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‘मुस्लिम अधिकार दिवस’ की नहीं, मुसलमानों की मूल समस्याएं दूर करने की है जरूरत

राजनीतिक दलों ने मुसलमानों को सियासी फुटबॉल बना दिया है. जिसे देखिए सत्ता पाने के लिए गेंद अपने पाले में करने की कोशिश में रहता है. अब केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास ने ऐलान किया है कि 1 अगस्त को मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाया जाएगा.

इसकी वजह  बताई कि 1 अगस्त 2019 के दिन तीन तलाक या तलाके बिद्दत को कानूनी अपराध घोषित किया गया था.

साथ ही दावा किया गया कि इस कानून के बनने से तीन तलाक की घटनाओं में न केवल कमी आई बल्कि मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के आत्म निर्भरता, आत्म सम्मान, आत्म विश्वास को पुख्ता कर उनके संवैधानिक-मौलिक-लोकतांत्रिक एवं समानता के अधिकारों को सुनिश्चित किया है.

सुनने में यह बातें बहुत अच्छी लगती हैं. काश ऐसा होता भी. मगर हकीकत इसके विपरीत है. अपवाद स्वरूप कुछ मामलों को छोड़ दें तो तीन तलाक कभी भारतीय मुसलमानों के लिए बड़ा मसला था ही नहीं. इस समुदाय की सबसे बड़ी समस्या है सत्ता में भागीदारी, सुरक्षा और तालीमी व आर्थिक स्तर पर पिछड़ापन. बेकारी और बेरोजगारी भी. मगर सरकारों के पास इन समस्याओं का कोई ठोस हल नहीं है.

मुसलमनों के कल्याणा के नाम पर अपनी पार्टी के कुछ लोगों को पद देकर ढींढोरा पीटा जाता है कि फलां पार्टी की सरकार में अल्पसंख्यकों के हित में बड़ा काम हो रहा है.

इनदिनों संघ और इसका सियासी मंच बीजेपी भी मुसलमानों के नाम पर बड़ा राग अलाप रही है. मगर कोई पूछे कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में केवल मुख्तार अब्बास नकवी क्यों हैं ? कुछ और मुसलमानों को मंत्रिमंडल में जगह क्यों नहीं दी गई ? मुख्तार अब्बास नकवी को महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं देने की आखिर क्या वजह है ?

रहा सवाल मुस्लिम महिलाओं के अधिकार दिवस का. इन पंक्तियों का लेखक आज ही यूट्यूब पर एक वीडियो देख रहा था. पाठकों के लिए इस लेख के साथ उसका लिंक भी डाल दिया गया है. इस वीडियो में एक बहुत ही साधारण सा सवाल उठाया गया है.

सवाल है जब मुस्लिम देशों में मस्जिदों में मुस्लिम महिलाएं नमाज पढ़ सकती हैं तो उन्हें भारत में ऐसा क्यों नहीं करने दिया जाता है ? वीडियो एक मुस्लिम युवक ने बनाया है और इसमें कई बुनियादी सवाल उठाए गए हैं. मसलन देश की अधिकांश मस्जिदों में अलग से महिलाओं के लिए नमाज पढ़ने की जगह नहीं बनाई गई. मुख्तार अब्बास नकवी के जिम्मे सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी है. यह सवाल उनसे पूछा जा सकता है कि पिछले सात वर्षों में सरकार में रहते उन्हांेने देश की मस्जिदों की ऐसी स्थिति क्यों नहीं कि वहां महिलाएं भी बजमायत नमाज पढ़ सकें.

दरहकीकत, सरकार कोई भी हो वह मुसलमानों की मूल समस्या को संबोधित ही नहीं करना चाहती. मुख्तार अब्बास नकवी तीन तलाक कम होने का दावा तो करते हैं, पर इसके समर्थन में कोई दावा पेश नहीं करते कि काननू बनने के बाद तीन तलाक की दर में कितनी कमी आई और दूसरे समुदाय में तलाक की दर क्या रही ? जाहिर है यह सब जुमलेबाजी है. ऐसे आंकड़े पेश किए गए तो तीन तलाक को लेकर किए जा रहे तमाम दाव उलट जाएंगे.

बहरहाल, 1 अगस्त को मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाने के बारे में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने क्या कहा यहां मुलाहिजा फरमाए. नकवी साहब के हवाले से समाचार एजेंसी आईएएनएस ने कहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 1 अगस्त 2019 के दिन तीन तलाक या तलाके बिद्दत को कानूनी अपराध घोषित किया था.

नकवी ने कहा कि तीन तलाक के कानूनी अपराध बनाए जाने के बाद बड़े पैमाने पर तीन तलाक की घटनाओं में कमी आई है. देश भर की मुस्लिम महिलाओं ने इसका स्वागत किया है. 1 अगस्त को देश भर में विभिन्न संगठनों द्वारा मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाया जाएगा.

तीन तलाक को कानूनी अपराध बना कर मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के आत्मनिर्भरता, आत्म सम्मान, आत्म विश्वास को पुख्ता कर उनके संवैधानिक-मौलिक-लोकतांत्रिक एवं समानता के अधिकारों को सुनिश्चित किया है.

नई दिल्ली में मुस्लिम महिला अधिकार दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव उपस्थित रहेंगे.