Shan-e-Kashmir फहीम-उल-इस्लाम: 18 वर्ष की उम्र में लिख डाली दर्जन से अधिक किताबें
मात्र अठाराह वर्ष की उम्र में दर्जन से अधिक किताबें लिखना कोई हंसी-मज़ाक नहीं। लेकिन यह कारनामा कर दिखाया कश्मीर के पुलवामा के एक युवक ने, जहां पिछले साल आतंकवादियों के हमले में 40 से अधिक सैनिक शहीद हुए थे। यहां के फहीम-उल-इस्लाम अपने कारनामे से उस कलंक को धो रहे हैं। उन्हें लेखन के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के 70 से अधिक पुरस्कार व सम्मान मिल चुके हैं।
कश्मीर के पुलवामा जिले के लिटर तहसील के अचन गांव के रफीक अहमद के पुत्र फहीम-उल-इस्लाम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में स्नातक हैं। मानवाधिकार विषय में स्नातकोत्तर यानी मास्टर करना चाहते हैं। पढ़ाई पूरी कर समाज सुधारक बनने की ख़्वाहिश है, ताकि युवाओं को आगे बढ़ने में सहयोग दे सकें। फहीम देश-विदेश की पत्रिकाओं में भी लिखते हैं, जिसके विषय आमतौर से नशा, आत्महत्या, बलात्कार आदि होते हैं। कुछ ऐसी ही समस्याओं से आज कल देश-दुनिया की युवा पीढ़ी दो चार है। उनकी एक पुस्तक ‘ द मिडनाइट साइलेंस’ हाल में प्रकाशित हुई है। यह 30 कविताओं की संग्रह है, जिनके विषय घाटी, प्राकृतिक, युवा, आशा वगैरह हैं।
फहीम बताते हैं, वह 11 वीं क्लॉस से लिख रहे हैं। उनकी जल्द ही एक और पुस्तक ‘कन्सील्ड चिनार’ आने वाली है, जिसमें 20 लेखकों की रचनाएं होंगी। उन्हें लेखन के लिए 70 से अधिक पुरस्कार, सम्मान मिले, जिनमें प्रतिष्ठित ‘ब्रॉवो इंटरनेशनल अवार्ड’ भी है। वह कश्मीर के युवाओं के बारे में कहते हैं, उन्हें व्यर्थ की बातें में पड़ने की बजाए रचनात्मक कार्यों में योगदान देना चािहए। आखिर युवाओं के सकारात्मक काम से ही भविष्य समृद्ध होगा।
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संपादक