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MANUU में गंगा-जमुनी तहजीब पर सेमिनार

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, हैदराबाद

मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) के शिक्षा और प्रशिक्षण विभाग द्वारा गंगा-जमुनी तहजीब (बहुलवादी संस्कृति) पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया.सम्मानित अतिथि प्रो. रजिस्ट्रार इश्तियाक अहमद ने उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में सर सैयद अहमद खान के प्रसिद्ध शब्दों को उद्धृत करते हुए गंगा-जमुनी तहजीब को बढ़ावा देने में उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका पर प्रकाश डाला. कहा कि हिंदुस्तान एक खूबसूरत दुल्हन की तरह है. हिंदू और मुस्लिम इसकी दो आंखें है.

प्रो सिद्दीकी मोहम्मद महमूद, डीन एसई एंड टी और सेमिनार निदेशक ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने अपने संबोधन में गंगा-जमुनी तहजीब के अतीत, वर्तमान और भविष्य पर प्रकाश डालते हुए भारतीय संस्कृति की विशिष्टता और सुंदरता पर जोर दिया.प्रो ईएंडटी के प्रमुख मोहम्मद मोशाहिद ने स्वागत भाषण दिया.

प्रो शुगुफ्ता शाहीन, ओएसडी-ने तकनीकी सत्र में गंगा-जमुनी तहजीब को बढ़ावा देने में शिक्षा की भूमिका पर चर्चा की. प्रो एम.वी. राम कुमार रत्नम, प्रो.जे.वी. मधुसूदन, डाॅ. पैकियम सैमुअल, प्रो. सैयद अलीम अशरफ, प्रो. एम. वनजा, प्रो. गुलफिशां हबीब, डॉ. सैयद महमूद काजमी तकनीकी सत्र के अन्य वक्ता थे.

प्रो सिद्दीकी मोहम्मद महमूद, प्रो. प्रो मो. रजाउल्लाह खान और प्रो. विकार उन्निसा ने समापन सत्र में अपनी टिप्पणियां साझा कीं और पेपर प्रस्तुतकर्ताओं को प्रमाण पत्र वितरित किए.तीसरे तकनीकी सत्र में तीन समानांतर सत्रों के साथ गंगा-जमुनी तहजीब से संबंधित विभिन्न विषयों पर व्यावहारिक प्रस्तुतियां दी गईं. प्रस्तुतियां देने वालों में शाहीन ए शेख, डॉ. फिरोज आलम, डॉ. मो. अतहर हुसैन रहे.

कुल मिलाकर, गंगा-जमुनी तहजीब से संबंधित विभिन्न उप-विषयों पर 61 पेपर प्रस्तुत किए गए.डॉ. अश्वनी सेमिनार के समन्वयक थे, जबकि डाॅ. वी.एस. सुमी, सह समन्वयक. डॉ अख्तर परवीन, डॉ. अब्दुल जब्बार, डाॅ. समद थाजे वडक्कायिल, डॉ. जर्रार अहमद, डॉ. उम्मे सलमा, और डॉ. बी. भाग्यम्मा आयोजन समिति के सदस्य बनाए गए थे.