अमेरिकी दबाव में इज़राइल की लेबनान में 60 दिनों के युद्धविराम को मंजूरी, हिज़्बुल्लाह के खिलाफ जारी रहेगा आईडीएफ का हमला
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, तेल अवीव (इज़राइल)
इज़राइल ने लेबनान में हिज़्बुल्लाह के साथ 60-दिवसीय युद्धविराम को मंजूरी दे दी है, लेकिन इसके साथ ही हिज़्बुल्लाह के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई करने का भी वादा किया है. इस निर्णय की घोषणा इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा मंगलवार शाम को उच्च-स्तरीय सुरक्षा कैबिनेट की बैठक में की जाएगी. इस कदम को एक साल से अधिक समय से जारी लड़ाई को खत्म करने की दिशा में बड़ा प्रयास माना जा रहा है.
शत्रुता की समाप्ति, युद्ध की नहीं
इज़राइल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह युद्ध का अंत नहीं है, बल्कि केवल शत्रुता को समाप्त करने का समझौता है. उन्होंने कहा,”हमें नहीं पता कि यह युद्धविराम कब तक चलेगा. यह एक महीने या एक साल तक भी चल सकता है.”
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की भूमिका
लेबनानी सूत्रों ने जानकारी दी है कि इस युद्धविराम की घोषणा जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों करेंगे. इस बीच, अमेरिकी प्रशासन ने भी संकेत दिया है कि समझौते के क्रियान्वयन में कोई बड़ी बाधा नहीं है. व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, “हम करीब हैं, लेकिन जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता, कुछ भी पक्का नहीं है.”
सीमा पर तनाव और नागरिकों की निकासी
इज़राइल और लेबनान की सीमा पर हिंसा लगातार जारी रही है. हिज़्बुल्लाह द्वारा सीमा पर स्थित इज़राइली सैन्य चौकियों और समुदायों पर नियमित हमले किए गए. इज़राइल का कहना है कि ये हमले गाज़ा में हमास को समर्थन देने के लिए किए जा रहे हैं.
7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद, हिज़्बुल्लाह द्वारा इसी तरह के हमलों की आशंका के चलते इज़राइल ने अपने उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्रों से लगभग 60,000 नागरिकों को निकाला. इज़राइल अब इन निवासियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिका-इज़राइल के बीच समझौता
इज़राइली अधिकारी ने बताया कि युद्धविराम के बाद हिज़्बुल्लाह के खिलाफ कार्रवाई करने की इज़राइल की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका और इज़राइल के बीच एक समझौता हुआ है. इस समझौते में यह स्पष्ट किया गया है कि इज़राइल को हिज़्बुल्लाह की सैन्य ताकत को कमजोर करने और उसके आक्रमण को रोकने के लिए कार्रवाई करने का पूरा अधिकार होगा.
राजनयिक दबाव में लिया गया फैसला
इज़राइल ने यह युद्धविराम आंशिक रूप से अमेरिका के दबाव के चलते स्वीकार किया है. अधिकारी ने कहा कि यदि इज़राइल ऐसा नहीं करता, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के माध्यम से इज़राइल पर प्रतिबंध लगाए जा सकते थे.
फ्रांस की भागीदारी और कूटनीतिक विवाद
इस समझौते में फ्रांस की भागीदारी को लेकर भी विवाद रहा. इज़राइल ने शुरुआत में फ्रांस को इस प्रक्रिया से बाहर रखने की मांग की थी, क्योंकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हाल ही में इज़राइल पर हथियार प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था. हालांकि, बाद में इज़राइल फ्रांस की भागीदारी पर सहमत हो गया.
हिज़्बुल्लाह और इज़राइल की जारी लड़ाई
युद्धविराम की दिशा में कदम बढ़ाने के बावजूद, इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच हिंसा जारी रही. हिज़्बुल्लाह ने सोमवार को इज़राइल पर 250 से अधिक रॉकेट और मिसाइलें दागीं, जबकि इज़राइल ने भी लेबनान पर हमले जारी रखे.
आईडीएफ की तैयारियां
इज़राइल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने लेबनान में अपने अभियान को विस्तार देने की योजना तैयार की है, यदि युद्धविराम समझौता विफल होता है. सोमवार को आईडीएफ ने उत्तरी इज़राइल में नए प्रतिबंध लगाए, इस डर से कि हिज़्बुल्लाह युद्धविराम लागू होने से पहले रॉकेट हमलों को और बढ़ा सकता है.
राजनीतिक विवाद
इज़राइल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इटमार बेन ग्वीर ने युद्धविराम के प्रस्ताव को अस्वीकार करने की मांग की. उन्होंने इसे “गंभीर गलती” बताया और कहा कि यह ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह को खत्म करने के ऐतिहासिक अवसर को गंवा देगा. हालांकि, उन्होंने सरकार गिराने की धमकी नहीं दी.
आगे की राह
इस युद्धविराम के बाद इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच संघर्ष के स्वरूप में बदलाव आ सकता है. हालांकि, इस क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता अभी भी बनी रहने की संभावना है. इज़राइल की ओर से किए गए बयान इस बात की ओर संकेत करते हैं कि वह अपनी सैन्य कार्रवाइयों को जारी रखेगा.
यह युद्धविराम भले ही अस्थायी शांति का संकेत देता हो, लेकिन दोनों पक्षों के बयानों से यह स्पष्ट है कि यह केवल एक अंतराल है. इस समझौते का वास्तविक असर सीमा क्षेत्र और वैश्विक राजनीति पर आने वाले दिनों में देखा जाएगा.