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अतीक के कातिलों का इतिहासः रोजमर्रा के अपराध से अपना नाम बनाने तक

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,लखनऊ

एक ड्रग एडिक्ट जिसके भाई अब पुजारी हैं, एक बच्चा जो घर से भाग गया था. गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने वाले तीन लोगों में से दो को उनके पड़ोसी और परिवार इस तरह याद करते हैं.युवकों ने पुलिस को बताया कि शनिवार को उन्होंने दुस्साहसिक हमला किया, जबकि दोनों भाइयों को मेडिकल जांच के लिए पुलिस ले जा रही थी. हत्यारे अपराध की दुनिया में अपना नाम बनाना चाहते थे.

कथित हमलावर बांदा के लवलेश तिवारी (22), हमीरपुर के मोहित उर्फ ​​सनी (23) और कासगंज के अरुण मौर्य (18) को अहमद बंधुओं के साथ गए पुलिसकर्मियों ने गिरफ्तार किया.

लवलेश तिवारी

क्रॉस फायरिंग में तिवारी घायल हो गया, जिसमें एक पुलिसकर्मी भी घायल हो गया. हमलावरों ने एक टीवी पत्रकार का रूप धारण किया और गोलीबारी की.एक बांदा निवासी, जो नाम नहीं बताना चाहता था, ने मीडियाकर्मियों को बताया कि तिवारी का परिवार बदमाश बेटे के विपरीत था, जिसे उन्होंने ड्रग एडिक्ट भी बताया.

उनका परिवार हमारा पड़ोसी रहा है. परिवार सादा है. उनके दो भाई पुजारी हैं जबकि एक अभी पढ़ाई कर रहा है. लवलेश अपराध में रहा है और कई बार जेल जा चुका है. वह पहले भी छेड़खानी के एक मामले में जेल जा चुका है.पड़ोसी ने दावा किया, उसकी महत्वाकांक्षा अपराध की दुनिया में बड़ा नाम कमाने की थी.

मोहित उर्फ ​​सन्नी

हमीरपुर में सन्नी के भाई पिंटू ने कहा कि उसे नहीं पता कि वह अपराध में कैसे आ गया.मेरा भाई कुछ नहीं करता था. इधर-उधर घूमता था. उनके खिलाफ कुछ मामले दर्ज हैं, लेकिन मुझे इसकी जानकारी नहीं है.उसने बताया, हम तीन भाई थे, जिनमें से एक की पहले मौत हो चुकी है. मुझे नहीं पता कि सनी अपराध में कैसे आ गई. वह कई साल पहले घर से भाग गया था. कल क्या हुआ, इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं.

एक पड़ोसी ने बताया कि सनी करीब 10 साल से इलाके में नहीं रह रहा है.वह कुरारा का रहने वाला है. जवानी में सामान्य था. झगड़े के बाद वह जेल चला गया, जिसके बाद उसकी मानसिकता बदल गई. उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा. कुछ घटनाओं के बाद, कुरारा छोड़ दिया. वह करीब एक साल तक हमीरपुर जेल में रहा.

कुरारा के एसएचओ पवन कुमार पटेल ने पीटीआई को बताया कि सनी के खिलाफ 14 मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या और डकैती के प्रयास के साथ मादक पदार्थ कानून और शस्त्र अधिनियम के तहत अपराध शामिल हैं.पहला मामला 2016 में दर्ज किया गया था. सबसे हाल ही में 2016 में प्रयागराज शूटआउट से पहले.

अरुण मौर्य

कासगंज में अरुण मौर्य के पड़ोसियों ने घटना पर हैरानी जताई.कथित शूटर के माता-पिता की मौत हो चुकी है. उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि उनके दो भाई दिल्ली में कबाड़ का कारोबार करते हैं.उन्होंने यह भी दावा किया कि गांव में कोई नहीं जानता कि मौर्य क्या करते हैं और कहां रहते थे. वह भी करीब एक दशक पहले गांव छोड़कर चला गया था.

पुलिस ने तीन लोगों पर हत्या और हत्या के प्रयास के अलावा आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. शूटिंग स्थल से कम से कम दो आग्नेयास्त्र बरामद किए गए.प्राथमिकी के मुताबिक, आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे अतीक अहमद के गिरोह का सफाया कर अपना नाम बनाना चाहते हैं और अपनी पहचान बनाना चाहते हैं.

प्राथमिकी के अनुसार, उन्होंने कहा कि पुलिस की त्वरित कार्रवाई के कारण वे बच नहीं सके.जब से हमें अतीक और अशरफ की पुलिस हिरासत के बारे में पता चला, हम उनकी हत्या करने की योजना बना रहे थे. इसलिए हमने पत्रकारों के रूप में खुद को पेश किया और जब हमें सही मौका मिला, तो हमने ट्रिगर खींच लिया और योजना को अंजाम दिया.

पुलिस ने कहा कि तीनों हमलावर पत्रकारों के समूह में शामिल हो गए थे, जो दोनों गैंगस्टरों से साउंड बाइट लेने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अचानक अपना कैमरा गिरा दिया और अपनी बाहें फैला दीं.