केंद्रीय बजटः मदरसों के फंड में भारी कटौती
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का बजट लगभगत 17 लाख करोड़ रूपये के घाटे वाला है. मगर इसकी एक हकीकत यह भी है कि इस बार के बजट में अल्पसंख्यकों का हक मार कर घाटे को कम करने की कोशिश की गई है.केंद्रीय बजट 2023 में अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति में 87 प्रतिशत की कटौती की है गई है. इसके लिए केवल 44 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
पिछले बजट में छात्रवृत्ति योजना के लिए 365 करोड़ रुपये रखे गए थे.मदरसों और अल्पसंख्यक शिक्षा के लिए आवंटित धनराशि भी बजट में 2022-2023 के 160 करोड़ रुपये से घटाकर 2023-24 में 10 करोड़ रुपये कर दी गई जो कि 93 प्रतिशत की भारी कटौती है.
अल्पसंख्यकों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 992 करोड़ रुपये की कटौती की गई, जिसमें 2022-23 में 1,425 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. योग्यता आवश्यकताओं को पिछले साल कक्षा 9 से कम स्तर के बच्चों को रोकने के लिए बदल दिया गया था. अपने बजट भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने समावेशिता पर जोर दिया, लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यकों को शामिल करने का उल्लेख नहीं किया.
हालांकि, 2022-23 के बजट में 550 करोड़ रुपये से 1,065 करोड़ रुपये तक, अल्पसंख्यकों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में 106 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.
मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप (एमएएनएफ) कार्यक्रम अब पेश नहीं किया जाएगा और वंचित और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति कार्यक्रम केवल कक्षा 9 और 10 के छात्रों के लिए उपलब्ध होगा. नरेंद्र मोदी सरकार के इस बजट से अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों, विद्वानों और प्रोफेसरों में आक्रोश फैल गया है.