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ट्रम्प प्रशासन की 43 देशों पर नए यात्रा प्रतिबंध की तैयारी, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और रूस सूची में शामिल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,वाशिंगटन डीसी

डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन एक नए यात्रा प्रतिबंध पर विचार कर रहा है, जो पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और रूस सहित 43 देशों के नागरिकों को प्रभावित कर सकता है। द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा अधिकारियों ने इस प्रस्ताव का एक प्रारंभिक मसौदा तैयार किया है, जिसमें देशों को तीन अलग-अलग श्रेणियों— रेड, ऑरेंज और येलो में वर्गीकृत किया गया है।

क्या है नया यात्रा प्रतिबंध प्रस्ताव?

ट्रम्प प्रशासन द्वारा तैयार किए जा रहे नए यात्रा प्रतिबंध के तहत अमेरिका में प्रवेश को तीन स्तरों में विभाजित किया जाएगा—

  1. रेड लिस्ट (पूर्ण प्रतिबंध)
  2. ऑरेंज लिस्ट (आंशिक प्रतिबंध)
  3. येलो लिस्ट (60 दिन की निगरानी)

रेड लिस्ट में शामिल देशों के नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी, जबकि ऑरेंज लिस्ट के देशों को कड़े वीज़ा नियमों का सामना करना पड़ेगा। येलो लिस्ट के देशों को अमेरिका की सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप बदलाव करने के लिए 60 दिन का समय दिया जाएगा, अन्यथा उन्हें रेड या ऑरेंज लिस्ट में डाल दिया जाएगा।

रेड लिस्ट में कौन-कौन से देश?

नए प्रस्ताव के तहत अफ़गानिस्तान और भूटान सहित 10 देशों को रेड लिस्ट में रखा गया है। इन देशों के नागरिकों को अमेरिका का वीज़ा नहीं मिलेगा। इस सूची में शामिल अन्य देश हैं—

  • क्यूबा
  • ईरान
  • लीबिया
  • उत्तर कोरिया
  • सोमालिया
  • सूडान
  • सीरिया
  • वेनेजुएला
  • यमन

ऑरेंज लिस्ट: आंशिक यात्रा प्रतिबंध वाले देश

ट्रम्प प्रशासन ने पाकिस्तान और रूस को ऑरेंज लिस्ट में शामिल किया है। इसका मतलब यह है कि इन देशों के नागरिकों को वीज़ा प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त जांच से गुजरना होगा। पर्यटकों और अप्रवासी वीज़ा आवेदकों पर कड़े प्रतिबंध होंगे, जबकि व्यापारिक यात्रियों को सीमित छूट मिल सकती है।

ऑरेंज लिस्ट में शामिल अन्य देश—

  • म्यांमार
  • बेलारूस
  • हैती
  • लाओस
  • इरिट्रिया
  • सिएरा लियोन
  • दक्षिण सूडान
  • तुर्कमेनिस्तान

येलो लिस्ट: 22 देशों को मिली अंतिम चेतावनी

येलो लिस्ट में 22 देशों को अमेरिका की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 60 दिन का समय दिया गया है। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें रेड या ऑरेंज लिस्ट में डाल दिया जाएगा।

इन देशों में शामिल हैं—

  • अंगोला
  • एंटीगुआ और बारबुडा
  • बेनिन
  • बुर्किना फासो
  • कंबोडिया
  • कैमरून
  • केप वर्डे
  • चाड
  • कांगो गणराज्य
  • डोमिनिका
  • गाम्बिया
  • लाइबेरिया
  • मलावी
  • माली
  • मॉरिटानिया
  • सेंट किट्स और नेविस
  • सेंट लूसिया
  • वानुअतु
  • जिम्बाब्वे

क्या है इस प्रतिबंध का कारण?

द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प प्रशासन ने तीन प्रमुख कारणों के चलते इन देशों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है—

  1. अमेरिका के साथ यात्रियों की जानकारी साझा करने में विफलता।
  2. पासपोर्ट और वीज़ा जारी करने में सुरक्षा उपायों की कमी।
  3. प्रतिबंधित देशों के नागरिकों को नागरिकता बेचने की प्रथा।

पहले भी लागू हो चुके हैं ऐसे यात्रा प्रतिबंध

यह पहली बार नहीं है जब डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने यात्रा प्रतिबंधों को लागू करने की योजना बनाई है। अपने पहले कार्यकाल में, ट्रम्प ने सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था। 2018 में, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इस नीति को बरकरार रखा था।

पहले यात्रा प्रतिबंध में शामिल देश थे—

  • ईरान
  • इराक
  • लीबिया
  • सोमालिया
  • सूडान
  • सीरिया
  • यमन

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और संभावित प्रभाव

यह नया यात्रा प्रतिबंध अमेरिका और प्रभावित देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा सकता है।

  • रूस और पाकिस्तान जैसे बड़े देशों पर प्रतिबंध लगने से अमेरिका की कूटनीतिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।
  • व्यापारिक और पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हो सकता है।
  • प्रभावित देशों के अमेरिका में रहने वाले प्रवासी भी असमंजस में पड़ सकते हैं।

क्या ट्रम्प प्रशासन इस प्रस्ताव को लागू करेगा?

फिलहाल, यह प्रस्ताव अभी मसौदा स्तर पर है और इसे आधिकारिक रूप से लागू करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस और अन्य एजेंसियों की मंजूरी की जरूरत होगी। हालांकि, द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द लागू करने की योजना बना रहा है।

काबिल ए गौर

अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो यह अमेरिका में प्रवेश को लेकर अब तक का सबसे बड़ा यात्रा प्रतिबंध हो सकता है। पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और रूस जैसे देशों पर लगे संभावित प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी हलचल पैदा कर सकते हैं। अब यह देखना बाकी है कि ट्रम्प प्रशासन इस प्रतिबंध को कैसे लागू करेगा और इसका वैश्विक प्रभाव क्या होगा।

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