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अरब और इस्लामिक देशों के धमकाने का असर नहीं, इजराइल का गाजा पर बेलगाम हमला जारी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, रियाद /दीर अल-बलाह (गाजा पट्टी)

एक शिखर सम्मेलन में अरब और इस्लामिक देशों द्वारा गाजा पर बेलगाम हमला करने और वहां उत्पन्न घोर मानवीय संगट के लिए जिम्मेदार ठहराने के बावजूद इजरायल पर कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है.उसका गाजा पर लगातार हमला जारी है. इस दौरान 11 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. मरने वालों में सर्वाधिक संख्या मासूम बच्चों की है.

इजरायली सैनिकों ने गाजा के सबसे बड़े अस्पताल को घेर लिया है. डॉक्टरों का कहना है कि वहां आखिरी जनरेटर का ईंधन खत्म होने के बाद एक समय से पहले जन्मे बच्चे सहित पांच मरीजों की मौत हो गई. दूसरी ओर, इजराइल ने शिफा अस्पताल को हमास के मुख्य कमांड पोस्ट के रूप में पेश करते हुए कहा है कि आतंकवादी वहां के नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके नीचे बंकर बनाए हैं. हाल के दिनों में, उत्तरी गाजा युद्ध क्षेत्र में शफा और अन्य अस्पतालों के पास लड़ाई तेज हो गई है और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कम हो गई है.

इजरायली सेना शिफा अस्पताल में कर रही है हत्या

शिफा अस्पताल के निदेशक मुहम्मद अबू सेलमिया ने कहा कि गोलियों और विस्फोटों की आवाज के बीच फोन पर बात करते समय बिजली नहीं थी. मेडिकल सप्लाई बंद है. मरीज, खासकर गहन देखभाल वाले मरीज मर रहे हैं. अबू सल्मिया ने कहा कि इजरायली सैनिकों ने अस्पताल के बाहर और अंदर किसी को भी गोली मारना जारी रखे हुए हैं . अस्पताल परिसर में इमारतों के बीच आवाजाही को अवरुद्ध कर दिया है.

हालांकि, इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है कि केवल इजरायली सैनिक ही गोलीबारी कर रहे हैं. शिफा परिसर में सैनिकों द्वारा की गई गोलीबारी के विवरण के बारे में पूछे जाने पर, इजरायली सेना के प्रवक्ता पीटर लर्नर ने केवल इतना कहा कि सैनिक संबंधित क्षेत्र के आसपास हमास के खिलाफ भारी लड़ाई में लगे हुए थे. उन्होंने कहा कि सेना नागरिकों को नुकसान रोकने के लिए हरसंभव उपाय करती है.स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि जनरेटर बंद होने के कारण समय से पहले जन्मे बच्चे सहित पांच मरीजों की मौत हो गई. उन्होंने बताया कि शिफा में कुल 37 प्रीमैच्योर बच्चों की देखभाल की जा रही है.

मुस्लिम देशांे के शासक बोले, गाजा पर हमला रोके इजराइल

गाजा मामले में अब तक तमाशबीन बने मुस्लिम देशों की खिंचाई के बाद अब उनमें सरगर्मी दिख रही है.अरब और इस्लामिक देशों के प्रमुखों ने इजरायल के आत्मरक्षा के दावे को खारिज करते हुए गाजा में तत्काल युद्धविराम, इजरायली आक्रामकता को रोकने और सहायता अभियान शुरू करने की मांग की.

इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार स्वीकार नहीं

बैठक में इजराइल के आत्मरक्षा के अधिकार को अस्वीकार कर दिया गया और गाजा को वेस्ट बैंक से अलग करने के किसी भी राजनीतिक समाधान को अस्वीकार कर दिया गया. बताया गया कि इस मामले को लेकर अल्जीरिया और लेबनान ने इजराइल और उसके सहयोगियों को तेल की आपूर्ति रोक दी है. उनके साथ आर्थिक और राजनयिक संबंध तोड़ दिए हैं. कहा गया कि अरब क्षेत्र के अन्य देशों को हथियार और बम की आपूर्ति करने का आदेश दें. ईरानी मीडिया के अनुसार, बैठक में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मोरक्को समेत 4 अरब देशों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जबकि 11 देशों ने इसका समर्थन किया.

इजरायलियों के खिलाफ बने कानूनी आयोग

बैठक में संयुक्त घोषणापत्र पर सहमति नहीं बनी. इसके बाद अरब की संयुक्त बैठक हुई. लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन को बुलाया गया. उन्होंने अपराधों में शामिल इजरायलियों के खिलाफ एक कानूनी आयोग के गठन और गाजा के पुनर्वास के लिए एक कोष की स्थापना की मांग की. विवरण के अनुसार, अरब और इस्लामी देशों के प्रमुखों ने इजरायल के रक्षा के अधिकार के दावे को खारिज कर दिया. गाजा में तत्काल संघर्ष विराम और सहायता अभियान की मांग की. नेताओं की एक आपातकालीन बैठक हुई, बैठक में इजरायल को अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. संयुक्त घोषणापत्र में गाजा पर इजरायली आक्रमण की निंदा की गई. इसे युद्ध अपराध बताया गया. गाजा की घेराबंदी को समाप्त करने के लिए, कब्जे वाले वेस्ट बैंक में यहूदियों द्वारा बस्तियों के निर्माण को रोकने और इजरायल को हथियारों के निर्यात को रोकने की भी मांग की गई. घोषणा में कहा गया कि इजरायल के पास युद्ध का कोई औचित्य नहीं है.

यूएन से इजरायल के खिलाफ एक और प्रस्ताव लाने की मांग

बैठक में कहा गया कि सुरक्षा परिषद को इजरायली आक्रामकता को रोकने के लिए एक निर्णायक और संयुक्त प्रस्ताव अपनाना चाहिए. निर्णायक प्रस्ताव पारित न करके, इजरायल को अपनी आक्रामकता जारी रखने, निर्दोष नागरिकों को मारने और गाजा को नष्ट करने की अनुमति दी गई है. यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन पर आधारित है. कहा गया कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ रक्षा के अधिकार के इजरायल के दावे का कोई औचित्य नहीं बनता.

प्रिंस सलमान बोले-नागरिकों के खिलाफ अपराध है

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गाजा में युद्धविराम के लिए देश की मांग दोहराई. नागरिकों के खिलाफ अपराधों के लिए इजरायल को जिम्मेदार बताया. कहा कि इजरायल के क्रूर युद्ध को रोका जाना चाहिए. इजरायली युद्ध ने हजारों फिलिस्तीनी नागरिकों की जान ले ली है. प्रिंस मोहम्मद ने गाजा में मानवीय तबाही को सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता की अभिव्यक्ति बताया. ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने अपने संबोधन में कहा कि इस्लामी सरकारों को कब्जे की घोषणा करनी चाहिए. हमलावर सरकार की सेना एक आतंकवादी संगठन है. सऊदी अरब के साथ संबंधों की बहाली के बाद इब्राहिम रायसी ने रियाद की अपनी पहली यात्रा की और सऊदी क्राउन प्रिंस से भी मुलाकात की. उन्होंने कहा कि इजरायल के साथ किसी भी तरह के राजनीतिक या आर्थिक संबंधों को तोड़ना महत्वपूर्ण होगा. इजराइल का विरोध करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. हम इजराइल का विरोध करने के लिए हमास की सराहना करते हैं.

फिलिस्तीनी का युद्ध में नरसंहार

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि फिलिस्तीनियों को युद्ध में नरसंहार का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि गाजा से फिलिस्तीनियों की वापसी अस्वीकार्य है. कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने शिखर सम्मेलन में अपने भाषण में कहा कि अमेरिका इजरायल की आक्रामकता को रोके. सवाल यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कब तक इजरायल को सभी कानूनों से ऊपर मानेगा? उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय गाजा में फिलिस्तीनियों पर इजरायली बमबारी को रोकने में विफल रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही गाजा पट्टी में मानवीय आधार पर स्थायी संघर्ष विराम होगा. गाजा के लोगों के लिए सामूहिक दंड नीतियां अस्वीकार्य हैं. इजरायल का दावा है आत्मरक्षा का कदम अनुचित है. हम इजराइल के इस दावे समेत किसी भी दावे को खारिज करते हैं. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने अपने भाषण में कहा, हम युद्ध में दो या चार घंटे का ब्रेक नहीं चाहते. हम स्थायी युद्धविराम और समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं.”

मुस्लिम देश फिलिस्तीनी लोगों के साथ खड़े हैं

अरब न्यूज की एक खबर के अनुसार,रियाद में आयोजित असाधारण अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन के प्रतिभागियों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में, गाजा पर इजरायली आक्रामकता की कड़ी निंदा की गई. इसे युद्ध अपराध और बर्बर नरसंहार बताया.सऊदी समाचार एजेंसी एसपीए के अनुसार, शिखर बैठक के बाद जारी संयुक्त घोषणा में फिलिस्तीन के महत्व को स्वीकार करते हुए यह आश्वासन दिया गया कि सभी मुस्लिम देश हर तरह से अपने भाई फिलिस्तीनी लोगों के साथ खड़े हैं.

संयुक्त बयान में गाजा में तत्काल युद्धविराम की आवश्यकता पर जोर दिया गया और नागरिकों को जबरन निकालने की प्रक्रिया को किसी भी तरह से अस्वीकार्य बताया गया.सम्मेलन के प्रतिभागियों ने फिलिस्तीन के सभी कब्जे वाले क्षेत्रों की मुक्ति और उनके सभी अधिकारों, विशेष रूप से आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए उनके संघर्ष पर जोर दिया.

अरब-इस्लामिक सम्मेलन के समापन वक्तव्य में इस बात पर जोर दिया गया कि फिलिस्तीनी मुद्दे की अनदेखी या उपेक्षा करके क्षेत्र में स्थायी आधार पर शांति स्थापित नहीं की जा सकती. शांति की स्थापना के लिए इस संघर्ष को सुलझाना और फिलिस्तीन के लोगों को उनका अधिकार देना जरूरी है.घोषणा में स्पष्ट रूप से फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के खिलाफ उसकी आक्रामकता के परिणामस्वरूप संघर्ष के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया गया.

अपने संयुक्त बयान में, सम्मेलन के प्रतिभागियों ने गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी शांति की आवश्यकता पर जोर दिया और गाजा को सहायता पहुंचाने के मिस्र के प्रयासों की प्रशंसा की.इसमें गाजा की घेराबंदी खत्म करने और वहां तत्काल और आपातकालीन आधार पर भोजन, दवा और राहत सामग्री की डिलीवरी पर लगे प्रतिबंध को हटाने की भी मांग की गई.

इजरायल को हथियारों की सप्लाई रोकी जाए

इस संबंध में प्रतिभागियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया. मांग की कि कब्जा करने वाली सेनाओं को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति तुरंत रोक दी जानी चाहिए.रियाद में आयोजित आपातकालीन अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन के समापन वक्तव्य में सुरक्षा परिषद से यह भी आह्वान किया गया कि वह गाजा पट्टी में इजरायल द्वारा अस्पतालों को क्रूर निशाना बनाने में तत्काल निर्णायक भूमिका निभाए, ताकि आक्रामकता को रोका जा सके.