Sudarshan News मुस्लिम प्रशासनिक अधिकारियों को ‘जिहादी’ साबित करने का अभियान, मुकदमा तो बनता है
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की कार्यपालिका को मजबूती देने में दिन-रात जुटे मुस्लिम प्रशासनिक अधिकारी क्या आतंकवादी हैं ? उन्होंने यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन जैसी कठिन परीक्षाएं केवल इसलिए पास कीं ताकि देश-समाज विरोधी कार्य अंजाम दे पाएं ? तथा देश की नंबर एक सेंटरल यूनिवर्सिटी जामिया मिलिया ‘जिहाद’ की मंशा रखने वालों को यूपीएससी परीक्षा में कामयाबी के गुर सिखाती है ? ये आपत्तिजनक प्रश्न लेखक के नहीं,बल्कि देश के निम्न स्तरीय न्यूज चैनल्स में से एक ‘सुदर्शन न्यूज’ के कार्यक्रम ‘नौकरशाही जिहाद’ के प्रोमो से तैयार किए गए हैं। इसमें चैनल हेड कहता दिखता है,‘‘ सरकारी नौकरशाही में मुसलमानों की घुसपैठ पर बड़ा खुलासा। आखिर अचानक मुसलमान आईपीएस, आईएएस कैसे बढ़ गए ? सबसे कठिन परीक्षा में सबसे ज्यादा मार्क्स, सबसे ज्यादा संख्या में पास होने का क्या है राज ? सोचिए, जामिया के जिहादी अगर आपके जिलाधिकारी एवं हर मंत्रालय में मुसलमान सचिव होंगे तो क्या होगा ? लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ कार्यपालिका पर कब्ज़ा का पर्दाफाश।’’
’सुदर्शन न्यूज’ पर ‘नौकरशाही जिहाद पर महाभियान’ कार्यक्रम 28 अगस्त से शुरू होगा। इसके लिए अधिक दर्शक जुटाने की नियत से सोशल मीडिया पर कार्यक्रम का प्रोमो जारी किया गया है, जिसे देखकर सुधी लोग भड़के हुए हैं। अलग-अलग प्लेट फॉर्म से गुस्से का इज़हार किया जा रहा है। सूर्य प्रताप सिंह ट्वीट करते हैं ,‘‘ यह चू…मुस्लिम एडमिनिस्ट्रेटिव की बात करता है, उनकी नॉलेज के शून्य के बराबर भी नहीं है।’’ आलम आरा चैनल हेड को गटर का कीड़ा तो इमाम इसके खिलाफ कार्रवाई की बात करते हैं।
नहीं पच रहा मुस्लिमों का अधिकारी बनना
दरअसल, इस तरह का खेल इस बार के यूपीएससी परीक्षा परिणाम आने के साथ शुरू हो गया है। इसके तहत पहले कुछ लोग परीक्षा में 350 वां रैंक लाने वाली कम उम्र प्रतिभागी कश्मीर की नादिया बेग के पीछे पड़े। उनके नाम के कुछ तथाकथित ट्वीट्स के हवाले से देश में नफरत फैलाने वालों ने उन्हें देशद्रोही एवं सरकार विरोधी साबित करने का प्रयास किया। सरकार पर दबाव बनाने की ख़ातिर सोशल मीडिया पर कई दिनों तक अभियान चलाया गया। इसमें कामयाबी नहीं मिली तो अब ‘सुदर्शन न्यूज’ चैनल चलाने वाले जैसे लोग एक अलग गहरी चाल सिरे चढ़ाने में जुट गए हैं। हालांकि प्रोमो देखकर जिस तरह से लोग भड़के हुए हैं, लगता है कि गिरोह का यह प्रयास उसे भारी पड़ने वाला है। उन्हें अदालत में घसीटा जा सकता है। नफरती गैंग यूपीएससी परीक्षा में इस बार 42 मुसलमानों की कामयाबी को पचा नहीं पा रहा और दुष्प्रचार में लगा है। हालांकि पिछले दो वर्षों की तुलना में इस बार की संख्या कम है। 2018 में 51 व 2017 में 50 मुस्लिम प्रतिभागी सेलेक्ट हुए थे। 2016 में यह तादाद 37, 2015 में 40 तथा 2014 में 34 थी। दो साल से रिजल्ट में सुधार के बावजूद मुसलमान जनसंख्या के हिसाब से यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पा रहे हैं। (What is the percentage of Muslim in India?) देश की मुस्लिम आबादी 14.23प्रतिशत है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम आईएएस का प्रतिशत 3, आईएफएस का 1.8 व आईपीएस का प्रतिशत 4 है।
शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ना जरूरी
देश का मुसलमान बदहाल है। इसे प्रधानमंत्री के हाई लेवल कमेटी द्वारा तैयार रिपोर्ट ‘सोशल, इकोनॉमिक एंड एजुकेशन स्टैटस ऑफ मुस्लिम कम्यूनिटी’ से भी समझा जा सकता है। आम समझ है कि इनके बीच शिक्षा का स्तर सुधरने के साथ ही इनकी सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व शैक्षिक स्थिति बेहर होती जाएगी। डब्ल्यूसीएल के बड़े ओहदे से सेवानिवृत्त तथा मुस्लिम युवाओं को उच्च शिक्षा व नौकरी के लिए प्रेरित करने का एक संस्था के साथ मिलकर काम करने वाले गुलाम कादिर कहते हैं, ‘‘ मुस्लिम युवाओं का शिक्षा के प्रति रूझाान पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है। वे मान चुके हैं कि बैगर उच्च शिक्षा के वे अपना, अपनी कौम, समाज एवं देश के कल्याण में भागीदार नहीं बन सकते। इस सोच के कारण मुस्लिम युवाओं की विभिन्न स्तर की परीक्षाओं न केवल हिस्सेदारी बढ़ी है, परिणाम भी अच्छा देने लगे हैं। इस कड़ी में यूपीएससी परीक्षा भी है। हालांकि ऐसे प्रयासों के बावजूद अभी भी मुसलमानों में शिक्षा के स्तर में खासा सुधार की आवश्यकता है। यह कौम अभी भी दलितों से तालीम में पीछे हैं। एक आंकड़े के अनुसार, सेकेंडरी स्तर की शिक्षा में मुसलमानों का प्रतिशत 71.9, एससी-ओबीसी का 79.8, हायर सेकंडरी में मुसलमान 48.3 व दलित 52.8 प्रतिशत हैं। इसी तरह उच्च शिक्षा में दलित का प्रतिशत 17.8 व मुसलमानों का 14. 4 है। इसके बावजूद नफरती गैंग को देश के मुस्लिम का आगे बढ़ता नहीं सुहा रहा है। ‘सुदर्शन न्यूज’ चैनल चलाने वाले जैसे लोग चाहते हैं कि मुसलमान मुहताजी की जिंदगी जीते रहें।
मुकदमा बेहतर इलाज
क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कोई कुछ भी अनर्गल बक सकता है ? क्या समाज में वैमन्य फैलाने वाले ‘सुदर्शन न्यूज’ जैसे बेलगाम मीडिया पर नकेल की जरूरी नहीं ? मुस्लिम प्रशासनिक अधिकारियों की नियत,कर्मठता, निष्ठा एवं ईमानदारी पर उंगली उठाने वाले चैनल के कार्यक्रम का प्रोमो देखकर लोग ऐसे सवाल उठा रहे हैं। ऐसे कार्यक्रम पर सबसे पहले यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन, जामिया मिलिया प्रशासन एवं आईएएस एसोसिएशन को मुकदमा दर्ज कराना चाहिए ! चैनल यूपीएससी की पूरी चयन प्रक्रिया को संदेह में घसीटने की फिराक में। कार्यक्रम प्रशासनिक अधिकारियों की निष्ठा पर भी सवाल है। इस बार जामिया के 25 छात्र यूपीएससी एक्जाम क्लेयर करने में कामयाब रहे। यूनिवर्सिटी यूपीएससी परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की सहायता के लिए मुफ्त कोचिंग कैंप उपलब्ध कराती है। सुदर्शन चैनल के कार्यक्रम के प्रोमो में उन्हें ‘जामिया के जिहादी’ बताया गया है। इस शब्दावली के इस्तेमाल को लेकर भी इसके खिलाफ मानहानि का केस बनता है। हालांकि मुस्लिम प्रशासनिक अधिकारियों की निष्ठा पर प्रश्न उठाने वाले शायद भूल गए कि सैयद अकबरुद्दीन जैसा एक मुस्लिम आईएफएस इस समय यूएन में स्थायी प्रतिनिधि बनकर न केवल भारत की मान, प्रतिष्ठा व अलमबरदारी को बुलंदी दिए हुए है, दुश्मन देश चीन-पाकिस्तान की हर कूटनीतिक चाल का मुंह तोड़ जवाब भी दे रहा है। दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर के डीएसपी दविंदर सिंह जैसे अधिकारी आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहेदीन से सांठ गांठ कर देश का भंटाधार करने में लगे हैं।
मलिक असगर हाशमी
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