मुगल गार्डन का नाम बदल कर किया ‘ अमृत उद्यान’, क्या लालकिला और ताजमहल का नाम भी बदलेगा ? जानिए मुगल उद्यान शैली के बारे में
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
गुलामी की निशानी समझे जाने वाले मुगल गार्डन का नाम शनिवार को बदल दिया गया. अब राष्ट्रपति भवन के उद्यानों को अमृत उद्यान के नाम से जाना जाएगा. बताया गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता के 75 वर्षों के उत्सव को आजादी के रूप में चिह्नित करने के लिए अमृत उद्यान के रूप में उद्यानों को एक सामान्य नाम दिया है.
हालांकि, प्रधानमंत्री नरंेद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर लालकिला के प्राचीर से तिरंगा फहराते समय देश से गुलामी की तमाम निशानियां मिटाने के आहवान के बाद यह नामकरण सामने आया है. उसी के बाद मुगल गार्डन का नाम बदला गया है.
राष्ट्रपति की उप प्रेस सचिव नविका गुप्ता ने बताया कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के समारोह के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर, भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन उद्यान को अमृत उद्यान के रूप में एक सामान्य नाम दिया है, राष्ट्रपति भवन के बगीचों में मुगल गार्डन भी शामिल है. अमृत उद्यान आम जनता के लिए 31 जनवरी को खुलेगा.
मुगल गार्डन टाटा बाय बाय गया 🚩 pic.twitter.com/tX7kHC9wRu
— अक्स (@VickyAarya007) January 28, 2023
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति भवन के सभी उद्यानों की सामूहिक पहचान अमृत उद्यान से होगी.उन्होंने कहा, पहले वर्णनात्मक पहचान होती थी, अब बगीचों को एक नई पहचान दी गई है.राष्ट्रपति भवन के बगीचों में ईस्ट लॉन, सेंट्रल लॉन, लॉन्ग गार्डन और सर्कुलर गार्डन शामिल हैं. पूर्व राष्ट्रपतियों डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और राम नाथ कोविंद के कार्यकाल में हर्बल, टैक्टाइल गार्डन, बोनसाई गार्डन और आरोग्य वनम नाम से बगीचे विकसित किए गए थे.
मुगला गार्डन का नाम बदले जाने के बाद अब लोग लालकिला और ताजमल जैसी ऐतिहासिक इमारत की ओर देख रहे हैं. चूंकि इसे मुगलबादशाहों ने बनाया है, इसलिए लोगों को इन भव्य इमारतों के नाम बदले जाने का खतरा है.
जानिए मुगल गार्डन के बारे में
मुगल उद्यान उद्यानों की खास शैली है. इसका उद्गम इस्लामी मुगल साम्राज्य में हुआ था. यह शैली फारसी बाग एवं तैमूरी बागों से प्रभावित है. आयताकार खाकों के बाग एक चारदीवारी से घिरे होते हैं. इसके खास लक्षण हैं, जिनमें फव्वारे, झील, सरोवर, इत्यादि शामिल हैं.
मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर या तैमूर ने इस शैली को चारबाग कहा था. इस शब्द को भारत में नया अर्थ मिला, क्योंकि बाबर ने कहा था, कि भारत में, इन बागों के लिए तेज बहते स्रोत नहीं हैं, जो कि अधिकतर पर्वतों से उतरी नदियों में मिलते हैं. जब नदी दूर होती जाती है, धारा धीमी पड़ती जाती है. आगरा का रामबाग इसका प्रथम उदाहरण माना जाता है. भारत एवं पाकिस्तान (तत्कालीन भारत) में मुगल उद्यानों के अनेक उदाहरण हैं. इनमें मध्य एशिया बागों से काफी भिन्नता है, क्योंकि यह बाग ज्यामिति की उच्च माप का नमूना हैं.