असम के मुख्यमंत्री मुस्लिम विरोधी ! बाल विवाह के नाम पर 2,000 लोगों की गिरफ्तारियों को लेकर ओवैसी और अजमल ने उठाए सवाल
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, गुवहाटी / नई दिल्ली
असम के मुख्यमंत्री का पिछले एक साल का कार्यकाल बेहद विवादास्पद रहा है. आतंकवाद के नाम पर मदरसों को ध्वस्त करने, मस्जिदों एवं मदरसों को लेकर विवादास्पद नियम बनाने, अतिक्रमण के नाम पर मुस्लिम आबादी को उजाड़ने जैसी अनेक कार्रवाईयांे को लेकर अब मुख्यमंत्री सरमा की कार्यशाली पर न केवल उंगली उठाने लगी है, एक तबके ने उन्हें मुस्लिम विरोधी करार दे दिया है.
ताजा मामले में बाल विवाह के नाम पर दो हजार से अधिक गिरफ्तारियांे के चलते अब उनके विरूद्ध मोर्चाबंदी शुरू हो गई है. एआईएमआईएम अध्यक्ष ओवैसी और यूडीआईएफ के प्रधान बदरूद्दीन अजमल ने अमस सरकार की इस कार्रवाई पर गहरी चिंता जताई ही है. अजमल ने कहा कि सरकार की यह कार्रवाई दरअसाल, मुसलमानांे को परेशान करने के लिए है.
अॉल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को असम सरकार द्वारा बाल विवाह के खिलाफ की गई कार्रवाई पर चिंता जताई.
ओवैसे के गंभीर सवाल
शनिवार यहां संवाददाता सम्मेलन में हैदराबाद के सांसद ने सवाल उठाए, “उन लड़कियों का क्या होगा जिनकी शादी हो चुकी है? असम सरकार ने 4000 केस दर्ज कर लिए हैं और 4000 और बुक करने की बात कर रही है. ऐसे में उन बच्चियों की देखभाल कौन करेगा? तू उन पर विपत्तियों का पहाड़ खड़ा कर रहा है.” उन्होंने असम के मुख्यमंत्री की कार्रशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा,आप छह साल से सरकार में हैं, इसलिए यह राज्य की विफलता है. आपने राज्य में और स्कूल क्यों नहीं बनाए हैं.
उन्होंने भाजपा पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार निचले असम में लोगों को जमीन नहीं दे रही है.यह सरकार मुसलमानों के खिलाफ पक्षपाती है. उन्होंने ऊपरी असम में भूमिहीन लोगों को जमीन दी, लेकिन निचले असम में लोगों को नहीं दी. इसके बजाय वे बड़ी संख्या में लोगों को बेदखल कर रहे हैं.उन्हांेने कहा,हम संसद में कुछ मुद्दे उठाना चाहते हैं, लेकिन सरकार संसद को चलने नहीं दे रही है.
कार्रवाई का आधार एनएफएचएस-5
इस बीच बताया गया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के पांचवें दौर की राष्ट्रीय रिपोर्ट को आधार बनाकर असम महिलाओं के बाल विवाह (18 वर्ष से कम आयु) के मामलों में वृद्धि को देखते हुए, हिमंत बिस्वा सरमा सरकार बाल विवाह के खिलाफ नकेल कस रही है. असम पुलिस ने बाल विवाह की घटनाओं में शामिल राज्य भर में 2258 लोगों को गिरफ्तार किया है.पुलिस ने कहा कि उनके पास 8,000 आरोपियों की सूची है. जैसे-जैसे अभियान जारी रहेगा, आंकड़े बढ़ेंगे.
बता दें कि यह अभियान गुरुवार की रात मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के साथ एक वीडियो-कॉन्फ्रेंस बैठक के शुरू किया गया. बताया गया कि विवाह की कुरीति से छुटकारा दिलाने के लिए यह कार्रवाई शुरू की गई है. 5 मई, 2022 को स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2019 और 2020 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) की पांचवीं रिपोर्ट जारी की थी.
रिपोर्ट में बाल विवाह की शिकायत
रिपोर्ट में पाया गया कि असम में 20-24 उम्र की 31.8 फीसदी महिलाओं की शादी नाबालिग उम्र या 18 साल से पहले कर दी गई. यह राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत से भी अधिक है.इन 31.8 प्रतिशत महिलाओं में से आधे से अधिक (50.8 प्रतिशत) मामले अॉल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के सांसद बदरुद्दीन अजमल के संसदीय क्षेत्र धुबरी से थे.
सरकार के अनुसार, राज्य में बाल विवाह से महिलाओं में किशोर गर्भावस्था होती है, जिससे मातृ मृत्यु होती है.असम पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, बिश्वनाथ में 139, धुबरी में 126, बक्सा में 120, बारपेटा में 114, नगांव में 97, होजई में 96, कोकराझार में 94, बोंगईगांव में 87, करीमगंज में 79, हैलाकांडी में 76 लोगों को बाल विवाह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
सोया सरकारी तंत्र
असम पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह ने कहा कि राज्य भर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों पर बाल विवाह से संबंधित 4,074 मामले दर्ज किए गए हैं.
इस बीच, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि आने वाले दिनों में राज्य में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी. हालांकि सरमा या पुलिस महकमा के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि ‘तेज तर्रार’ सरकार में बाल विवाह होता रहा है और यह सोई कैसे रही ? तब क्या सारे सूचना तंत्र ठप पड़ गए थे. असम सरकार को अचानक आतंकवाद और बाल विवाह रोकने का विचार कैसे आते हंै ?
मुसलमानों को सताने के लिए है कदम, गिरफ्तारियों पर बोले बदरुद्दीन अजमल
उधर, आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीआईएफ) के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल बाल विवाह के नाम पर हजारों लोगों की गिरफ्तारियां से बेहद खफा हैं. उन्होंने कहा कि यह सब मुसलमानों को सताने के लिए किया जा रहा है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक असम के धुबरी से सांसद अजमल ने कहा, ‘‘ सीएम हिमंत बिस्वा सरमा साहब कभी-कभी अचानक ख्वाब देखते हैं कि बहुत दिन हो गया मैंने मुसलमानों को नहीं सताया. वह नींद से उठते हैं. इसके बाद शुरू कर देते हैं कि किन-किन योजनाओं से मुसलमानों को सता सकते हैं.’’
कितनी गिरफ्तारी हुई?
असम पुलिस ने बाल विवाह के खिलाफ व्यापक मुहिम के तहत शुक्रवार (3 फरवरी) को अब तक 1,800 लोगों को गिरफ्तार किया है. अब तक सबसे अधिक 136 गिरफ्तारियां धुबरी से हुई हैं, जहां सबसे अधिक 370 मामले दर्ज हुए हैं. इसके बाद बारपेटा में 110 और नागांव में 100 लोग अरेस्ट हुए. अजमल ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत 2007 में ही बाल विवाह को दंडनीय अपराध बनाया गया था, लेकिन असम सरकार ने इसे लेकर एक दिन के लिए भी कोई अभियान नहीं चलाया.
मुसलमान विरोधी है
एआईयूडीएफ के अध्यक्ष अजमल ने कहा कि इसमें 90 प्रतिशत लड़के-लड़कियां मुसलमान हैं. ये एक तरफा गिरफ्तारी है. ये हमें मालूम है. इनका मिजाज मुसलमान विरोधी है. बीजेपी-आरएसएस का इनपर दबाव होगा. उन्होंने कहा कि इस तरीके से अरेस्ट नहीं करना चाहिए.
क्या करना चाहिए था?
सांसद अजमल ने कहा कि प्रदेश सरकार को कम से कम पूरे असम में 30-40 दिन तक अभियान चलाना चाहिए था. मीडिया के जरिए लोगों को बताना था और जागरूकता फैलानी थी. उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को चेतावनी देते. उसके बाद फिर आप कार्रवाई करते. जिन लोगों की पहले शादियां हो चुकी हैं, उन लोगों का क्या करेंगे आप? ऐसे पकड़ते रहेंगे तो लाखों की संख्या में लोग गिरफ्तार हो जाएंगे. ये तो गलत बात है. उन्होंने कहा कि एक तारीख तय करते. कोई वार्निंग नहीं, कोई अभियान नहीं. सिर्फ इसलिए कि मुसलमानों को सताना है, वो करेंगे.
अभियान चलाते रहे हैं
अजमल ने कहा कि कम उम्र में लड़कियों की शादी के वह स्वयं सख्त विरोधी हैं और अपने संसदीय क्षेत्र में इसे लेकर अभियान भी चलाते रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि इस मसले पर उनका आगे क्या रुख रहेगा, एआईयूडीएफ नेता ने कहा कि वह इस बारे में अपने लोगों से राय मश्विरा करने के बाद ही कुछ कदम उठाएंगे.
क्या मामला है?
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम से इतर मीडिया से कहा था कि राज्य भर में शुक्रवार (3 फरवरी) सुबह से मुहिम शुरू की गई और यह अगले तीन से चार दिन तक जारी रहेगी. राज्य मंत्रिमंडल ने 23 जनवरी को यह फैसला किया था कि बाल विवाह के दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा. साथ ही व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा. इस घोषणा के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4,004 मामले दर्ज किए हैं.
सीएम ने क्या कहा था?
सीएम सरमा ने कहा कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और 14-18 साल की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा. अगर लड़के की उम्र भी 14 साल से कम होगी तो उसे सुधार गृह भेजा जाएगा क्योंकि नाबालिगों को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता.
क्या कानून है?
साल 2006 में, संसद ने 1929 के अधिनियम और उसके बाद के संशोधनों को निरस्त करते हुए बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 पारित किया. वर्तमान कानून- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 तीन उद्देश्य को पूरा करता है. बाल विवाह की रोकथाम, बाल विवाह में शामिल बच्चों की सुरक्षा और अपराधियों पर मुकदमा चलाना. इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में से एक यह है कि इस अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध संज्ञेय और गैर -जमानती है.
असम से मिल रही खबरें बताती हैं कि ऐसे शादीशुदा मर्दों को भी गिरफ्तार किया गया जिनके बालिग होने में कुछ-एक महीने ही शेष बचे थे.