एम्स्टर्डम में फुटबॉल के नाम पर नरसंहार का समर्थन: इजरायली प्रशंसकों की हिंसा ने बढ़ाई चिंता
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शाहरूख सैई , एम्स्टर्डम, नीदरलैंड
पिछले साल अक्टूबर में गाजा पर इजरायल के हमले के बाद से पश्चिमी देशों का इजरायल समर्थक रुख लगातार चर्चा में है. पश्चिमी देशों ने न केवल गाजा में इजरायली कार्रवाई का समर्थन किया है बल्कि युद्ध-विरोधी प्रदर्शनकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की है. हाल ही में एम्स्टर्डम में हुए एक फुटबॉल मैच के दौरान इजरायली समर्थकों की हिंसक गतिविधियों ने फिर से इस पक्षपाती रवैये की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है.
एम्स्टर्डम के जोहान क्रूफ एरिना में मैकाबी तेल अवीव और अजाक्स एम्स्टर्डम के बीच यूरोपा लीग फुटबॉल मैच से पहले और बाद में इजरायली प्रशंसकों ने फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों पर हमला किया. इजरायली समर्थकों ने फिलिस्तीन के झंडे फाड़े, “आतंकवादी” जैसी अपमानजनक टिप्पणियाँ की और फिलिस्तीनियों के नरसंहार का समर्थन जताया.
दंगे और गिरफ्तारी
शहर के डैम स्क्वायर पर इकट्ठा हुए फिलिस्तीन समर्थकों पर इजरायली समर्थकों ने हमला किया, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया. पुलिस ने स्थिति संभालने के लिए सैकड़ों सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया और कई लोगों को हिरासत में लिया. एम्स्टर्डम नगर परिषद के सदस्य जैजी वेल्डुइज़ेन ने बताया कि हिंसा की शुरुआत इजरायली प्रशंसकों की ओर से हुई थी.
उन्होंने कहा, “मैकाबी तेल अवीव के समर्थकों ने फिलिस्तीनी झंडों के साथ घरों पर हमला किया, जिससे विरोध हुआ..” उन्होंने डच पुलिस पर इजरायली प्रशंसकों के पक्ष में कार्रवाई का आरोप भी लगाया, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ी.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और विरोधाभास
घटना के बाद डच प्रधानमंत्री और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस घटना की निंदा की. डच प्रधानमंत्री ने इसे यहूदी-विरोधी हमला करार देते हुए फिलिस्तीन समर्थकों की आलोचना की, जबकि नेतन्याहू ने इसे “इजरायली नागरिकों पर अत्यधिक हिंसा” बताया. इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय से बयान जारी कर डच सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की गई.
हालांकि, फिलिस्तीनी फुटबॉल संघ (पीएफए) ने इस घटना को “नस्लवाद और इस्लामोफोबिया” का प्रतीक बताया और फीफा व यूईएफए से इजरायली समर्थकों के आक्रामक व्यवहार पर कड़ी कार्रवाई की मांग की. पीएफए ने इजरायली क्लबों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भाग लेने पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि इजरायल की गतिविधियाँ अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करती हैं.
पश्चिमी दोहरे मापदंड और नेतन्याहू की चाल
गाजा पर इजरायली हमलों के बावजूद, यूरोप और अमेरिका में इजरायली टीमों और उनके समर्थकों को समर्थन दिया जाता रहा है. पेरिस 2024 ओलंपिक में इजरायल की भागीदारी के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन और याचिकाएँ दायर की गईं, लेकिन इन पर कोई असर नहीं हुआ.
वहीं रूस और बेलारूस को यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक खेलों से प्रतिबंधित कर दिया गया है. इस दोहरे मापदंड ने पश्चिमी देशों की पक्षपाती नीति को उजागर कर दिया है.
गुरुवार को हुई घटना को नेतन्याहू ने यहूदी विरोधी हमला बताकर अपने फायदे के लिए उपयोग किया. उन्होंने इजरायली नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए दो सैन्य विमानों को तैनात किया, हालाँकि यह कदम बाद में रद्द कर दिया गया.
इस तरह की सैन्य कार्रवाई से नेतन्याहू यह संदेश देना चाहते हैं कि इजरायल ही यहूदियों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है. इसके अलावा, इन घटनाओं का लाभ उठाते हुए नेतन्याहू गाजा और लेबनान में अपने हमलों को जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं.
पश्चिमी देशों के दोहरे मापदंड
एम्स्टर्डम में इजरायली प्रशंसकों की हिंसक हरकतें पश्चिमी देशों के दोहरे मापदंड और इजरायली सरकार की चालबाजियों को उजागर करती हैं. गाजा युद्ध की शुरुआत से ही दुनिया भर में लोग इजरायली हमलों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, लेकिन पश्चिमी सरकारें इसे यहूदी-विरोधी के रूप में दिखाकर उन आवाज़ों को दबाने का प्रयास कर रही हैं.