रिजवी की ओछी हरकत और इस्लाम विरोधियों पर सुप्रीम कोर्ट का करारा तमाचा
इस्लाम से गुमराह और मुसलमानों और मजहब पर उल्टी-सीधी टिप्पणी करने वाले सैयद वसीम रिजवी की याचिका खारिज कर सुप्रीम कोर्ट ने उनके मुंह पर तमाचा मारा है, जो रिजवी के कंधे पर बंदू रखकर कुरान शरीफ पर निशाना साधने की फिराक में
थे. वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कुरान की 26 आयतों को यह कहकर कुरान शरीफ से अलग करने की मांग की थी कि इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है. आतंकवादी इससे प्रेरित होकर देश-दुनिया में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे ही लोगों से एक खुद को संत कहने वाला एक व्यक्ति इनदिनों पैगंकर इस्लाम मोहम्मद साहब पर निरंतर ओछी टिप्पणी करने में लगा है. मगर देश की सुप्रीम अदालत ने वसीम रिजवी के मामले में फैसला देकर उनके साथ तमाम इस्लाम विरोधियों के मुंह पर करारा तमाचा लगाया है. इससे देश के मुसलमानों की सुप्रीम कोर्ट के प्रति आस्था और गहरी हुई है.
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने उप्र शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें पवित्र कुरान से 26 आयतों को हटाने की मांग की गई थी. साथ ही कोर्ट ने रिजवी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
रिजवी ने कोर्ट में दलील दी थी कि इन 26 आयतों से आतंकवाद को बढ़ावा मिला है. लोग इन आयतों से प्रभावित होकर आतंकी बनते हैं.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को याचिका खारिज कर दिया. न्यायधीश रोहिंटन फली नरीमन, बीआर गवई और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने याचिका को ‘ओछा’ करार देते हुए रिजवी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके हड़कंप मचा दिया था. इस याचिका पर मुस्लिम जगत में काफी नाराजगी जाहिर की गई.
कुरान से 26 आयतें हटाने की याचिका में रिजवी ने कहा था कि ये आतंक को बढ़ावा देती हैं. इन आयतों में कत्लो-गारद, कट्टरपन और नफरत फैलाने वाली बातें कही गई हैं. कुछ लोगों और संस्थाओं द्वारा इन आयतों का मुस्लिम युवाओं को बरगाने के लिए उपयोग किया जा रहा है. इससे देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता पर संकट छाया हुआ है.
उन्होंने याचिका में इन आयतों को असंवैधानिक करार देने और निष्प्रभावी करने की मांग की थी.उनका दावा है कि इन आयतों को कुरान में बाद में जोड़ा गया है और ये आयतें कुरान का मूल हिस्सा नहीं हैं.
उन्होंने याचिका में दलील दी है कि उन्होंने अपने सवाल और बातों को देश के 56 पंजीकृत इस्लामिक संस्थानों के समक्ष रखा था और उनसे इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा था, लेकिन उनकी बात का जवाब नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि उलेमा उनकी बात नहीं सुन रहे हैं. इसलिए उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा.
उन्होंने मांग की थी कि इस पर राय रखने के लिए धार्मिक विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाए.
याचिका के बाद से ही मुस्लिम तंजीमों, व्यक्तियों और स्कॉलरों की ओर से लगाातार सख्त विरोध दर्ज करवाया गया है, बल्कि तभी से मुस्लिम संस्थाओं द्वारा लगातार धरना और प्रदर्शन किए जा रहे हैं.
कई लोगों ने रिजवी के खिलाफ मौत के फतवे भी जारी किए हैं. रिजवी के खिलाफ देश भर में कई स्थानों पर एफआईआर भी दर्ज की गई हैं. यहां तक कि रिजवी की मां और भाई सहित उनके कई रिश्तेदारों ने संबंध विच्छेद कर लिया था.