त्रिपुरा पर सवाल कई हैं
मुस्लिम नाउ, नई दिल्ली / अगरतला
बांग्लादेश में मंदिर और दुर्गा पूजा पंडालों पर कुछ सिरफिरे द्वारा हमला कर नुकसान पहुंचाने के जवाब में
त्रिपुरा में मस्जिदों, मुसलमानों के मकानों एवं दुकानों पर कट्टरवादी हिंदू संगठनों द्वारा हमला किए जाने की खबर क्या वाकई फर्जी है ? वहां के मुसलमानों के साथ कोई ज्यादती नहीं हुई ? जली हुई मस्जिदों, कुरान की तस्वीरों जो सोशल मीडिया पर चल रही हैं, वो फर्जी हैं ? वहां की घटना को बयान करने वाली दो महिला पत्रकार एवं वकील किसी साजिश के तहत त्रिपुरा के बारे में गलत जानकारी दे रहे थे इसलिए उन पर मुकदमा किया गया ? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिसने सभ्य और तटस्थ समाज में चिता घोल दिया है.
यदि त्रिपुरा सरकार और पुलिस सही कह रही है तो भ्रम फैलाकर देश में अशांति फैलाने वाले कौन हैं ? यदि सब कुछ साजिश के तहत किया जा रहा है तो ऐसे लोगों को अब तक बेनकाब क्यों नहीं किया गया है ? या कुछ लोगों या संगठनों को बचाने की साजिश हो रही है ? जब तक ऐसे सवालों के जवाब सामने नहीं आएंगे या कोई तठस्थ ग्रुप त्रिपुरा का दौरा कर स्थिति स्पष्ट नहीं करेगा, तब तक न केवल ऐसे वाल उछलते रहेंगे,बल्कि महाराष्ट्र की तरह कुछ लोगों को त्रिपुरा और बांग्लादेश की आड़ में हिसंक कार्रवाई को अंजाम देने का मौका मिलता रहेगा.
बहरहाल, त्रिपुरा पुलिस ने रविवार को रिकॉर्ड छुपाकर समुदायों के बीच कथित नफरत पैदा करने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार की गयी दिल्ली की दो महिला पत्रकारों को सोमवार को त्रिपुरा के गोमती जिला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने जमानत दे दी. पत्रकार समृद्धि के. सकुनिया और स्वर्णा झा के लिए जमानत की मांग करने वाले वरिष्ठ वकील पीयूष कांति बिस्वास ने कहा कि अदालत ने 75,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दी और उन्हें मंगलवार को काकराबन थाने में रिपोर्ट करने को कहा.
बिस्वास ने कहा, ‘‘मैंने अदालत से कहा है कि जरूरत पड़ने पर पुलिस पत्रकारों से पूछताछ कर सकती है.‘‘त्रिपुरा पुलिस के अनुरोध पर असम के करीमगंज जिले में पुलिस ने सकुनिया और झा को हिरासत में लिया. त्रिपुरा पुलिस की एक टीम तब असम गई और उन्हें गोमती जिले में लाने से पहले रविवार रात को गिरफ्तार कर लिया.
त्रिपुरा पुलिस के एक बयान में रविवार को कहा गया कि दोनों पत्रकार गुरुवार को राज्य में आई थीं और उनके खिलाफ रविवार को काकराबन पुलिस स्टेशन में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत ‘मनगढ़ंत सामग्री परोसकर समुदायों के बीच नफरत पैदा करने‘ का मामला दर्ज किया गया था. एक आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिए रिकॉर्ड आदि को छुपाया गया, जैसा कि समृद्धि सकुनिया के ट्विटर पोस्ट से पता चला है.
‘‘अमरावती और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में हाल की हिंसा की स्थिति को सांप्रदायिक घटना के नतीजे को देखते हुए यह स्पष्ट हो गया है कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व त्रिपुरा में सांप्रदायिक घटना को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.‘‘बयान में कहा गया है कि पुलिस ने दोनों पत्रकारों से उनके वीडियो में दिखाई देने वाले दस्तावेजों को साझा करने के लिए कहा, लेकिन अगरतला आने के बजाय, दोनों पत्रकार असम की ओर भाग गई.
बयान में कहा गया है कि वे उत्तरी त्रिपुरा जिले के पॉल बाजार में सांप्रदायिक नफरत फैलाने में भी शामिल पाई गईं और उनके खिलाफ फातिकरॉय पुलिस स्टेशन में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एक अन्य मामला भी दर्ज किया गया.
फातिकरॉय पुलिस थाने ने दोनों को नोटिस जारी कर 21 नवंबर तक जांच एजेंसी के समक्ष अपनी सुविधानुसार पेश होने को कहा.
सकुनिया और स्वर्णा झा एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क के लिए काम करती हैं.