Religion

इमाम ए हरम के अयोध्या मस्जिद की आधारशिला रखने की बात कितनी सच ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

देश के मुस्लिम बुद्धिजीवियों का एक तबका बेसिर पैर की बात बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है. ये वही लोग हैं जो उपरी तौर से कहने को मुस्लिम रहनुमा हैं, पर अंदरखाने उनकी वैसे लोगों से सांठगांठ है, जो हरदम मुसलमानों पर लगाम कसने की फिराक में रहते हैं. अब उनकी ओर से यह अफवाह फैलाई जा रही है कि इमाम ए हरम अयोध्या मस्जिद की संग ए बुनियाद रखने भारत आएंगे. हालांकि, इमाम की ओर से इस बारे में अब तक ऐसी कोई बात नहीं की गई है.

दरअसाल, इस अफवाह को मुसलमानों का एक बड़ा तबका अगले साल 22 जनवरी को अयोध्या मंे निर्मित रामजन्म भूमि मंदिर में भव्य तरीके से भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर बनाए जा रहे माहौल का एक हिस्सा मान रहा है. प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा के समय मौजूदगी दर्ज कराने को एक कौम के तमाम बड़े सिलेब्रेटी को इकट्ठा करने की तैयारी है.

अयोध्या में जिस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण हुआ है, मुसलमानों के एक वर्ग का आज भी मानना है कि इस मामले मंे सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही नहीं था. जमीयत उलेमा हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी ने शुक्रवार को यह बात हरियाणा के नूंह जिले मंे भी दोहराई. मगर भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के समय देश-दुनिया में यह मैसेज न जाए कि मस्जिद वाले स्थान पर मंदिर बनाया जा रहा है और इसे लेकर देश का एक तबका रंज में है.

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इसकी जगह यह बताने की कोशिश चल रही है कि सभी कौम के लोग राममंदिर में भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करने के पक्ष में हंै. किसी को कोई गिला शिकवा नहीं. काबा की पवित्र मस्जिद के इमाम के अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद की आधारशिला रखने की बात, इसी अच्छे माहौल का नतीजा है.

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुसलमानों को राम मंदिर स्थाल से करीब 25 किलोमीटर दूर प्रस्तावित मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दी गई है.फैलाई जा रही अफवाह के अनुसार,अयोध्या में प्रस्तावित मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद की आधारशिला इमाम हरम रखेंगे. हालांकि मस्जिद की संग ए बुनियाद राम मंदिर के निर्माण के समय ही रखी जा चुकी है. उसके बाद ही प्रस्तावित मस्जिद की जगह की मिट्टी की जांच की गई. इसके बावजूद कहा जा रहा है कि हरम के इमाम अयोध्या में प्रस्तावित मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद की आधारशिला रखेंगे.

अयोध्या से 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर में जिस जमीन पर मस्जिद बनाई जा रही है, अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने मुस्लिम पक्ष को दी है.एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई स्थित बीजेपी नेता और मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद विकास समिति के अध्यक्ष हाजी अराफात शेख ने कहा कि अयोध्या में नई मस्जिद में पवित्र कुरान का पाठ किया जाएगा. इसका गुंबद 21 फीट ऊंचा और 36 फीट चैड़ा होगा.

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गौरतलब है कि हाल में देश की सभी मस्जिदों के संगठन ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ मस्जिद्स (एआईआरएम) ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के धनीपुर में प्रस्तावित मस्जिद का नाम इस्लाम के पैगंबर के नाम पर मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद रखने का फैसला किया है.धन्नीपुर मस्जिद का स्थान सदियों पुरानी बाबरी मस्जिद के मूल स्थल से लगभग 22 किमी दूर है. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया गया था. अब उस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण किया गया है. हाजी अराफात शेख ने कहा कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आवंटित स्थल पर बनने वाली नई मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद होगी.

हाजी अराफात शेख के मुताबिक, इस मस्जिद में 5,000 पुरुष और 4,000 महिलाओं समेत 9,000 लोग एक साथ नमाज पढ़ सकेंगे. पूरे मस्जिद परिसर में चिकित्सा, शैक्षिक और सामाजिक सुविधाओं मुहैया कराई जाएंगी. हालांकि यह अभी तक किसी भी स्तर पर साफ नहीं हुआ है कि काबा के इमाम आधारशिला रखने आएंगे ? इस बारे में पास किए गए एक प्रस्ताव के हवाले से कहा जा रहा है मस्जिद हरम के इमाम आधारशिला रखने आएंगे. किसी के बुलावे पर वे आते हैं अथवा नहीं, यह फैसला उन्हें करना है. मगर उनकी ओर से अब तक इस बारे में कोई सफाई नहीं आई है.

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यहां इसका बात का जिक्र करना जरूरी है कि इनदिनों भारत के सउदी अरब से रिश्ते बहुत अच्छे हैं. मगर एक सच्चाई यह भी है कि सउदी अरब इस्लामिक देशों के संगठन आईओसी का महत्वपूर्ण अंग है जो हमेशा अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने जाने की मुखालाफत करता रहता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस अफवाह में कितना दम है और क्या अब आईओसी ने बाबरी मस्जिद को लेकर अपना स्टैंड बदल दिया है ?