अल-इस्सा ने भी पवित्र कुरान के अपमान की निंदा की. कहा कि यह सभी मानवीय और धार्मिक शिक्षाओं और परंपराओं के खिलाफ है.

यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के मूल्यों के भी खिलाफ है. जिसमें ऐसी गतिविधियों के गंभीर खतरों से आगाह किया गया है. स्पष्ट शब्दों में कहें तो इसे और इस्लामोफोबिया के हर कृत्य को खारिज कर दिया गया है.उन्होंने कहा कि धार्मिक भावनाएं और नफरत की आग भड़काने वाली गतिविधियों से बचना चाहिए. इससे केवल उग्रवाद के एजेंडे को फायदा होता है.

डॉ. मुहम्मद अल-इस्सा ने कहा कि ऐसे समय में जब पूरी दुनिया राष्ट्रों और देशों के बीच दोस्ती को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, ऐसे में इस तरह की आपराधिक गतिविधियां दुनिया को पीछे की ओर धकेल रही हैं. उनका लक्ष्य नफरत का प्रचार करने वालों की खुशी हासिल करना है.

अरब संसद के प्रमुख अदेल अल असौमी ने कहा कि इस तरह की हरकतें गैरजिम्मेदाराना हैं. वे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं. यह घृणित कृत्य है. इस्लाम और पवित्र कुरान के खिलाफ ऐसी घृणित गतिविधियों का कोई औचित्य नहीं हो सकता.उन्होंने दुनिया को बुरा बना दिया है.

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