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Subramanian Swamy दांव पड़ा उलटा , बाबरी विध्वंस के आरोपी जोशी, आडवाणी को बिन सजा छोड़ने की वकालत पर सुननी पड़ रही खरी-खरी

ब्यूरो रिपोर्ट।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि विवाद की जल्दी सुनवाई के लिए रास्ता प्रशस्त करने वाले  डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् स्वामी(Subramanian Swamy) ा पासा उलटा पड़ गया । अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन से पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपियों को बरी करने के लिए जनमत संग्रह का उनका प्रयास विफल होता दिख रहा है। लोग न केवल उनके इस कोशिश का विरोध कर रहे हैं, पूर्व में दिए गए उनके संघ विरोधी बयानों को भी खूब उछाला जा रहा है। इनका विरोध करने वालों की समझ है कि स्वामी देश में नई परिपाटी कायम करना चाहते हैं। ऐसे में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के आरोपी भी किसी मजबूत पैरो कार की मदद से इस तरह की कोशिश कर सकते हैं।
  हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थ शास्त्र में पीएचडी तथा कानूनी दांव-पेंच में पारंगत डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् स्वामी   हर काम बेहद सोच-समझकर करते हैं। उन्हें इस पैंतरे का भी इल्म है कि कब क्या करना और कहना चाहिए। कभी यह समाजवादियों के बेड़े में थे। अब भाजपा के साथ हैं। उन्हें उनके समर्थक ‘हिंदुत्व का रियल हीरो’ कहते हैं। बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर जल्द फैसला आने का श्रेय एक वर्ग उन्हें देता है। इसलिए उन्हें कई लोग ‘गेम चेंजर’ भी कहते हैं। उनके एक भक्त विशाल मेहता ट्वीटकर कहते हैं,  डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् स्वामी   इकलौते हिंदू नेता हैं जो रामसेतु बचाने में अहम किरदार निभा सकते हैं।’’


स्वामी की पीएम मोदी से अपील

  बहरहाल, डॉ स्वामी ने 21 जुलाई को बयान देकर प्रधानमंत्री से अपील की कि राम मंदिर भूमिपूजन से पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस के ‘मूर्खतापूर्ण; मामले से लालकृष्ण आडवाणी और मुरलीमनोहर जोशी आदि को बरी कर दिया जाए ताकि वे इस कार्यक्रम में भाग ले सकें। उन्होंने मस्जिद विध्वंस नहीं किया, मंदिर का निर्माण कराया है।’’ यहां उल्लेखनीय है कि 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों द्वारा अयोध्या की प्राचीन बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी। सीबीआई की चार्जशीट में इसके लिए आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी,कल्याण सिंह, अशोक सिंघल, विनय कटियार आदि को आरोपी बनाया गया है। मस्जिद ढहने पर देश भर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। हजारों की जान चली गई थी। अरबों रूपये की निजी और सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुंचा था सो अलग।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि बाबरी मस्जिद गिराना गैरकानूनी कार्रवाई थी। इसलिए इसपर मुकदमा चलता रहेगा। इस मामले में अगले एक दो दिनों में सुनवाई होनी है जिसमें जोशी और आडवाणी आदि को शामिल होना है।  डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् स्वामी   चाहते हैं कि मस्जिद विध्वंस के तमाम आरोपी बिना फैसला  बरी कर दिए जाएं ताकि वे भूमिपूजन में शामिल हो सकें। इस मामले को उनका ‘ बेवकूफाना‘ कहना अदालत और कानून की अवधारणा की तौहीन है अथवा नहीं ? यह विचारनीय प्रश्न है। भूमिपूजन 5 अगस्त को प्रस्तावित है। अब तक की सूचना के अनुसार, इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 से 1:10 बजे तक मौजूद रहेंगे। मंदिर आंदोलन में मोदी की भी भूमिका रही है, इसलिए स्वामी ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपियों को बिन सजा बरी करने के लिए मांइड गेम खेला है। इस बारे में जनसमर्थन जुटा कर प्रधानमंत्री पर दबाव बना ने के लिए जब उन्होंने ट्वीट किया तो खबर लिखने तक 5.6 हजार लोग इसे रिट्वीट और 32 हजार लोग लाइक कर चुके थे।


बयान की आलोचना
  हालांकि उनका यह दांव उलटा पड़ा है। अपराधियों को बिना सजा बरी कराने के स्वामी के प्रयास के विरोध में लोग खड़े हो गए हैं। सोशल मीडिया पर उनके प्रयास की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अधिकांश लोगों ने कानून व्यवस्था के नज़रिए से इसे गलत बताया है। उनके ट्वीट पर खबर लिखने तक 484 लोग प्रतिक्रिया दे चुके थे जिनमें से अधिकांश ने उनके बयान की आलोचना की है। साद कहते हैं,‘‘ शेम एंड डिसग्रेस टू यू।’’ गिरिश अरोड़ा ने ट्वीट किया है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस एक गैरकानूनी मामला है। इसके कारण सोसायटी में झगड़े हुए। सांप्रदायिक दंगे भड़के। इस लिए सजा जरूरी है। अतुल अस्थाना डॉ स्वामी के बयान के विरोध में कहते हैं-‘‘जुडिशियल एक्टिविज्म इज सेविंग डेमोक्रेसी।’’ किरण बालिमाने ने लिखा है, ‘‘ बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला आपराधिक है। चलने दीजिए। कोर्ट फैसला देगा। स्वामी की आलोचना में कई लोग बहुत आगे निकल गए।


एक ने 7 दिसंबर 1992 के न्यूजपेपर की कटिंग साझा की है जिसमें स्वामी ने आरएसएस को बुरा-भला कहा है। हीलर के ट्वीटर हैंडल से कोविड 19 की आफत के हवाले से कहा गया कि उस्मानिया अस्पताल के वार्ड में पानी घुसा है। छत्त गिर गई है। बंगलुरू के अस्पताल में सुअर घूमरे हैं और हम लोग मंदिर बनाने में लगे हैं। शायद ऐसी प्रतिक्रिया की स्वामी को उम्मीद नहीं रही होगी।
तस्वीरें सोशल मीडिया से  

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संपादक