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इस्लाम, कुरान और रसूल के नजरिए से रोशनी का महत्व

जो यह समझते हैं कि घरों को रोशन करना, दीये जलाना और घरों को झालरों से सजाना ही प्रकाश है या उगते सूरत से आनी वाली रोशनी ही रोशनी है तो उन्हें इस्लाम का गहराई से अध्ययन करना चाहिए. तब समझ में आएगा जिसे हम रोशनी कहते हैं वह दरहकीकत है क्या और असल रोशनी किसे कहते हैं ?

इस्लाम में “प्रकाश” केवल भौतिक रोशनी तक सीमित नहीं है; बल्कि यह एक आध्यात्मिक मार्गदर्शन और ईमान का प्रतीक भी है. अल्लाह ने अपने एक नाम “अन-नूर” के माध्यम से इस विशेष गुण को दर्शाया है, जिसका अर्थ है “प्रकाश का स्रोत.” कुरान में विभिन्न आयतें हैं जो अल्लाह को आकाश और धरती का प्रकाश कहती हैं और बताती हैं कि यह दिव्य प्रकाश सच्चे मार्ग पर ले जाने वाला है. आइए जानते हैं, इस्लाम, कुरान और रसूल अल्लाह द्वारा बताए गए प्रकाश के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में.

सूरत अन-नूर में अल्लाह का प्रकाश

कुरान की सूरत अन-नूर (24:35) में अल्लाह को “आसमान और धरती का प्रकाश” कहा गया है. इस आयत में अल्लाह के प्रकाश को एक दीये के समान बताया गया है, जो एक चमकते हुए काँच के भीतर जलता है. यह दीपक एक धन्य जैतून के तेल से जलता है जो पूर्व और पश्चिम का नहीं है. इस प्रकाश का उदाहरण दिखाता है कि कैसे यह अल्लाह का मार्गदर्शन किसी भी दिशा की सीमा में नहीं बंधता.

आयत में यह भी कहा गया है, “अल्लाह जिसे चाहता है, उसे अपने प्रकाश की ओर मार्गदर्शन करता है.” यह प्रतीक है कि अल्लाह का प्रकाश मानव हृदय में ईमान के रूप में बसता है और सत्य, सच्चाई और दिशा की ओर ले जाता है.

प्रकाश की गहरी समझ और ज्ञान

सूरा अन-नूर की इस आयत में “प्रकाश पर प्रकाश” का ज़िक्र है. इस संदर्भ में, कुरान में गहराई से ज्ञान प्राप्त करने का आशय यह है कि इस्लाम में विभिन्न आयतें एक-दूसरे की व्याख्या करती हैं. उदाहरण स्वरूप, आयत 30:24 में अल्लाह बिजली का वर्णन करते हैं, जो एक ही समय में डर और उम्मीद को जन्म देती है. यह प्रकाश के विविध पहलुओं को दर्शाता है, जो मार्गदर्शन के साथ चेतावनी और सुरक्षा का भी प्रतीक है.

मानव जाति और प्रकाश का संबंध

पैगम्बरों के माध्यम से प्रकाश का आना

इस्लाम में, पैगम्बरों को ईमान के प्रकाश के साथ भेजा गया ताकि वे मानव जाति को सत्य के मार्ग पर प्रेरित कर सकें. आयत 21:48 में मूसा और हारून को “फुरकान” और एक “प्रकाश” के रूप में भेजा गया, जो बुराई से बचाने का मार्गदर्शक है. इसी प्रकार, आयत 5:46 में ईसा मसीह (अलैहिस्सलाम) और मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को भी “प्रकाश” के रूप में वर्णित किया गया है.

कुरान यह दर्शाता है कि पैगम्बर अपने अनुयायियों को सत्य और मार्गदर्शन के लिए प्रेरित करने और अंधकार से निकालने के लिए एक दिव्य प्रकाश बनकर आए थे.

कुरान और फ़रिश्तों का प्रकाश से संबंध

कुरान को एक “प्रकाश” कहा गया है, क्योंकि यह मार्गदर्शन और दिशा देने वाला है. इसके अलावा, फ़रिश्ते भी, जो प्रकाश से बने हैं, अल्लाह की दया और कृपा का संदेश मानव जाति के पास लाते हैं. आयत 33:43 में कहा गया है, “वही है जो तुम पर अपनी कृपा भेजता है और उसके फ़रिश्ते भी, ताकि वह तुम्हें घोर अंधकार से निकालकर प्रकाश में ले आए.” यह दर्शाता है कि कुरान और फ़रिश्ते दोनों ही प्रकाश का स्रोत हैं, जो मानवता को अल्लाह की ओर लाने में सहायक हैं.

कुरान का प्रकाश और उसकी शक्ति

कुरान की अनेक आयतें इस्लाम को प्रकाश के रूप में प्रस्तुत करती हैं, जो ईमान और मार्गदर्शन का प्रतीक है. आयत 5:16 में उल्लेख है कि “अल्लाह उसी के द्वारा उसे मार्गदर्शित करता है जो उसकी इच्छा का अनुसरण करना चाहता है…” यह प्रकाश इंसान को अंधकार से बाहर निकालकर सीधे मार्ग पर ले जाता है. इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि जो लोग अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखते हैं, उन्हें इस्लाम का प्रकाश प्राप्त होता है, जो उन्हें अच्छे कार्यों और सच्चाई की दिशा में प्रेरित करता है.

आस्तिक के लिए स्वर्ग का प्रकाश

कुरान में यह भी बताया गया है कि ईमानवालों के लिए स्वर्ग में प्रकाश है। आयत 57:12 में कहा गया है, “उस दिन तुम ईमानवाले पुरुषों और ईमानवाली महिलाओं को उनके आगे-आगे दौड़ते हुए देखोगे और उनके दाहिने हाथ पर.” यह आयत उन ईमान वालों का उज्ज्वल भविष्य दर्शाती है, जो अच्छे कार्यों के कारण स्वर्ग में प्रकाश और सुकून के साथ रहेंगे.

ईमान और रोशनी की रक्षा का आशीर्वाद

इस्लाम में प्रकाश को एक अनमोल आशीर्वाद माना गया है. यह न केवल ईमान और अच्छाई की ओर ले जाने वाला है, बल्कि यह मनुष्य को शैतान के प्रलोभनों से भी बचाता है. आयत 57:19 में कहा गया है, “जो लोग अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए, वही अपने रब के नज़दीक सच्चे और ईमानवाले हैं; उन्हें उनका इनाम और उनकी रौशनी मिलेगी.”

इस्लाम में “प्रकाश” एक मार्गदर्शन, आस्था और आध्यात्मिक दिशा का प्रतीक है. यह न केवल ईमान की सुरक्षा में सहायक है बल्कि यह मनुष्य को सच्चाई, अच्छाई और स्वर्ग के मार्ग पर ले जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.