सवाल टेढ़े हैं, जवाब नहीं है, बुरी फंसी सरकार
जफर आगा
पिछले कुछ दिनों में देश की राजनीति ने खतरनाक मोड़ ले लिया है. अब इस देश में प्रधानमंत्री से कोई सवाल नहीं कर सकता. अगर उसने ऐसा करने की हिम्मत की तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री से पूछा कि उनका अडानी से क्या संबंध है, तभी राहुल चैंक गए. इससे पहले सूरत की एक अदालत ने उनकी लोकसभा सदस्यता खारिज कर दी. फिर एक महीने के भीतर ही राहुल गांधी जैसी शख्सियत को सरकारी बंगला खाली करना पड़ा. ऐसा ही कुछ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ हुआ. उन्होंने प्रधानमंत्री से अपनी बीए की डिग्री देश को भेंट करने के लिए कहा, जिसका वह दावा करते हैं. सिर्फ दो दिनों के भीतर केजरीवाल को सीबीआई ने बुलाया और 9 घंटे तक पूछताछ की.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को भी कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा. हुआ यह था कि मलिक ने एक इंटरव्यू में कहा कि यह हमारी गलती थी कि 2019 में कश्मीर में सीआरपीएफ के जवान मारे गए. सत्यपाल मलिक का कहना है कि जब सीआरपीएफ को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की बात आई तो उन्होंने खुद तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह से गुहार लगाई कि गृह मंत्रालय इस काम के लिए एक विमान मुहैया कराए ताकि सुरक्षा बल सुरक्षित रहें. लेकिन जहाज नहीं मिले. पाकिस्तानी आतंकवादियों ने आखिरकार फायदा उठाया. पुलवामा में बम विस्फोट के जरिए सीआरपीएफ जवानों को मार डाला. तब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट एयर स्ट्राइक करनी पड़ी. सत्यपाल मलिक का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को फोन पर बताया कि ये जवान हमारी गलती की वजह से मारे गए हैं, इसपर प्रधानमंत्री ने उनसे चुप रहने का आग्रह किया. ऐसा शायद इस वजह से हो सकता है कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बालाकोट एयर स्ट्राइक को खेल दिखाया. इस साक्षात्कार के ठीक दो दिन बाद, सत्यपाल मलिक को सीबीआई द्वारा पूछताछ के लिए नोटिस दिया गया.
अब स्थिति यह है कि देश में राहुल गांधी से लेकर नीचे तक कोई भी प्रधानमंत्री के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल सकता. उसने हिम्मत की तो उसे कीमत चुकानी पड़ेगी. सवाल यह है कि ऐसी कौन सी बात है कि कोई प्रधानमंत्री से इस तरह के सवाल नहीं पूछ सकता? लेकिन क्यों! जाहिर सी बात है कि किसी बात पर पर्दा पड़ा हुआ है, तभी उसका फल प्रश्नकर्ता को भोगना पड़ता है. जो भी हो, मुद्दा यह है कि इस देश में अभी भी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है. भले ही इसे खोखला कर दिया गया हो, फिर भी देश में चुनाव को रोका नहीं जा सकता. अगला लोकसभा चुनाव साल 2024 में होना तय है. जाहिर है कि विपक्ष इस चुनाव में सरकार से इन्हीं सवालों का जवाब मांगेगा. यानी ये तीन सवाल अब अगले चुनाव के सबसे अहम मुद्दे बन गए हैं. पहला सवाल यह है कि अडानी आखिर मोदी की तरह दिखते हैं! दूसरा, प्रधानमंत्री के पास बीए की डिग्री है या नहीं और अगर है तो क्या उन्हें अपनी डिग्री सार्वजनिक करनी चाहिए. तीसरा सवाल है कि क्या पुलवामा सरकार की गलती की वजह से हुआ. ये तीन सवाल अब बीजेपी के लिए उल्टी चाल बन गए हैं. कारण यह है कि सरकार के पास इनमें से किसी भी सवाल का जवाब नहीं है. तभी सवाल पूछने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. यह देश की राजनीति के लिए खतरनाक मोड़ है. विपक्ष ने तय किया है कि वह इन तीन सवालों का जवाब सरकार से मांगता रहेगा. सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि वह सवाल करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.
यानी इन सवालों को उठाकर सरकार मुश्किल में पड़ गई है. उनके पास अब एक ही विकल्प बचा है कि वे विपक्ष पर सख्ती करें, लेकिन इससे सरकार की चिंता कम नहीं हो रही है. इस रणनीति से बीजेपी को भारी नुकसान हो रहा है. सबसे पहले विपक्षी नेता जो अभी तक 2024 के चुनाव के लिए एक साथ बैठने को तैयार नहीं थे, अब विपक्षी गठबंधन को लेकर काफी गंभीर हो गए हैं. दूसरी ओर, जब सरकार विपक्षी नेताओं के साथ सख्ती बरत रही है, तब भी चेन्नई में स्टालिन का विपक्षी सम्मेलन बहुत सफल रहा. बैठक में लगभग हर भाजपा विरोधी दल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस बात पर सहमति व्यक्त की कि विपक्षी एकता आवश्यक है. उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ममता बनर्जी और केजरीवाल से विपक्षी गठबंधन पर चर्चा की. दोनों नेताओं का रुख इस मामले में काफी सकारात्मक रहा. यानी इस बात की संभावना बहुत साफ हो गई है कि अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को एकजुट विपक्ष का सामना करना पड़ेगा.ऐसा होता है तो 2024 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए मुश्किल भरा हो सकता है.
सच तो यह है कि सरकार के पास विपक्ष के सवालों के जवाब नहीं हैं. अब वह केवल विपक्षी नेताओं के खिलाफ ही सख्त उतर सकती हैं. विपक्ष जितना सख्त होगा विपक्षी गठबंधन उतना ही मजबूत होगा. बीजेपी को चुनावी नुकसान होगा. यानी सवालों के जवाब नहीं हैं और सरकार बुरी तरह फंस गई है.
-कौमी आवाज से साभार