Sudarshan News अतिउत्साह चौहाणके पर कहीं भारी न पड़ जाए, आ सकते हैं कानून की गिरफ्त में
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बच्चों को नादिया जैसा बड़ा प्रशासनिक अधिकारी बनाने का सपना देख वाले चौकन्ने रहें। उनके सपने में पलीता लगाने के लिए कोई है जो अलग प्रोफाइल तैयार कर रहा है।
सुदर्शन न्यूज़ चैनल के संचालक सुरेश चौहाणके को अतिउत्साह कहीं भारी न पड़ जाए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उन्हें ‘यूपीएससी जिहाद’ पर ‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम करने की अनुमति दे दी है, पर इस चेतावनी के साथ कि कानून का उल्लंघन होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मंत्रालय से अनुमति मिलने के तुरंत बाद न्यूज़ चैनल ने शुक्रवार को विवादास्पद कार्यक्रम के प्रसारण का ऐलान कर दिया।
सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने तकरीबन पखवाड़े भर पहले ‘यूपीएससी जिदाहाद’ कार्यक्रम प्रसारित करने की घोषणा की थी। चैनल के मुखिया ने कार्यक्रम से पहले एक टीजर जारी किया था। वह इतना आपत्तिजनक था कि आईपीएस एसोसिएशन सहित कई आईएएस,आईपीएस अधिकारी एवं अन्य समाजिक संगठन विरोध में खड़े हो गए। कार्यक्रम के प्रसारण से कुछ देर पहले देश की नंबर एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के दिल्ली हाई कोर्ट चले जाने से इसपर रोक लगा दिया गया। इस मामले में सुदर्शन न्यूज़ के मुखिया चौहाणके कहते हैं-‘‘ हाई कोर्ट ने सुदर्शन पर हिंदुस्थान सरकार की राय मांगी थी, सरकार ने प्रसारण पूर्व रोक लगाने पर मना किया है। सुप्रीम कोर्ट का पहले ही यह निर्णय था। अब शुक्रवार को रात आठ बजे नौकरशाह जिहाद पर ऐतिहासिक बिंदास बोल होगा।’’ इस बारे में दिल्ली दंगे में शामिल होने का आरोप झेल रहे बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर आदेश की कॉपी का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर साझा किया है। मिश्रा लिखते हैं-‘‘केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सुरेश चौहाणके को ‘पीएससी जिहाद’ पर शो करने की अनुमति दे दी है। मंत्रालय ने कहा कि किसी कार्यक्रम के खिलाफ कार्रवाई पर प्रसारण होने के बाद विचार किया जा सकता है।’’
चौहाणके और मिश्रा का अर्धसत्य
मगर मिश्रा एवं चौहाणके सूचना देते समय गटक गए कि प्रसारण मंत्रालय के निदेशक जेसी अरोन ने कार्यक्रम में कानून के उल्लंघन पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। मिश्रा ने अपने ट्वीट के साथ आदेश की कॉपी के अंत के दो प्वाइंट साझा किए हैं। बाकी आठ प्वाइंट में क्या कहा गया, उसे स्पष्ट नहीं किया। जाहिर है, ऐसा इस लिए किया कि चौहान जिसे ‘सत्यमेव जयते’ बता रहे, आदेश की कॉपी में उनके लिए कई और सख्त निर्देश हों। अधिवक्ता अरूण कुमार त्रिपाठी चैनल के विवादास्पद कार्यक्रम पर कहते हैं-‘‘स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए नफरत फैलाने वाले ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेना चाहिए। उन्हें बीजेपी से शह मिली हुई है।’’
नरेंद्र मोदी जकात फाउंडेशन की कर चुके हैं तारीफ
सुदर्शन न्यूज़ का ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम कितना ऐतिहासिक होने वाला है इसकी झलक लोगों को मिल चुकी है। चौहाणके ने अपने ट्वीट में जब पहली बार #‘जकात फाउंडेशन’ का जिक्र किया था, तभी समझ आ गया था कि कार्यक्रम के बहाने मुसलमानांे की उन संस्थाओं पर हमले की तैयारी है , जहां कोचिंग देकर मुस्लिम बच्चों को बड़ी प्रतियोगी परीक्षओं के लिए तैयार किया जाता है। ऐसी संस्थाओं पर पहले से कट्टर वादियों की नजरे है। मुसलमानों के फितरा-जकात से चलने वाले ‘जकात फाउंडेशन‘ से सर्वाधिक मुस्लिम बच्चे यूपीएससी एक्जाम क्रैक करते हैं। संस्था से कोचिंग लेकर कश्मीर के शाह फैसल आईएएस टॉपर बने। 1997 में स्थापित इस संस्था से कोचिंग लेने वाले तकरीबन 15 से 20 बच्चे प्रत्येक वर्ष यूपीएससी की कड़ी परीक्षा में सफल होते हैं। फाउंडेशन आर्थिक रूप से कमजोर या यतीम बच्चों को कोचिंग देता है। इसके अलावा भी संस्था कई तरह के सामाजिक कार्यक्रम करती है। इसके कार्यों की तारीफ नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं।
कार्यक्रम के सुतली बम का अंदेशा
सुदर्शन न्यूज़ के प्रोमो में जामिया के छात्रों को ‘जिहादी’ बताया गया है। यूनिवर्सिटी की कुलपति कहती है इस बार उनके 30 बच्चे यूपीएससी में चुने गए, जिनमें 14 गैर मुस्लिम हैं। चौहाणके के ट्वीट एवं प्रोमो से स्पष्ट है कि वह अपने कार्यक्रम में इस यूनिवर्सिटी पर भी निशाना साधने का इरादा रखते हैं। जकात फाउंडेशन के एक सदस्य का कहीं से एक पुराना वीडिया ढूंढा गया है जिसमें वह कई ऐसी बातें करते दिखते हैं, जिसे एक वर्ग विशेष को नागवार गुजर सकता है। सवाल है कि किसी ऐसे शख्स के बयान के आधार पर पिछले 23 वर्षों से समाज सेवा में लगी संस्था को जिहादी संगठन करार दिया जा सकता है ? फाउंडेशन से दिल्ली के अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जफरूल इस्लाम भी जुड़े हैं। एक ट्वीट के चलते इस वक्त वह देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं। जामिया एवं अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्र इस लिए कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं, क्यों कि वे सरकार की नीतियों के मुखर विरोधी रहे हैं। शाह फैसल नौकरी छोड़ कर अभी कश्मीर की सियासत कर रहे, जिसे एक वर्ग पसंद नहीं करता। इस बार यूपीएसी में कामयाबी हासिल करने वालों में सबसे कमउम्र उम्मीदवार नादिया बेग हैं, जो कश्मीरी हैं। वह जामिया की छात्रा रही हैं। कट्टरवादी उनकी कामयाबी से भी चिढ़े हुए हैं। उन्हें देशद्रोही एवं सरकार विरोधी साबित करने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाते रहे हैं। एनडीटीवी इंडिया की निधि कुलपति को इंटरव्यू में नादिया कह चुकी हैं कि इसके लिए उनके फेक एकाउंट का इस्तेमाल किया गया। बहरहाल, चौहाणके की मंशा से वाकिफ होने के कारण आम समझ है कि उनका बिंदास बोल निश्चित ही निष्प्रभावी रहने वाला है। यही नहीं अधिक उत्साह दिखाने के चक्कर में कानून की गिरफ्त में भी आ सकते हैं।
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संपादक