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सैयद ऐनुल हसन और फारूक अहमद मीर को देश का प्रतिष्ठित पद्म श्री 2025 सम्मान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

हर साल की तरह इस बार भी गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है. 139 विशिष्ट हस्तियों को इस साल विभिन्न क्षेत्रों में उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा. इस सूची में केवल 3 मुसलमानों के नाम शामिल हैं – सैयद ऐनुल हसन,बेगम बतूल और फारूक अहमद मीर.

पद्म पुरस्कार का महत्व

1954 में शुरू किए गए पद्म पुरस्कारों का उद्देश्य कला, साहित्य, शिक्षा, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा, सार्वजनिक सेवा, और अन्य क्षेत्रों में असाधारण सेवा देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करना है.

  • पद्म विभूषण: असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए.
  • पद्म भूषण: उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए.
  • पद्म श्री: किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए.

इन पुरस्कारों के लिए सिफारिशें पद्म पुरस्कार समिति करती है, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा हर साल गठित किया जाता है। पुरस्कारों को राष्ट्रपति भवन में एक औपचारिक समारोह में राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है, जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल में होता है.

अब जानते हैं इन दोनों पद्म श्री विजेताओं के बारे में विस्तार से.

सैयद ऐनुल हसन: शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) के कुलपति और प्रतिष्ठित विद्वान सैयद ऐनुल हसन को शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया है.

सैयद ऐनुल हसन का शैक्षिक और शोध कार्य उल्लेखनीय है. वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली के फ़ारसी और मध्य एशियाई अध्ययन विभाग के प्रोफेसर रह चुके हैं. अपने लंबे शिक्षण करियर के दौरान उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय, जेएनयू और कॉटन कॉलेज स्टेट यूनिवर्सिटी के लिए पाठ्यक्रम तैयार किए.

उनके प्रमुख कार्यों में अफगान संसाधन केंद्र की स्थापना शामिल है, जो भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल थी. इसके माध्यम से भारत-अफ़गान रिश्तों को मजबूती मिली.

उनके असाधारण कार्यों को पहले भी सराहा गया है. 2017 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मान प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया था. उनकी विद्वत्ता और नेतृत्व के चलते उर्दू भाषा और साहित्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिली है.

फारूक अहमद मीर: कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट पहचान

जम्मू-कश्मीर के निवासी फारूक अहमद मीर को कला के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया है.

फारूक अहमद मीर का कला के प्रति जुनून और उनका समर्पण उन्हें देश के अन्य कलाकारों से अलग करता है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और लोक कलाओं को संरक्षित और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनके कार्यों ने राज्य की पहचान को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दी है.

उनके अलावा, जम्मू-कश्मीर के साहित्य और शिक्षा क्षेत्र में ललित कुमार मंगोत्रा को भी इस साल पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है.

बेगम बतूल: राजस्थान की मांड गायिका

बेगम बतूल, राजस्थान की प्रसिद्ध गायिका, कला के क्षेत्र में अपने विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित हुई हैं. वे मीरासी समुदाय से आती हैं और उन्हें राजस्थान में “भजनों की बेगम” के नाम से जाना जाता है.

बेगम बतूल भगवान राम और भगवान गणेश के भजन गाने के लिए प्रसिद्ध हैं. उनकी आवाज न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही गई है. उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ट्यूनीशिया, इटली, स्विट्जरलैंड, और जर्मनी जैसे देशों में अपनी मांड गायकी का प्रदर्शन किया है.

बेगम बतूल का जीवन संघर्षों से भरा रहा. उन्होंने पांचवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी और मात्र 16 साल की उम्र में उनकी शादी फिरोज खान से हो गई, जो पेशे से बस कंडक्टर थे. उनके तीन बेटे थे और गरीबी के बावजूद उन्होंने अपने परिवार का हौसला बनाए रखा.

पिछले पांच वर्षों से, बेगम बतूल यूरोप के सबसे बड़े होली महोत्सव में प्रस्तुति दे रही हैं. उन्हें फ्रांस और ट्यूनीशिया की सरकारों द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। उनकी कहानी प्रेरणा और दृढ़ संकल्प की मिसाल है.

पद्म पुरस्कारों की व्यापकता

पद्म पुरस्कारों का दायरा बेहद व्यापक है. इनसे कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक सेवा, विज्ञान, चिकित्सा, खेल, साहित्य और सिविल सेवा सहित कई क्षेत्रों को कवर किया जाता है.

पद्म पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की जाती है। यह पुरस्कार भारतीय समाज के उन असाधारण व्यक्तियों को सम्मानित करता है, जिन्होंने अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त की है और समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ा है.

इस साल सैयद ऐनुल हसन और फारूक अहमद मीर जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाना भारतीय समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है. इन पुरस्कारों के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि कला, साहित्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में योगदान देने वाले व्यक्तियों का महत्व कितना अधिक है.

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इन पुरस्कारों की घोषणा से न केवल इन महान विभूतियों को सम्मान मिला है, बल्कि उनकी उपलब्धियों ने देशवासियों को गर्व और प्रेरणा से भर दिया है.

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