बारह वर्षों की मेहनत के बाद हिंदी में लॉन्च हुआ तफ़हीमुल क़ुरआन ऐप
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण समारोह में मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी की प्रसिद्ध तफसीर तफ़हीमुल क़ुरआन के हिंदी ऐप का शुभारंभ किया गया. इस ऐतिहासिक आयोजन की अध्यक्षता जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने की.
आधुनिक तकनीक से इस्लामी शिक्षा का प्रसार
इस्लामी साहित्य ट्रस्ट द्वारा तैयार किए गए इस ऐप का उद्देश्य पवित्र क़ुरआन के हिंदी अनुवाद और व्याख्या को डिजिटल माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाना है. अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने इस परियोजना के लिए ट्रस्ट और ऐप डेवलपर यूसुफ अमीन की सराहना की. उन्होंने कहा, “मौलाना मौदूदी ने इस तफ़सीर की रचना के लिए कई भाषाएँ सीखीं और गहन अध्ययन किया. हमारा दायित्व है कि इस ज्ञान को हिंदी भाषी समुदाय तक पहुँचाएँ.”
ऐप के विशेष फीचर्स
कार्यक्रम के दौरान ट्रस्ट के सचिव वारिस हुसैन ने समारोह का परिचय देते हुए ऐप का पोस्टर जारी किया. अमीर जमाअत ने लिंक पर क्लिक कर ऐप को औपचारिक रूप से लॉन्च किया. ऐप के डेवलपर यूसुफ अमीन ने इसके फीचर्स की जानकारी दी. ऐप में पवित्र क़ुरआन का पूरा पाठ, हिंदी अनुवाद और तफ़सीर शामिल हैं. उपयोगकर्ता अनुवाद और व्याख्या को पढ़ने के साथ-साथ अनुवाद को सुन भी सकते हैं.
हिंदी अनुवाद में 12 वर्षों की मेहनत
तफ़हीमुल क़ुरआन का हिंदी अनुवाद मौलाना नसीम अहमद गाजी फलाही ने किया है. उन्होंने साझा किया कि छह खंडों के इस अनुवाद में 12 वर्ष लगे. इसमें न केवल शब्दों की व्याख्या शामिल है, बल्कि हदीसों के संदर्भ भी दिए गए हैं.
विचारों और बधाइयों का आदान-प्रदान
कार्यक्रम में इमारत-ए-शरिया बिहार के पूर्व नाजिम और ऑल इंडिया नेशनल काउंसिल के उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर रहमान कासमी ने अनुवाद के महत्व पर जोर दिया. इस कार्य को एक बड़ी उपलब्धि बताया. जमाअत के शरिया काउंसिल के राष्ट्रीय सचिव डॉ. रज़ी-उल-इस्लाम नदवी ने इसे “सदक़ा-ए-जारिया” करार दिया..
भविष्य की योजनाएँ और डिजिटल उपलब्धता
यह ऐप एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है. इसे “तफ़हीमुल क़ुरआन हिंदी” नाम से प्ले स्टोर पर खोजा जा सकता है. ट्रस्ट ने भविष्य में अन्य धार्मिक पुस्तकों को भी डिजिटल रूप में लाने की योजना बनाई है.
इस्लामी साहित्य ट्रस्ट का यह प्रयास न केवल पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं को व्यापक स्तर पर पहुँचाने का साधन है, बल्कि डिजिटल युग में इस्लामी तालीम को एक नई दिशा देने का अहम कदम भी है.