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अयोध्या विवाद के तीन दशक: इकबाल अंसारी कर रहे विकास की बात, राम नाईक को याद आई पुरानी घटना

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली अयोध्या

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद की इमारत ढहे करीब तीन दशक हो गए. सुप्रीम कोर्ट के हिंदुओं के पक्ष में फैसला देने से वहां मस्जिद वाले स्थान पर भव्य राम मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू हो गया, वहीं भारतीय इतिहास के इस महत्वपूर्ण घटना को लोग अब भी नहीं भूले हैं. यहां तक कि मस्जिद की इमारत ढहाने वालों को भी अभी सजा नहीं मिली है.

उधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मस्जिद के लिए अयोध्या जनपद में ही 5 एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी गई है, जिसपर एक आधुनिक मस्जिद के निर्माण की तैयारी है. अयोध्या विकास प्राधिकरण से नक्शा पास होने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है. इस पूरे मामले में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को लगता है कि न्यायालय का निर्णय आने के बाद अब इस मुद्दे को भुला देना चाहिए. अब केवल अयोध्या के विकास की बात होनी चाहिए. उनका कहना है कि हमें अब काला दिवस नहीं मनाना है और न ही कोई विरोध करना है.

उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान यह मुद्दा जानबूझकर उछाला जाता है.इकबाल अंसारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए जो जमीन दी है, उसे सुन्नी वक्फ बोर्ड सेन्ट्रल बोर्ड को उपलब्ध करा दी गई है. ऐसे में अब इस मुद्दे को लेकर पक्षकारों का कोई लेना देना नहीं है. पुनर्विचार याचिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ लोग जो इस कमेटी में नहीं है, वे यह मसला उछाल देते हैं. वैसे अब लोगों को मंदिर मस्जिद छोड़कर विकास की बात करनी चाहिए. सियासी लोग भी विकास को बात करें तो बेहतर होगा. कोर्ट से जो भी निर्णय आया है, उससे हम संतुष्ट हैं. इस मामले को अब आगे नहीं खींचना चाहते हैं.

एक दूसरे सवाल के जवाब में इकबाल अंसारी कहते हैं कि अब 6 दिसंबर को काला दिवस मनाने की जरूरत नहीं है. न ही ऐसा कुछ करना चाहिए. हिंदुस्तान में मंदिर और मस्जिद के नाम पर अब कोई बखेड़ा नहीं खड़ा होना चाहिए. उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि जब भी चुनाव आता है तो लोगों को मंदिर और मस्जिद मुद्दे पर बरगलाया जाता है. इस तरह के चुनावी हथकंडे इस्तेमाल करने की जगह विकास और रोजगार के मुद्दे पर जोर होना चाहिए.

बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, ‘‘ देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला 9 नवंबर को सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या सहित पूरे हिंदुस्तान में सुकून रहा. हम यही चाहते हैं कि मुसलमानों की तरफ से अब कहीं भी कोई काला दिवस न मनाया जाए.‘‘

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हम यह चाहते हैं कि भारत में मंदिर और मस्जिद के नाम पर शांति होनी चाहिए. लोग विकास की बात करें. रोजगार की बात करें. अयोध्या में विकास की बहुत बड़ी कमी थी. आज भी है, इसलिए अब केवल विकास और रोजगार की ही बात होनी चाहिए. मंदिर-मस्जिद और जाति-धर्म के नाम पर लोगों को बांटना उचित नहीं. धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह किया जाता है. अब यह बंद होना चाहिए.‘‘

कौन हैं इकबाल अंसारी ?

इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद के सबसे पुराने पक्षकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे हैं. इनके मरहूम पिता हाशिम अंसारी ने वर्ष 1949 से 2016 तक मस्जिद की पैरवी की थी. पिता की मौत के बाद इकबाल अंसारी ने बतौर पक्षकार बाबरी मस्जिद की कानूनी लड़ाई लड़ी. हाशिम अंसारी की तरह इकबाल अंसारी भी एक धर्मनिरपेक्ष मुसलमान के तौर पर जाने जाते है. यही कारण है कि बाबरी मस्जिद की कानूनी लड़ाई के दौरान उन्होंने कभी भी हिंदू-मुस्लिम एकता पर आंच नहीं आने दी. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का आदर करते हुए उन्होंने मामले को आगे न बढ़ाने का निर्णय लिया और अपने इस फैसले पर वह आज भी अडिग हैं.

राम नाईक बोले- ढांचा ढहने के बाद ही यह खबर दिल्ली आई

6 दिसंबर, 1992 को दिल्ली स्थित भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में बैठकर अयोध्या के हालात की पल-पल की खबर लेकर पार्टी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी तक पहुंचाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने उस दिन दिल्ली के माहौल को लेकर बातचीत में कई जानकारियां साझा कीं.

उन्होंने कहा,उस समय मैं भारतीय जनता पार्टी का लोकसभा में चीफ व्हिप था. 6 दिसंबर 1992 को मैं और हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुंदर सिंह भंडारी दिल्ली में पार्टी के कार्यालय में बैठ कर लगातार निगरानी कर रहे थे. अयोध्या के हालात की पल-पल की जानकारी ले रहे थे. आज की तरह उस समय संपर्क के ज्यादा साधन नहीं थे. मोबाइल नहीं थे. इतने सारे टीवी चैनल नहीं थे. सिर्फ लैंडलाइन फोन के जरिए ही हम अयोध्या के हालात की जानकारी जुटा रहे थे.

उन्होंने कहा, उस समय हमारे दो बड़े नेताओं में से एक आडवाणी जी, अयोध्या में थे. दूसरे अटल बिहारी वाजपेयी जी दिल्ली में थे. भाजपा के सोर्स से हमें अयोध्या को लेकर जो खबरें मिल रही थी, हम उसे वाजपेयी जी तक पहुंचा रहे थे. इन तमाम जानकारियों के आधार पर अगले दिन अटल बिहारी वाजपेयी जी ने यहां प्रेस कांफ्रेंस भी की थी.

उन्होंने कहा, वहां से तो पहले इसी तरह की खबरें आ रही थी कि कितने कार्यकर्ता और कारसेवक वहां पहुंच रहे हैं. कितने लोगों को कहां-कहां रोक दिया गया है. क्यों रोका गया है. आडवाणी जी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने अपने-अपने भाषण में क्या-क्या बोला है. हमें तो दिल्ली में पता भी नहीं था कि ऐसा कुछ होने वाला है. ढांचा ढ़ह जाने के बाद ही यह खबर दिल्ली तक पहुंची कि ऐसी घटना हो गई है.

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