परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की वीरता अब एनसीईआरटी की पुस्तकों में
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
अब स्कूली छात्र एनसीईआरटी की पुस्तकों में ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ और ‘वीर अब्दुल हमीद’ पर आधारित सामग्री पढ़ सकेंगे. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, कक्षा 6 की पाठ्य पुस्तकों में ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ पर एक कविता और ‘वीर अब्दुल हमीद’ पर एक अध्याय जोड़ा गया है.
अब्दुल हमीद भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर यूनिट में कार्यरत थे और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान खेमकरण सेक्टर के आसल उत्ताड़ में अपनी वीरता से दुश्मन के पैटन टैंकों को नष्ट करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. उनके इस बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
वीर हमीद पर दैनिक जागरण अखबार विस्तृत रिपोर्ट छाप चुका है. उक्त रिपोर्ट के अनुसार,वीर अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में 1 जुलाई, 1933 में हुआ था.
बचपन में ही उन्होंने भारतीय सेना का हिस्सा बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था. इनके पिता पेशे से दर्जी थे.आर्मी का हिस्सा बनने से पहले वो अपने पिता की मदद करते थे. हालांकि, इसमें उन्हें खास दिलचस्पी नहीं थी. उनकी दिलचस्पी लाठी चलाने, कुश्ती करने और निशानेबाजी में थी.
पत्ते खाकर जिंदा रहे वीर हमीद
20 साल की उम्र में अब्दुल हमीद ने वाराणसी में भारतीय सेना की वर्दी पहनी. ट्रेनिंग के बाद उन्हें 1955 में 4 ग्रेनेडियर्स में पोस्टिंग मिली. 1962 की लड़ाई के दौरान उनको 7 माउंटेन ब्रिगेड, 4 माउंटेन डिवीजन की ओर से युद्ध के मैदान में भेजा गया.
उनकी पत्नी रसूलन बीबी ने बताया कि शादी के बाद यह उनका पहला युद्ध था, जिस दौरान वह जंगल में भटक गए थे और कई दिनों बाद घर लौटे थे। रसूलन बीबी ने यह भी बताया कि उस दौरान हामिद ने पत्ते खाकर खुद को जिंदा रखा था.
युद्ध के 10 दिन पहले छुट्टी पर आए थे हमीद
8 सितंबर, 1965 को अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के केमकपण सेक्टर में तैनात थे. युद्ध के 10 दिन पहले ही वो छुट्टी पर अपने घर गए थे. इसी बीच, पाक की ओर से तनाव बढ़ने लगा, जिसके बाद सभी जवानों को ड्यूटी पर वापस बुलाया गया.
कहा जाता है कि वापसी की तैयारियों के दौरान उनके साथ कई अपशगुन हुए थे, जिसके कारण उनका परिवार उन्हें जाने से मना कर रहा था, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में शामिल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के तहत इन विषयों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य छात्रों में देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा और बलिदान की भावना को प्रोत्साहित करना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में नई दिल्ली के इंडिया गेट परिसर में स्थित ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ का उद्घाटन किया था, जो देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को समर्पित है.रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय की इस पहल का उद्देश्य युवाओं को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना है.