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सऊदी अरब का ट्रम्प के प्रस्ताव पर कड़ा विरोध: गाजा के फिलिस्तीनी लोगों को उनके घर से विस्थापित करना अस्वीकार्य

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, वाशिंगटन और रियाद

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के पुनर्वास के लिए एक विवादित प्रस्ताव दिया है, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि फिलिस्तीनी गाजा से विस्थापित होकर अन्य देशों में बसाए जाएं और इसके बाद अमेरिका गाजा पट्टी का स्वामित्व ले. ट्रम्प का यह प्रस्ताव अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में तीव्र प्रतिक्रिया का कारण बन गया है, और विशेष रूप से सऊदी अरब ने इस पर कड़ा विरोध व्यक्त किया है.

ट्रम्प का प्रस्ताव बुधवार को व्हाइट हाउस में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक बैठक के दौरान सामने आया. ट्रम्प ने कहा कि गाजा के वर्तमान हालात को देखते हुए फिलिस्तीनी लोगों को वहां से स्थायी रूप से विस्थापित कर अन्य देशों में बसाया जाना चाहिए. उनका मानना था कि गाजा को एक सुंदर क्षेत्र में बदला जा सकता है, जिसे उन्होंने “मध्य पूर्व का रिवेरा” कहा, और इसके लिए अमेरिका की मदद से इस क्षेत्र का पुनर्निर्माण किया जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए अमेरिकी सैनिकों की तैनाती से वे इंकार नहीं करेंगे और गाजा के पुनर्निर्माण में अमेरिका का दीर्घकालिक स्वामित्व होगा.

यह प्रस्ताव फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को नकारते हुए उन्हें अपनी मातृभूमि से विस्थापित करने का सुझाव देता है, जो पूरे मध्य पूर्व में एक गंभीर विवाद का कारण बन सकता है. जबकि ट्रम्प का कहना था कि फिलिस्तीनी लोग गाजा में अपने घरों में नहीं रह सकते, उन्होंने यह भी कहा कि मिस्र और जॉर्डन जैसे देशों को इन्हें पुनर्वासित करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए.
हालांकि, मिस्र और जॉर्डन दोनों देशों ने इस विचार को सिरे से खारिज कर दिया।

सऊदी अरब ने इस प्रस्ताव पर तत्काल प्रतिक्रिया दी और ट्रम्प के विचारों को अस्वीकार किया. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के लिए स्वतंत्र राज्य की स्थापना का उनका समर्थन बरकरार है और गाजा के फिलिस्तीनी लोगों को विस्थापित करने का विचार पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

सऊदी अरब के अनुसार, फिलिस्तीनी लोगों को उनकी भूमि से विस्थापित करने के प्रयासों को नकारना और उनके अधिकारों की अनदेखी करना अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है.

सऊदी अरब ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका रुख फिलिस्तीनी राज्य के लिए उनका दृढ़ समर्थन है, जो 1967 की सीमाओं पर आधारित होगा. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पहले भी कहा था कि सऊदी अरब फिलिस्तीनियों के अधिकारों के समर्थन में कोई भी कदम उठाएगा और फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के बिना इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित नहीं करेगा.

सऊदी अरब के रुख की पृष्ठभूमि

सऊदी अरब का यह रुख बहुत समय से स्पष्ट है, और यह फिलिस्तीनी मुद्दे पर उनके स्थिर और अनवरत समर्थन का प्रतीक है. सऊदी अरब ने हमेशा यह माना है कि फिलिस्तीनी लोगों को एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य का अधिकार है, जो इजरायल के साथ स्थायी और न्यायपूर्ण शांति के लिए एकमात्र समाधान हो सकता है. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि फिलिस्तीनी लोगों को उनके वैध अधिकारों से वंचित करना और उन्हें अपनी भूमि से विस्थापित करने का प्रयास अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा नहीं स्वीकार किया जा सकता.

ट्रम्प के प्रस्ताव का अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव

ट्रम्प के गाजा पर दिए गए प्रस्ताव ने न केवल मध्य पूर्व के देशों, बल्कि पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को हिला दिया है. फिलिस्तीनी नेताओं ने इसे उनकी राष्ट्रीय संप्रभुता पर हमला माना है, जबकि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भी इस तरह के प्रस्तावों को खारिज किया है.

सऊदी अरब, जो हमेशा से फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के पक्षधर रहा है, ने ट्रम्प के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि फिलिस्तीनियों के लिए एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना ही स्थायी शांति का रास्ता है.

इसके अलावा, सऊदी अरब ने कहा कि फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के बिना इजरायल के साथ किसी भी प्रकार के कूटनीतिक संबंधों की ओर बढ़ने का विचार असंभव है. सऊदी अरब का यह रुख न केवल फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के लिए उनका समर्थन दर्शाता है, बल्कि इस क्षेत्र की स्थिरता और शांति के लिए उनके लंबे समय से जारी प्रयासों को भी स्पष्ट करता है.

सऊदी अरब ने ट्रम्प के गाजा को लेकर दिए गए विवादित प्रस्ताव को पूरी तरह से नकारते हुए फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के पक्ष में खड़ा हो गया है. उनका कहना है कि फिलिस्तीनी लोग अपनी भूमि पर रहेंगे और किसी भी प्रकार के विस्थापन के प्रयास को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्वीकार नहीं करना चाहिए.

इस मामले में सऊदी अरब की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि फिलिस्तीनियों के लिए न्याय की उनकी प्रतिबद्धता पहले की तरह मजबूत है और वह गाजा के फिलिस्तीनी लोगों को उनकी भूमि से विस्थापित करने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार करते हैं.

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