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तालिबान के विदेश मालों के कार्यवाहक मंत्री मुत्ताकी का दावा, अफगानिस्तान में आर्थिक संकट मात्र दुष्प्रचार

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, काबुल

अफगानिस्तान में तालिबान के कार्यवाहक विदेश मामलों के मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान को लेकर अलग-अलग तरह से दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है.इसमें देश की अर्थव्यवस्था पहले की तुलना में कमजोर होने का दावा भी शामिल है.

हज करके लौटे कुछ इस्लामिक अमीरात के अधिकारियों के अभिनंदन समारोह में बोलते हुए, मुत्ताकी ने कहा कि पहले पैसा युद्ध आपूर्ति और हथियारों पर खर्च किया जाता था. अब इसका उपयोग परियोजनाओं को सिरे चढ़ाने पर किया जा रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि पहले युद्ध अर्थव्यवस्था थी. चार मिलियन नशेड़ियों को नशीले पदार्थ उपलब्ध कराना भी एक अर्थव्यवस्था मानी जाती थी. यह अर्थव्यवस्था देश और उसके भविष्य के खिलाफ थी. अब अर्थव्यवस्था युद्ध हो गई है, जिससे देश में क्रांति आएगी.

कार्यवाहक विदेश मंत्री ने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रतिबंधों और मौजूदा अफगान सरकार पर दबाव के बावजूद, देश में अफगान मुद्रा का मूल्य स्थिर है. बुनियादी परियोजनाओं के ढांचे के कार्यान्वयन पर जोर देने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.

मुत्ताकी ने आगे कहा, आपके पैसे को स्थिरता दी गई है. सीमाएं खुली हुई हैं. कोई भी व्यापार कर सकता है. कोई अकाल नहीं है. इन सभी प्रतिबंधों और दबावों के बावजूद, यह हमारी उपलब्धि है.डोलो न्यूज के अनुसार,कुछ विश्लेषकों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता में कमी को देश के आर्थिक संकट के कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण माना है.

एक राजनीतिक विश्लेषक मारिज ने कहा, गणतंत्र सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था बेहतर थी, जिसका मतलब है कि तब कोई आर्थिक संकट नहीं था. अफगानिस्तान में विदेशों से बहुत सारा पैसा आ रहा था. दूसरी बात, मादक पदार्थों की तस्करी ज्यादातर घरेलू और विदेशी माफियाओं के हाथों में थी.

एक अर्थशास्त्री अजेरख्श हाफिजी ने कहा, पहले अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बैंकों, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अन्य वैश्विक वित्तीय संस्थानों जैसे वैश्विक क्रेडिट संस्थानों के समक्ष विदेशी निवेश और व्यापार को आकर्षित करने के लिए पहलकदमी करनी होगी. अफगानिस्तान को अभी एक उपयुक्त, वैध राजनीतिक मंच और आर्थिक विकास की आवश्यकता है.

मुत्तकी का बयान ऐसे समय में आया है जब अंतरराष्ट्रीय मानवीय संगठन और संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में आर्थिक और मानवाधिकार की स्थिति पर बार-बार चिंता जाहिर की है.