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कश्मीर आतंकी हमले के खिलाफ मुस्लिम संगठनों की कड़ी निंदा: पर्सनल लॉ बोर्ड ने रोका वक्फ बचाओ आंदोलन, जमाअत-ए-इस्लामी और जमीअत उलमा-ए-हिंद ने जताया शोक

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,नई दिल्ली।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले की देश भर में तीखी निंदा हो रही है। इस नृशंस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें कई विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। इस हमले के विरोध में देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने कड़ा रुख अपनाया है और इसे न केवल मानवता के विरुद्ध बल्कि इस्लाम की शिक्षाओं के भी खिलाफ बताया है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रोका अपना अभियान

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने हमले में मारे गए निर्दोष लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए अपने ‘वक्फ बचाओ आंदोलन’ को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने की घोषणा की है। बोर्ड ने कहा है कि यह वक्त पीड़ितों के साथ खड़े होने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का है, न कि विरोध प्रदर्शन का।

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद: यह हमला निंदनीय, पूरी मानवता पर प्रहार

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने मंगलवार को जारी एक बयान में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा:

“हम दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं। विदेशी पर्यटकों सहित निर्दोष लोगों की हत्या अत्यंत दुखद और निंदनीय है। इस तरह की बर्बरता को किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता। यह पूरी तरह अमानवीय है और हर नैतिकता की मर्यादा का उल्लंघन करता है।”

सैयद हुसैनी ने कहा कि किसी भी प्रकार की राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक सोच इस प्रकार की हिंसा को जायज नहीं ठहरा सकती। उन्होंने हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और शीघ्र न्याय की मांग की।

राज्य और केंद्र से सख्त कदम उठाने की मांग

सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अपील की कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ठोस और पारदर्शी कदम उठाए जाएं। उन्होंने विशेष रूप से सुरक्षा उपायों को मजबूत करने, संवेदनशील क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ाने और कमजोर समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर बल दिया।

उन्होंने धार्मिक नेताओं, मीडिया और नागरिक समाज से भी आग्रह किया कि वे जिम्मेदारी से व्यवहार करें और ऐसे बयानों से बचें जो किसी विशेष समुदाय या समूह को निशाना बनाते हों। उनका कहना था कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, और किसी भी हिंसक घटना को धार्मिक चश्मे से देखना गलत है।

जमीअत उलमा-ए-हिंद: निर्दोषों की हत्या इस्लाम के खिलाफ

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने भी हमले पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा:

“26 निर्दोष पर्यटकों की नृशंस हत्या एक अमानवीय कृत्य है जिसे किसी धर्म, विशेष रूप से इस्लाम, से जोड़ना निहायत गलत है। जो लोग इसे इस्लाम से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वे इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं से अनभिज्ञ हैं।”

मौलाना मदनी ने कुरान का हवाला देते हुए कहा कि “किसी निर्दोष की हत्या समस्त मानवता की हत्या के बराबर है।” उन्होंने आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करती है।

शांति, भाईचारे और सहिष्णुता बनाए रखने की अपील

मौलाना मदनी ने सभी नागरिकों से शांति, सद्भाव और सहिष्णुता बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का उद्देश्य समाज में भय और घृणा फैलाना होता है, और हमें इस मंसूबे को एकजुट रहकर नाकाम करना होगा।


निष्कर्ष

कश्मीर में हुए इस जघन्य आतंकी हमले के बाद भारत के प्रमुख मुस्लिम संगठनों की यह सामूहिक प्रतिक्रिया न केवल पीड़ितों के प्रति संवेदना दर्शाती है, बल्कि एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है—आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता और इसकी निंदा हर धर्म का फर्ज है। मुस्लिम समाज की इस साफ-सुथरी और मानवतावादी प्रतिक्रिया से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत का मुसलमान देश की एकता, शांति और सुरक्षा के पक्ष में खड़ा है।

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