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‘पठान’ का बहिष्कार करने वाले अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि खराब कर रहे हैं ? ट्रेलर बुर्ज खलीफा पर होगा रिलीज

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

देश में हिंदू-मुस्लिम के नाम पर नफरत की खेती करने वालों को झटका देने के  लिए बॉलीवुड किंग शाहरूख खान ने फिल्म ‘पठान’ का प्रचार भारत की बजाए दुनिया के अन्य देशों में केंद्रित कर दिया है.हाल में लंदन की सड़कांे पर ‘पठान’ की प्रचार वैन संबंधित कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर देखी गई थीं. अब फिल्म का ट्रेलर दुबई के बुर्ज खलीफा पर रिलीज करने की तैयारी है.

शाहरुख खान अभी दुबई और यूएई के दौरे पर हैं तथा अपनी फिल्म विश्वव्यापी स्तर पर रिलीज करने में लगे हैं. दूसरे देशों में सिनेमा दर्शकों से मिल रहे हैं और इसका प्रचार-प्रसार हो रहा है. फिल्म 26 जनवरी को रिलीज हो रही है.

बता दूं कि भारत में हिंदू-मुसलमान के नाम पर पिछले कुछ वर्षों से भयंकर सियासत चल रही है. इसके साथ यह प्रयास किया जा रहा है कि देश में हर उस शख्सियत, व्यापार, स्थान और संस्थान को नेस्तनाबूद कर दिया जाए जिससे इस कौम को ताकत और हौसला मिलता है. हिजाब, मस्जिद, मदरसा, सिनेमा, शिक्षा, सियासत पर हमला इसी कड़ी का हिस्सा है. यही नहीं इस पर चोट पहुंचाने के लिए कुछ ‘बिचैलिए’ किस्म के उलेमा और मुस्लिम नेताओं को भी इस रणनीति का हिस्सा बना दिया गया है. इसलिए जब कोई अहम मुद्दा सामने आता है तो वे सभी एक सुर में अलापने लगते हैं.

बॉलीवुड के खानों और उनके साथी निर्माता, निर्देश और सितारों की फिल्मांे को और उन्हंे आर्थिक रूप से बर्बाद करने के लिए एक पूरा षड़यंत्र चल रहा है. जबकि बॉलीवुड के उन लोगों का एक खास रणनीति के तहत हौसला बढ़ाया जा रहा है जो मुसलमान-कश्मीर की छवि बिगाड़ कर पेश करते हैं. इस क्रम में लाल सिंह चड्ढा और आमिर खान को चोट पहुंचाने के लिए बहिष्कार अभियान चलाया गया. इसके लिए बहाना एक पुरानी फिल्म में उनके किरदार को बनाया गया, जबकि उसका निर्माता-निर्देशक कोई और था. आमिर ने केवल अभिनय किया था. पठान का बहिष्कार केवल इस लिए किया जा रहा है कि फिल्म के एक गाने में फिल्म की अदाकारा ने नारंगी रंग की बिकनी पहनी थी. हालांकि, इस गाने को लेकर सेंसर बोर्ड के आदेश पर उस सीन को हटाने की तैयारी चल रही है, इसके बावजूद फिल्म का बहिष्कार करने वाले अपने अभियान से पीछे नहीं हटे हैं. सोशल मीडिया पर रोजाना ऐसे अभियान और बयान जारी किए जा रहे हैं. इससे अंदाजा होता है कि मुस्लिम विरोधी षड़यंत्रकारियांे का मकसदक कुछ और है. मजे की बात है कि इतना कुछ होने के बावजूद सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आता. हेटस्पीच के मामले में सुप्रीम कोर्ट की नसीहत के बावजूद पांच सालों तक कोई कार्रवाई नहीं की जाती ?

जाहिर है, फिल्मों पर सैकड़ों करोड़ रूपये खर्च करने वाले ऐसे षड़यंत्रकारियों से निपटने के लिए कोई न कोई रास्ता अवश्य निकालेंगे. शाहरुख खान ने वह रास्ता निकाल लिया है. फिल्म रिलीज होने को दस दिन मात्र रह गए हैं, पर उन्हांेने भारत में इसका प्रचार करने की बजाए विदेशों में करना ज्यादा जरूरी समझा. आज के दौर में किसी भी भाषा की फिल्म को किसी अन्य देश में हिट करना आसान है. शाहरुख खान ने इसका एहसास नफरतों को करा दिया है. दक्षिण भारतीय या दूसरे देशों की फिल्में इस फार्मूले पर पहले से अमल कर रही हैं. पठान को लेकर शाहरुख के विदेशों में प्रचार-प्रसार करने से दुनिया के बाकी लोगों को भी पता चल जाएगा कि भारत में क्या हो रहा है ?  प्रधानमंत्री नेंद्र मोदी ने भारत की दुनिया में जो छवि बनाई है, नफरतियांे की वजह से बड़ी चोट पहुंचने वाली है. बेहतर है कि नफरतियों को फलने-फूलने देने की बजाए, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए.