Culture

अमजद खान की अनकही कहानी: गब्बर सिंह के परे

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

अमजद खान को मुख्य रूप से ‘शोले’ में गब्बर सिंह के किरदार के लिए याद किया जाता है, लेकिन यह उन्हें केवल एक भूमिका तक सीमित करना अनुचित होगा. जैसे दिलीप कुमार को केवल ‘देवदास’ के लिए याद करना.

अमजद खान की मृत्यु 27 जुलाई 1991 को 51 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, या शायद यह दिल टूटने की वजह थी. वे शराब नहीं पीते थे. परोपकारी और उदार थे. सुपर-वर्सटाइल एक्टर जयंत के इस बहुमुखी बेटे को फिल्म इंडस्ट्री ने कभी न्याय नहीं किया.

अमजद खान को मुख्य रूप से ‘शोले’ के लिए याद किया जाता है, लेकिन उन्होंने कई अन्य उल्लेखनीय प्रदर्शन किए हैं. केवल खलनायक की भूमिका में ही नहीं. सत्यजीत रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में एक मूर्ख नवाब और फिरोज खान की ‘कुर्बानी’ में एक हास्य पुलिस अधिकारी के रूप में उनकी भूमिकाएं लाजवाब थीं.

‘याराना’ में उन्होंने अपने दोस्त अमिताभ बच्चन के साथ कदम से कदम मिलाया और ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में रेखा के अवांछित प्रेमी की भूमिका बहुत ही दिल से निभाई.

अमजद को फिल्म उद्योग में जगह पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. ‘शोले’ उन्हें इसलिए मिली क्योंकि डैनी डेन्जोंगपा ने भूमिका ठुकरा दी थी. अमजद ने भूमिका पाने के लिए जी-जान से संघर्ष किया. उस समय, वे इतने कंगाल हो चुके थे कि उनके पास अपने पहले बेटे शादाब के जन्म के बाद अपनी पत्नी को अस्पताल से छुट्टी दिलाने के लिए पैसे नहीं थे. निर्देशक चेतन आनंद ने उनकी मदद की थी.

गब्बर सिंह की भूमिका ने उनकी ज़िंदगी बदल दी, लेकिन पूरी तरह से अच्छे तरीके से नहीं. वह इस भूमिका से इतने जुड़े हुए थे कि उन्हें सार्वजनिक समारोहों में गब्बर सिंह के नाम से पुकारा जाता था.

रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में अमजद खान की नवाब की भूमिका में कहीं ज़्यादा निपुणता थी. यह देखना दुखद है कि रे के दोनों मुख्य किरदार संजीव कुमार और अमजद खान की ही युवावस्था में दिल के दौरे से मृत्यु हो गई.

शूटिंग के बीच में अमजद की कार दुर्घटना हो गई, और रे ने खान की जगह लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने अमजद के ठीक होने का धैर्यपूर्वक इंतजार किया.

कुछ अपवाद भी थे. जैसे शशि कपूर की ‘उत्सव’ जिसमें अमजद ने कामसूत्र के लेखक वात्स्यायन की भूमिका बहुत उत्साह से निभाई थी. कुमार गौरव की पहली फिल्म ‘लव स्टोरी’ में अमजद पुलिस कांस्टेबल की भूमिका में बहुत मजेदार थे. ‘याराना’ में वे हर तरह से बच्चन के दोस्त थे.

बच्चन-अमजद की दोस्ती क्यों खत्म हुई, इसके बारे में कई सिद्धांत हैं. अमजद खान की असामयिक मृत्यु के कई साल बाद अमिताभ बच्चन ने राम गोपाल वर्मा की ‘शोले’ की रीमेक में गब्बर खान का किरदार निभाया.
अमजद के बेटे शादाब ने भविष्यवाणी की थी कि यह एक आपदा होगी, और वह सही थे. कोई भी गब्बर सिंह की बराबरी नहीं कर सकता, अमजद खान भी नहीं.