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पहलगाम हमले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों पर पर्यटक पूजा जाधव का करारा जवाब: कश्मीर में नहीं कोई हिंदू-मुस्लिम भेद

✍️ मुस्लिम नाउ ब्यूरो | श्रीनगर/नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है, वहीं कुछ मुख्यधारा के टीवी चैनलों और सोशल मीडिया अकाउंट्स द्वारा इस हमले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशें अब सवालों के घेरे में आ रही हैं। इस सिलसिले में महाराष्ट्र के बीड़ जिले की एक बहादुर हिंदू महिला पर्यटक पूजा जाधव ने नफरत फैलाने वाली प्रवृत्ति पर करारा तमाचा जड़ा है।

मुख्यधारा की मीडिया का सांप्रदायिक एजेंडा

हमले के बाद से कुछ प्रमुख न्यूज चैनलों ने दावा करना शुरू कर दिया कि आतंकियों ने कथित तौर पर पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर हत्या की। हालांकि, न तो स्थानीय प्रशासन और न ही जांच एजेंसियों ने अभी तक इसकी कोई पुष्टि की है। सोशल मीडिया पर एक अपुष्ट वीडियो के आधार पर सनसनी फैलाई जा रही है, लेकिन यह वीडियो जांच के दायरे में है और इसके स्रोत की कोई पुष्टि नहीं हुई है।

इस दावे की प्रतिक्रिया में सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स ने बीते वर्षों की कुछ घटनाओं की याद दिलाते हुए मुसलमानों से नाम पूछकर की गई हत्याओं की तस्वीरें और खबरें साझा करना शुरू कर दिया है, जो बताता है कि किस तरह दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं।

रवीश कुमार का तीखा सवाल: सुरक्षा में चूक या राजनीतिक एजेंडा?

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने इस मामले में सटीक सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने ब्लॉग और सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:

“पहलगाम की बैसरन घाटी में दो हजार पर्यटक मौजूद थे, लेकिन सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम नहीं थे। इतने बड़े आयोजन में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई? आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है, लेकिन इससे भी जरूरी है कि हम यह जानें कि सुरक्षा में किसकी लापरवाही थी।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब पूरा देश इस हमले के खिलाफ एकजुट है, तब मीडिया और राजनीतिक दल इस मुद्दे को हिंदू बनाम मुसलमान की बहस में क्यों बदलना चाहते हैं?

बीड़ की पूजा जाधव ने तोड़ी चुप्पी: “कश्मीर में डर नहीं, मोहब्बत है”

इन सबके बीच बीड़, महाराष्ट्र की रहने वाली पूजा जाधव, जो इन दिनों कश्मीर घूमने गई थीं, ने एक वीडियो के जरिए मीडिया की इस भ्रामक रिपोर्टिंग को बेनकाब किया है। उन्होंने कहा:

“मैं पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में हूं। मैंने कहीं भी हिंदू-मुस्लिम जैसी कोई बात महसूस नहीं की। जो चीजें मीडिया दिखा रहा है, वो पूरी तरह गलत हैं। यहां के लोग बेहद सहयोगी और विनम्र हैं। मेरा ड्राइवर भी एक कश्मीरी मुसलमान है और हमने कभी डर महसूस नहीं किया।”

पूजा जाधव ने सांप्रदायिकता फैलाने वालों पर सवाल उठाते हुए कहा कि “मीडिया को देश को जोड़ने का काम करना चाहिए, तोड़ने का नहीं।”

क्या कहना है जांच एजेंसियों का?

इस हमले की जांच कर रही एजेंसियां अभी इस बात की पुष्टि नहीं कर पाई हैं कि धर्म पूछकर हत्याएं की गईं या नहीं। सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस इस पूरे मामले की छानबीन में जुटी हैं। अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जिससे यह साबित हो सके कि हमले में धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया।

कश्मीर में अमन है, मीडिया को संयम की जरूरत

जहां एक ओर देशवासियों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है, वहीं मीडिया और कुछ राजनीतिक तत्व इस संवेदनशील मसले को सांप्रदायिक जामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में पूजा जाधव जैसी आम नागरिकों की आवाज़ यह साबित करती है कि कश्मीर केवल विवादों का नहीं, मोहब्बत का भी इलाका है

देश को आज जरूरत है शांति, समझदारी और एकता की—not sensationalism की।