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Shehla Rashid ने शाह, मोदी और सेना को लेकर क्यों बदले अपने विचार, जानिए पूरा मामला

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

मैं शेहला राशिद को लेकर बहुत निराश हूं. मैंने उन्हें कन्हैया कुमार की अनुपस्थिति में जेएनयूएसयू का नेतृत्व करते देखा, जिन्हें डीपी ने मनगढ़ंत आरोपों पर गिरफ्तार किया था. वह अचानक इतनी कैसे बदल गई? भगवान ही जानता है.
-अधीप मुखर्जी

आज शेहला राशिद ने जो किया……सावरकर ने वही किया…क्षमा पत्र दिया और जीवन भर पेंशन ली.उमर जो कर रहे हैं, वह भगतसिंह ने दिखाया है..वह हमारे दिल में हमेशा जीवित रहेंगे.
-रॉबिन हुड

एलकेएफसी का ऐलान शेहला राशिद बिक गईं
-संदीप कमरपालु

यह सोशल मीडिया से ली गई कुछ बानगी है, जो शेहला राशिद ( Shehla Rashid ) के एक न्यूज एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू के बाद सामने आई हैं. सोशल मीडिया पर ऐसे कमेंट की शहला राशिद पर बौछार हो रही है. दरअसल, शेहला राशिद ‘देशद्रोह’ के एक मामले में फंसी हुई हैं और उनके विरूद्ध इस मामले में मुकदमा चल रहा है. अब से पहले तक शेहला का सरकार, भारतीय जनता पार्टी और भारतीय सेना के प्रति रूख बेहद कड़ा रहा है, पर अचानक उन्होंने पलटी मार दी. हद तो यह कि वो अब से पहले जिसे आदर्श मानती थीं और जिसकी आलोचना करती थीं, इसको लेकर उनके विचार अचानक बदल गए हैं.

केंद्र की नीतियों की सराहना

अपने हालिया इंटरव्यू में पूर्व-जेएनयू कार्यकर्ता ने शेहला राशिद ने कहा, मैंने लॉकडाउन का समर्थन किया था.मैं अभी भी एक इको चैंबर से घिरी हुई हूं.द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद, जो कभी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कटु आलोचक थीं, अब उनमें क्रांतिकारी बदलाव दिख रहा है.

उन्होंने इंटरव्यू में कहा, वामपंथी और उदारवादी पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़े लोगों ने कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन लगाने के लिए सरकार की आलोचना की थी. एक्टिविस्ट और शिक्षाविद् ने कहा कि वह एक इको चैंबर से घिरी हुई थीं और सरकार के आलोचक लोगों ने उनसे कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन लगाने के केंद्र के फैसले का समर्थन करने पर सवाल किया था.

न्यूज एजेंसी की स्मिता प्रकाश के साथ पॉडकास्ट साक्षात्कार के दौरान, शेहला राशिद जो पहले पीएम मोदी की सख्त आलोचक थीं, उनकी जमकर प्रशंसा करती नजर आईं.

उन्होंने कहा, सबसे पहले, मैंने 2020 में लॉकडाउन का समर्थन किया था. मैंने सरकार के सामने कोई प्रस्ताव नहीं रखा था. तब उनसे पूछा गया कि आप सरकार का समर्थन क्यों कर रही हैं? तब मुझे 2020 में पहली बार एहसास हुआ कि हम सरकार की बहुत सारी आलोचना करते हैं इसके लिए. यहीं मैं फिर से ध्रुवीकरण के मुद्दे पर आती हूं कि सिर्फ इसलिए कि पीएम मोदी कुछ कर रहे हैं और हमें इसका विरोध करना होगा. शेहला ने कहा कि यहां हम का मतलब वामपंथी, उदार पारिस्थितिकी तंत्र या जो लोग सरकार के प्रति आलोचनात्मक हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि उस वक्त केंद्र के पास लॉकडाउन लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.मैं उस प्रतिध्वनि कक्ष का बहुत हद तक हिस्सा थी, फिर भी मैंने स्वीडन आदि देशों में देखा, जहां सरकारों ने तालाबंदी की (लगाई) लेकिन लोगों ने नागरिकों के अधिकारों, लोकतंत्र आदि का हवाला देते हुए इसका विरोध किया. अमेरिका में, जहां ट्रम्प प्रशासन ने तालाबंदी (लगाई) नहीं की. (लेकिन) शिक्षकों (अमेरिका में) ने, आपने देखा होगा, यह कहते हुए कि आप बंद न करके हमें मौत की कतार में भेज रहे हैं. तो 2020 में सरकार के पास बंद करने के अलावा विकल्प क्या था. मुझे लगता है कि सरकार के पास तालाबंदी के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

देश के अल्पसंख्यकों को लेकर शेहला का पैंतरा

राशिद एक शोधकर्ता और शिक्षाविद हैं, जिन्होंने 2016 में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार तत्कालीन जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई की वकालत करने के बाद प्रसिद्धि हासिल की थी.हाल ही में वह जम्मू-कश्मीर में बेहतर हालात के लिए केंद्र सरकार की सराहना करने को लेकर सुर्खियों में आई थीं.इसके अलावा, जब उनसे भारत में मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव की वास्तविकता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अकादमिक विशेषज्ञों के अनुसार, मुसलमान खुद को अल्पसंख्यक के बजाय दूसरे सबसे बड़े बहुमत के रूप में वर्गीकृत करते हैं.

उन्हांेने कहा,डॉ तनवीर फैसल, जो एक समाजशास्त्री हैं, ने अपने एक पेपर में बताया कि दिल्ली में मुसलमान अल्पसंख्यक के वर्गीकरण को अस्वीकार करते हैं और वे कहते हैं कि हम दूसरे सबसे बड़े बहुसंख्यक हैं. अकादमिक विशेषज्ञों के अनुसार मुसलमान खुद को दूसरे सबसे बड़े बहुसंख्यक के रूप में वर्गीकृत करते हैं.उन्होंने यह भी कहा कि देश में सांप्रदायिकता तब नहीं आई जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार केंद्र में आई, बल्कि इसका इतिहास 70 साल पुराना है.

सांप्रदायिकता के मामले में भाजपा को शेहला ने दी क्लिन चिट

क्या इस देश में सांप्रदायिकता है ? जब शहला से यह पूछा गया तो उन्होंने कहा, हां. 70 साल पहले हमारा विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ था, इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि सांप्रदायिकता तब शुरू हुई जब 2014 में भाजपा आई. हमारा विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ है. यह सभी के लिए एक खूनी विभाजन था.

उन्होंने कहा, सांप्रदायिकता रही है और सांप्रदायिकता बनी रहेगी. साथ ही, आलोचनात्मक अभिविन्यास के साथ समस्या यह है कि हम केवल नकारात्मक पर ध्यान केंद्रित करते हैं. हम सकारात्मकता का जश्न मनाना भूल जाते हैं.उन्हांेने कहा कि भारत एक विशाल देश है. अतीत में यहां मॉब लिंचिंग की घटनाएं और मुसलमानों के खिलाफ दुर्भाग्यपूर्ण बयान दिए गए हैं.हां, एक मुस्लिम के रूप में उन्होंने आपको चोट पहुंचाई है, लेकिन एक मुस्लिम के रूप में क्या हम नकारात्मक बातों पर ध्यान केंद्रित करते रहते हैं या उस पर जोर देते रहते हैं?

मुझे ऐसा नहीं लगता क्योंकि ऐसा करने में हमने कई साल बर्बाद कर दिए हैं. यह हमारा देश है जितना कि यह किसी और का देश है.उन्होंने कहा कि मुसलमानों को खुद को भाग्यशाली महसूस करना चाहिए कि वे इस देश में हैं, दुनिया में कहीं और नहीं.

शेहला ने अमित शाह के पढ़े कसीदे

शेहला ने कहा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर की अपनी यात्रा के दौरान कश्मीरियों से कहा कि यह उनका देश है और वे जहां चाहें रह सकते हैं और जा सकते हैं. ये उनके सटीक शब्द थे. और हमें एक क्षण रुकना चाहिए. स्वीकार करना चाहिए कि हम ऐतिहासिक रूप से बहुत बुरे दौर से गुजर रहे हैं हमें भाग्यशाली होना चाहिए कि हम इस समय इस देश में हैं और दुनिया में कहीं और नहीं.

उन्होंने पीएम की तारीफ में कहा,पीएम मोदी एक निस्वार्थ व्यक्ति हैं. राष्ट्रहित में काम करते है.जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आलोचना से परेशान नहीं होते हैं. उन्होंने अपनी लोकप्रियता की कीमत पर कट्टरपंथी फैसले लेने का श्रेय उन्हें दिया.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार,पूर्व जेएनयू छात्रा शेहला राशिद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के लिए काम करने वाले एक निःस्वार्थ व्यक्ति है.जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद, जो कभी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कटु आलोचक थीं, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की. उन्हें राष्ट्रीय हित में काम करने वाला निःस्वार्थ व्यक्ति बताया.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि शहला रशीद कहती हैं कि पीएम मोदी आलोचना से परेशान नहीं होते. उन्होंने अपनी लोकप्रियता की कीमत पर कट्टरपंथी फैसले लेने का श्रेय उन्हें दिया.शेहला राशिद ने कहा, फिलहाल, हम वास्तव में नेक इरादे वाला प्रशासन देख रहे है. प्रधानमंत्री का आलोचना की परवाह नहीं है. उन्होंने अपनी लोकप्रियता की कीमत पर भी कई कट्टरपंथी फैसले लिए हैं.

उन्हें कोई परवाह नहीं है. वह एक निस्वार्थ व्यक्ति हैं जो राष्ट्रीय हित के लिए काम करते हैं. आप गृह मंत्री को देखें. उन्होंने कश्मीर में शांति सुनिश्चित की है. भले ही उस समय किसी ने भी आलोचना की हो.विशेष रूप से, शेहला राशिद तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुखर आलोचक थीं. 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर की स्वायत्त स्थिति को रद्द करने के सरकार के फैसले के साथ इसके दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के खिलाफ बातें कही थीं.

अब राशिद ने जम्मू-कश्मीर में बदलाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया. कहा कि उन्होंने वहां विरोध प्रदर्शन और उग्रवाद और घुसपैठ की छिटपुट घटनाओं का राजनीतिक समाधान सुनिश्चित किया है.उन्होंने कहा, इसके लिए मैं वर्तमान सरकार, खासकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को श्रेय देना चाहूंगी.

सेना के खिलाफ ट्वीट के लिए शेहला राशिद पर देशद्रोह का मामला

अभी प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सेना की तारीफ करने वाली शहला राशिद कुछ समय तक मुखर आलोचक रही हैं. इसकी वजह से उनपर सेना ने देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया था.6 सितंबर 2019 को एनडीटी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, शेहला राशिद ने यह दावा किया है कि चार लोगों को आर्मी कैंप में बुलाया गया और उनसे पूछताछ की गई और उन्हें प्रताड़ित किया गया. इसको लेकर उन्हांेने ट्विट भी किया था.

इसके बाद शेहला राशिद के खिलाफ उनके ट्वीट के लिए राजद्रोह कानून के तहत मामला दर्ज किया गया. उनके ट्विट में दावा किया गया था कि सशस्त्र बल जम्मू-कश्मीर में घरों में प्रवेश कर रहे हैं और लड़कों को उठा रहे हैं. एनडीटीवी द्वारा प्राप्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में कहा गया है कि मामला सुप्रीम कोर्ट के एक वकील की शिकायत पर दर्ज किया गया है.केंद्र द्वारा राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने की घोषणा से पहले 4 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध लगाए गए थे.

रिपोर्ट में आगे कहा गया,केंद्र ने अपने फैसले की घोषणा करने से पहले पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सहित कई कश्मीरी राजनेताओं को हिरासत में लिया था और दूरसंचार सेवाओं को निलंबित कर दिया था.राज्य प्रशासन के शीर्ष अधिकारी रोहित कंसल ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि कश्मीर घाटी का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा दिन के प्रतिबंध से मुक्त है. उन्होंने बताया कि 95 में से 76 टेलीफोन एक्सचेंज चालू हैं.

अपनी शिकायत में, वकील ने कहा था कि सुश्री राशिद के आरोप निराधार हैं, क्योंकि उन्होंने कथित यातना या घटनाओं की तारीख और समय की कोई वॉयस रिकॉर्डिंग पेश नहीं की है. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सुश्री राशिद पर देश में हिंसा भड़काने के इरादे से जानबूझकर फर्जी खबरें फैलाने और भारतीय सेना की छवि खराब करने का भी आरोप लगाया.

पिछले महीने अपने ट्वीट में, सुश्री राशिद ने यह भी दावा किया था कि चार लोगों को सेना शिविर में बुलाया गया और उनसे पूछताछ की गई.उन्हें प्रताड़ित किया गया. उनकी टिप्पणी पर विवाद पैदा होने के बाद उन्होंने स्पष्टीकरण जारी किया था कि उनके ट्वीट राज्य के लोगों के साथ बातचीत पर आधारित थे.

जेएनयू छात्रा शेहला रशीद ने कहा, मेरे सभी ट्वीट लोगों से बातचीत पर आधारित हैं. मेरा थ्रेड प्रशासन के सकारात्मक कार्यों पर भी प्रकाश डालता है. सेना को निष्पक्ष जांच करने दें और मैं उनके साथ उल्लिखित घटनाओं का विवरण साझा करने को तैयार हूं.पुलिस का कहना है कि सुश्री राशिद पर भारतीय सेना की छवि खराब करने के इरादे से फर्जी खबर फैलाने का भी आरोप लगाया गया है.

दिल्ली के उपराज्यपाल ने सेना विरोधी ट्वीट के लिए शेहला राशिद पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी

इसके बाद 1 अगस्त, 2023 को खबर आई कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सेना विरोधी ट्वीट के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए) की सदस्य शहला राशिद के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दे दी है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया,दिल्ली एलजी वीके सक्सेना ने विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कृत्यों में शामिल होने के उद्देश्य से भारतीय सेना के बारे में 2 ट्वीट करने के लिए जेएनयूएसयू के पूर्व उपाध्यक्ष और एआईएसए के सदस्य शहला राशिद के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दे दी है.

दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय ने एक बयान में कहा,यह मंजूरी आलोक श्रीवास्तव की शिकायत के आधार पर नई दिल्ली के स्पेशल सेल पुलिस स्टेशन में दर्ज आईपीसी की धारा 153 ए के तहत उनके खिलाफ 2019 की एफआईआर से संबंधित है.शेहला राशिद के खिलाफ मामला तब दर्ज किया गया जब उन्होंने अपने ट्वीट में दावा किया था कि सशस्त्र बल जम्मू-कश्मीर में घरों में घुस रहे हैं और लड़कों को उठा रहे हैं.

उनके एक ट्वीट में लिखा था, “सशस्त्र बल रात में घरों में घुस रहे हैं, लड़कों को उठा रहे हैं, घरों में तोड़फोड़ कर रहे हैं, जानबूझकर फर्श पर राशन गिरा रहे हैं, चावल में तेल मिला रहे हैं, आदि. उन्होंने ये ट्वीट अगस्त 2019 में किया था.

एक अन्य ट्वीट में लिखा गया, शोपियां में, 04 लोगों को आर्मी कैंप में बुलाया गया और पूछताछ (प्रताड़ित) की गई. उनके पास एक माइक रखा गया ताकि पूरा इलाका उनकी चीख सुन सके और आतंकित हो सके. इससे पूरे इलाके में डर का माहौल पैदा हो गया.बाद में भारतीय सेना ने आरोपों को निराधार बताकर खारिज कर दिया.

अभियोजन स्वीकृति का प्रस्ताव दिल्ली पुलिस द्वारा पेश किया गया था और दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने इसका समर्थन किया था.अचानक शेहला राशिद के बयान रूख में आए बदलाव को गिरफ्तारी नजदीक होने की संभावना को बताया जा रहा है.उनके कई साथ इसी तरह के मामले में देश के विभिन्न जेलों में तकरीबदन दो वर्षों से सड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि शेहला राशिद ऐसी नौबत आने से पहले ही हाथ-पैर जोड़कर बैकडोर से मामले को रफा-दफा कराने की फिराक में हैं. कश्मीर का चुनाव भी जल्द होने वाला है. कुछ लोग इससे भी जोड़कर देख रहे हैं.