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दुकान नामकरण विवाद: सरकारी आदेश पर टीवी पत्रकार संदीप चौधरी का हमला, हिंदू समुदाय को हो रहा नुकसान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

टीवी पत्रकार संदीप चैधरी दुकानांे पर संचालकों के नाम लिखने के सरकारी फरमान पर जमकर सवाल उठा रहे हैं. उन्हांेने प्रदेश सरकारों पर हमला बोलते हुए कांवड़ मार्ग की दुकानों पर संचालकों के नाम लिखने को ’हिंदू-मुसलमान’ में फूट डालने वाला बताया है. हालांकि, इस सरकारी आदेश से हिंदुआंे के ही एक बड़े वर्ग को नुक्सान हो रहा है. सरकारों की आलोचना हो रही है सो अलग.

टीवी के सीनियर जर्नलिस्ट संदीप चैधरी का सरकारी आदेश पर सवाल उठाने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. लोग इसे जमकर शेयर कर रहे हैं. इस वीडियो में संदीप चैधरी वैष्णो देवी और अमरनाथ यात्रा सहित कई उदाहरण देते हुए कहते दिखाई दे रहे हैं, ‘‘यहां दर्शन करने वाले हिंदुओं के सारथी मुसलमान होते हैं. अमरनाथ यात्रा तो उनके सहयोग के बगैर संभव नहीं. इसके अलावा वह कहते हैं कि इन धार्मिक स्थालों पर मुसलमानों की ही दुकानांे, ढाबे हैं. कभी इसपर सवाल नहीं उठाए गए.

इस वीडियो में संदीप चैधरी सवाल पूछते हैं कि मकर संक्रांति मंे पतबंगाजों के लिए पतंगें कौन बनाता है. मुसलमान ! इसी तरह हिंदू घरों में दुल्हनें सजती हैं, दुल्हनों के लिए बनारसी साड़ी का निर्माण कौन करता है. कारीगर कौन हैं, मुसलमान !!’’

सुदीप चैधरी के इस वीडियो की खूब तारीफ हो रही है. एक ने इसे एक्स पर साझा करते हुए लिखा-‘‘संदीप चैधरी ने क्या धोया है.जिसने रीट्वीट लाइक दोनों ना किया उसको तुरंत ब्लॉक.’’

एक अन्य वीडियो में एक कांवड़ यात्री सरकारी आदेश की आलोचना करते हुए कहता है-‘’हिंदू-मुसलमान का खून एक ही है. कभी कांवड़ यात्रा में उसे तकलीफ नहीं हुई. यहां तक कि वह वीडियो में यह कहता हुआ भी दिख रहा है कि उसे मुसलमानों के दुकानों से सामान खरीदने या ढापे पर खाने से कोई ऐतराज नहीं.’’

सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे वीडियो भी वायरल हो रहे हैं कि कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकान पर दुकानदार का नाम लिखने से वहां काम करने वाले हिंदू कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं. एक वीडियो में एक ढाबे पर काम करने वाला यह कहता दिखाई दे रहा है कि उसके ढाबा का मालिक मुसलमान है, पर सारे स्टाफ हिंदू हैं. यह वैष्णवी ढावा है. कांवड़ियों का लिहाज करते हुए ढाबा संचालित होता है. मगर ढाबे पर नाम लिखने से एक सप्ताह से उसके ढाबे पर कोई नहीं आ रहा है, जिससे यहां काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है. कमाई नहीं होगी तो नौकरी कैसे बचेगी.

सोशल मीडिया पर वायरल एक अन्य वीडियो में मुसलमान के ढाबे पर काम करने वाले कुछ हिंदू कर्मचारी यह कहते दिखाई दे रहे हैं,’’ सरकारी आदेश आते ही मालिक ने उन्हें यह कहते हुए घर भेज दिया कि कांवड़ यात्रा खत्म होने पर आना.’’

एक यूजर ने एक्स पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा है-बाबू खान की दुकान पर काम करने वाले आकाश शर्मा को सुना जाए.धार्मिक आदमी कभी इंसानों से नफरत नहीं कर सकता. अगर कोई धर्म का चोला ओढ़कर नफरत फैला रहा है तो वह कुछ भी हो सकता हैए मगर धार्मिक तो बिल्कुल भी नहीं हो सकता. इस भोले को सुनें और सीखें कि आस्था क्या होती है!’’

सरकारी आदेश का असर कुछ ऐसा हुआ है कि मुसलमानों का भी एक वर्ग इसी तरह की हरकतंें करने पर उतारू हो गया है. ऐसे लोग मुस्लिम दुकानदारों से हिंदुओं को न सामान बेचने और न सामान खरीदने के लिए कह रहे हैं. एक्स पर एक ऐसा ही वीडिया साझा किया गया है, जिसमें भीड़ को संबोधित करते हुए एक शख्स कहता दिखाई दे रहा है-‘‘मुसलमान नाम होने की वजह से मुसलमान का सामान हिन्दू खरीदना पसंद नहीं कर रहे हैं

और मुसलमान हिंदुओं से सामान खरीद कर हिंदुओं का भला कर रहे हैं. मुसलमानों सुधर जाओ और इसे सामान खरीदना बंद कर दो. अपने मुसलमान भाइयों से ही खरीदो. उनसे ही लेनदेन करो. जब वह कर सकते हैं तो तुम भी कर सकते हो.’’

इस तरह के वीडियो में कितनी सच्चाई, इसकी पुष्टि मुस्लिम नाउ नहीं करता, पर यह जरूर है कि यदि यह वीडियो सच हैं, तो इससे साबित होता है कि इस तरह के सरकारी आदेश न केवल देश में सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे रहे हैं, इससे हिंदू कम्यूनिटी को ही नुक्सान होने का खतरा पैदा हो गया है.