एसपी का आदेश: दुकानों के नाम से पहचान होगी मालिक के धर्म की
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, मेरठ उत्तर प्रदेश
कभी-कभी प्रशासनिक अधिकारियों के अजीब ओ गरीब आदेश से बड़ा विवाद खड़ा हो जाता है. ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में देखने को मिल रहा है. कावंड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है. इससे संबंधित जिला पुलिस प्रशासन के आदेश से न केवल एक नई बहस शुरू हो गई है, अधिकारियों की नियत पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
इस आदेश पर सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर मोहम्मद जुबैर ने एक लंबा-चैड़ा पोस्ट एक्स पर साझा किया है. इसमें लिखा है-“उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एसपी अभिषेक सिंह ने कांवड़ यात्रा के मार्ग पर पड़ने वाले होटलों, ढाबों और छोटे-मोटे दुकानदारों को आदेश दिया है कि वे अपनी दुकानों के आगे मालिकों के नाम प्रदर्शित करें, ताकि मालिकों के धर्म की पहचान हो सके.
पृष्ठभूमि
पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान मुजफ्फरनगर के बघरा स्थित आश्रम के संचालक स्वामी यशवीर महाराज ने मुस्लिम समुदाय के लोगों पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित होटलों और ढाबों के नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखने का आरोप लगाया था और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. इस बार भी वे मुस्लिम होटल संचालकों, फल विक्रेताओं आदि के नाम मोटे अक्षरों में लिखने की मांग कर रहे हैं.
इस आदेश के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं है? छोटे-मोटे दुकानदारों से उनकी दुकानों पर उनके नाम प्रदर्शित करने के लिए कहना एक तरह का भेदभाव हो सकता है. यदि दुकानदारों को डिस्प्ले बोर्ड पर नाम देखकर चरमपंथियों द्वारा चुन-चुन कर निशाना बनाया जाए, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
@muzafarnagarpol @Uppolice से सवाल है कि क्या यह आदेश धर्म के आधार पर भेदभाव को बढ़ावा नहीं देगा?
This is dangerous. In Uttar Pradesh's Muzaffarnagar, SP Abhishek Singh ordered hotels, Dhabas and small time vendors falling on the route of Kanwar Yatra to display the names of the owners in front of their shops aiming to identify the religion of the owners.
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) July 17, 2024
Background: During… pic.twitter.com/LuF8jpAbt2
नमस्ते @muzafarnagarpol @Uppolice
क्या यह धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं है? छोटे-मोटे दुकानदारों से उनकी दुकानों पर उनके नाम प्रदर्शित करने के लिए कहना? क्या होगा अगर इन दुकानदारों को डिस्प्ले बोर्ड पर नाम देखकर चरमपंथियों द्वारा चुन-चुन कर निशाना बनाया जाए?
इस प्रशासनिक आदेश को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत तीखी प्रतिक्रिया आ रही है और आदेश की बखिया उधेड़ी जा रही है.