शहाबुद्दीन की मौत और मय्यत का बिहार की सियासत में दिख सकता है असर
सिवान से पूर्व सांसद सैयद शहाबुद्दीन आखिरकार दिल्ली में आईटीओ के पास सुपुर्दे खाक कर दिए गए. उनके कोरोना का शिकार होने पर तिहाड़ जेल से देश की राजधानी के एक बड़े अस्पताल में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांसें लीं.
उसके बाद से उन्हें दफनाने को लेकर लंबी सियासी खींच-तान चली. इससे स्पष्ट है कि अब आम आदमी पार्टी को बिहार में पैर जमाने में न केवल दिक्कत होगी, दिल्ली में भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही राष्ट्रीय जनता दल को भी अंदरूनी कलह झेलनी पड़ सकती है.
मुसलमानों के एक हलके में चर्चा गर्म है कि शहाबुद्दीन की चिकित्सा और उन्हें उनके पैतृक स्थल बिहार के सिवान में सुपुर्दखाक किए जाने के मामले में दिल्ली की आप सरकार और राजद का रवैया बेहद लापरवाही वाला रहा.
मुंबई के सपा नेता अबु आजमी ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि क्या वजह है कि टीवी पत्रकार रोहित सरदाना की कोरोना से मौत के बाद उनका शव उनके शहर जाने दिया जाता है, पर सैयद शहाबुद्दीन के शव को कोरोना प्रोटोकोल का हवाला देकर सिवान ले जाने से रोका जाता है ?
ऐसे में उनके बेटे ओसामा को अपने पिता का शव आईटीओ के पास एक कब्रिस्तान में दफन करने को मजबूर होना पड़ा.
शहाबुद्दीन को बाहुबली कहा जाता है. उनपर हत्या के मुकदमे चल रहे थे, इसलिए वह जेल में सजा काट रहे थे. दूसरी तरफ उनके चाहने वाले भी देशभर में बड़ी संख्या में मौजूद हैं. इसलिए जैसे ही उनके इलाज में कोताही और उनका शव सिवान नहीं जाने देने की खबर फैली, हर तरफ से समर्थन में आवाजे उठने लगीं. यहां तक कि असदुद्दीन ओवैसी और बिहार में सरकार चलाने में मददगार जीतन राम मांझी भी मरहूम शहाबुद्दीन के बेटे के पक्ष में खड़े नजर आए. बावजूद तमाम प्रयासों के शव को दिल्ली से जाने नहीं दिया गया.
इस गहमागही के बीच राजद की खामोशी लोगों को अखर रही है. शहाबुद्दीन राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के खास सिपहसालार थे. शहाबुद्दीन के निधन पर लालू और उनके पुत्र तेजस्वी का केवल श्रद्धांजलि का ट्विट आया. मगर दिल्ली से शव लाने या शहाबुद्दीन के बेहतर इलाज में राजद के किसी बड़े नेता की कोई भूमिका दिखाई नहीं पड़ी.
हालाकि तेजस्वी यादव ने विवाद बढ़ने पर एक के बाद एक दो ट्विट कर सफाई दी है कि शहाबुद्दीन के इलाज और उनका शव सिवान लाने में उनकी ओर से काफी प्रयास किए गए.
मगर शहाबुद्दीन के समर्थक यह मानने को कतई तैयार नहीं. उनकी ओर से राजद में आवाज बुलंद करने और आप को सबक सिखाने की चेतावनी दी जा रही है. दिल्ली में काफी संख्या में शहाबुद्दीन समर्थक हैं. यही वजह है कि तमाम बंदिशों के बावजूद उनकी मैयत में बड़ी संख्या में लोग जुटे.
चुनाव आने पर अब वही दिल्ली और बिहार में आप के लिए मुसीबत बन सकते हैं. हालांकि सोशल मीडिया पर यह भी सफाई दी जा रही है कि शहाबुद्दीन के बेटे के नाम पर कुछ लोग फेक आइडी बनाकर राजद और आप विरोधी बातें कर रहे हैं. बहरहाल, आने वाला समय बताएगा कि शहाबुद्दीन की मौत और मैय्यत बिहार की सियासत में क्या गुल खिलाती है.