सिवान की युसरा फातिमा: कम उम्र में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना साहित्य के मंच पर किया बड़ा कारनामा
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, पटना
बिहार के सिवान जिले की बेटी युसरा फातिमा ने एक अद्भुत उपलब्धि हासिल की है. बड़हरिया प्रखंड के तेतहली गांव की रहने वाली युसरा का नाम “ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” में दर्ज किया गया है. मात्र 15 साल की उम्र में युसरा ने सबसे अधिक कविताएं और किताबें लिखकर यह वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया है. इस उल्लेखनीय कामयाबी ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे जिले में साहित्य प्रेमियों के बीच खुशी की लहर पैदा कर दी है.
युसरा फातिमा का परिचय और शिक्षा
युसरा, गोपालगंज जिले के मांझा प्रखंड में स्थित आरएम पब्लिक स्कूल की छात्रा हैं, जहां वह 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही हैं. साहित्य में उनकी गहरी रुचि और कम उम्र में किताबें लिखने की क्षमता ने उन्हें न सिर्फ परिवार में बल्कि पूरे क्षेत्र में पहचान दिलाई है.
रिकॉर्ड कीर्तिमान
युसरा ने “ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” में सबसे ज्यादा कविता की किताबें लिखकर अपना नाम दर्ज कराया है. इससे पहले भी, उनका नाम “इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” में दर्ज हो चुका है. उनकी साहित्यिक यात्रा में यह एक और बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है.
कविता लेखन की शुरुआत
युसरा ने अपनी कविता यात्रा 8 साल की उम्र में शुरू की थी. उनकी पहली पुस्तक ‘जज्बा’ जुलाई 2019 में, जब वह 12 साल की थीं, प्रकाशित हुई। इसके बाद उन्होंने तीन और किताबें लिखीं – ‘मेरे हिस्से की कोशिश’, ‘शाम और तनहाई’, और ‘बेरुखी’. उनकी चौथी किताब ‘बेरुखी’ अप्रैल 2023 में प्रकाशित हुई, जिसने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में और अधिक प्रसिद्धि दिलाई.
सामाजिक मुद्दों पर कविताएं
युसरा की रचनाओं में सामाजिक मुद्दों को प्रमुखता दी गई है. उनकी कविताओं में महिला सशक्तिकरण, शिक्षा की अहमियत और समाज में बदलाव की जरूरत को खूबसूरती से उकेरा गया है. उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों और उनकी संघर्षशीलता को उजागर किया है, जिससे वह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनी हैं.
स्थानीय खुशियाँ और सराहना
युसरा की इस उपलब्धि ने उनके गांव और परिवार में गर्व का माहौल बना दिया है. उनके परिवार, दोस्तों और शिक्षकों ने उन्हें बधाई दी. उनकी इस असाधारण सफलता पर खुशी जताई. उनके पिता शकील अहमद, जो तेतहली गांव के निवासी हैं, अपनी बेटी की इस सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं.
युवाओं के लिए प्रेरणा
युसरा फातिमा ने साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है. अपनी प्रतिभा, समर्पण और कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने साहित्य में एक नया मुकाम हासिल किया है. उनकी कहानी सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने का जुनून रखते हैं. युसरा की यह यात्रा भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियों का संकेत है.