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भड़काऊ बयान से बिफरा सुप्रीम कोर्ट, दुबे पर दर्ज हो सकती है अवमानना याचिका

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

भारतीय जनता पार्टी के झारखंड से सांसद निशिकांत दुबे एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। अपनी बड़बोली शैली के लिए पहचाने जाने वाले दुबे ने इस बार सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ ऐसी टिप्पणी कर दी है कि अब उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू होने की संभावनाएं बन गई हैं।

🧨 क्या कहा निशिकांत दुबे ने?

निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी पर नाराजगी जताई, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समयसीमा तय करने की बात की गई थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दुबे ने कहा कि:

सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है और देश में हो रहे गृहयुद्धों के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।

⚖️ अब क्या होगा?

उनकी इस टिप्पणी के बाद एक एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (AOR) ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को पत्र लिखकर निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी है।

पत्र में कहा गया है कि दुबे की यह टिप्पणी न केवल “गहरी अपमानजनक” है, बल्कि “खतरनाक रूप से भड़काऊ” भी है। उन्होंने जानबूझकर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद को बदनाम किया और सार्वजनिक असंतोष और अराजकता भड़काने की कोशिश की।

पत्र में “न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा पर गंभीर हमला” बताते हुए दुबे के खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम, धारा 15(1)(बी) के तहत कार्रवाई की मांग की गई है।


📢 भाजपा ने पल्ला झाड़ा, नड्डा हो रहे ट्रोल

दुबे के इस बयान के बाद पार्टी की मुश्किलें बढ़ गईं, और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को सामने आकर सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि:

यह बयान पार्टी की आधिकारिक राय नहीं है, बल्कि निशिकांत दुबे की व्यक्तिगत राय है। भाजपा इससे सहमत नहीं है।

हालांकि नड्डा की यह सफाई सोशल मीडिया पर खुद भाजपा समर्थकों के निशाने पर आ गई। ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म पर उन्हें #नड्डा_की_मोटी_बुद्धि जैसे ट्रेंड्स के साथ ट्रोल किया जा रहा है। खास बात यह है कि ये ट्रोलिंग भाजपा समर्थकों की ओर से ही हो रही है, जो दुबे के पक्ष में खड़े हैं।


📌 एक और विवाद: वक्फ अधिनियम पर भी विवादित बयान

यह भी आरोप लगाया गया है कि निशिकांत दुबे ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में भी सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण करने वाले बयान दिए हैं। इससे मामला और भी संवेदनशील हो गया है।


🧾 न्यायपालिका पर हमला या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता?

वकील का कहना है कि कोई भी सांसद या नेता, देश की न्यायपालिका को इस तरह से निशाना नहीं बना सकता। दुबे ने मुख्य न्यायाधीश को गृहयुद्ध का दोषी बताकर सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाई है, जिससे जनता में भ्रम और अविश्वास फैल सकता है।


🔍 आगे की राह

अगर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी इस अनुरोध को स्वीकार कर लेते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट में निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की सुनवाई शुरू हो सकती है – जो किसी भी सांसद के लिए गंभीर स्थिति होती है।


निशिकांत दुबे पहले भी कई बार विवादों में रहे हैं, लेकिन इस बार मामला सीधा देश की सर्वोच्च अदालत और मुख्य न्यायाधीश से जुड़ा है, इसलिए इसकी कानूनी और राजनीतिक दोनों प्रभाव दूरगामी हो सकते हैं।