प्रयागराज में रामनवमी के जुलूस के दौरान दरगाह पर उत्पात: अनुशासन पर सवाल, प्रशासन की चुप्पी चिंताजनक
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में रामनवमी के मौके पर एक दरगाह के बाहर हुई अराजकता ने न सिर्फ प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर किया है कि क्या धार्मिक स्थलों पर हमले अब आम हो चुके हैं?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि रामनवमी के जुलूस के दौरान कुछ लोग हथियार और डंडे लहराते हुए दरगाह की छत पर चढ़े, भड़काऊ नारे लगाए और धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कृत्य किए। यह दृश्य न केवल संविधान की भावना के खिलाफ है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी गहरी चोट पहुंचाता है।
सम्भल मे कोई छत पर नमाज़ न पढ़े इसलिए ड्रोन से निगरानी की गई
— Sadaf Afreen صدف (@s_afreen7) April 6, 2025
सड़क पर 5 मिनट की ईद की नमाज़ पढ़े जाने पर लाइसेंस/पासपोर्ट रद करने की धमकी दी गई!
पर प्रयागराज मे रामनवमी मे दरगाह पर मुजरा करना, आपत्तिजनक नारा लगाना, दरगाह तोड़ने की बात करना, जायज़ हो गया??pic.twitter.com/4AqpvcsSeg
📌 घटना की प्रमुख बातें:
- स्थान: बहरिया क्षेत्र, प्रयागराज
- तारीख: रामनवमी 2025
- विवाद: दरगाह की छत पर चढ़कर नारेबाज़ी और अपमानजनक व्यवहार
- आरोपी: मनेंद्र प्रताप सिंह (खुद को बीजेपी कार्यकर्ता बताता है)
is this happening on the road? blocking traffic? Forgot. This kinf of discrimination is the hallmark og the Uttam Pradesh https://t.co/941zqdvVcB
— Subhashini Ali (@SubhashiniAli) April 6, 2025
🧾 पृष्ठभूमि: जब मुसलमानों ने दिखाई थी इंसानियत
यह वही प्रयागराज है जहाँ कुछ महीने पहले महाकुंभ के दौरान कुव्यवस्था के शिकार तीर्थयात्रियों को स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने अपने घरों और मस्जिदों में शरण दी थी। उनके रहने, खाने और उपचार तक का बंदोबस्त मुसलमानों ने बिना किसी भेदभाव के किया था।
One of the accused, Manendra Pratap Singh, seen climbing on the roof of Dargah entrance and giving provocative slogans and abuses during Ram Navami celebration is a BJP member. Or atleast, he claims so.
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) April 6, 2025
Not tagging UP police. Last time when I tagged UP police for hate speech,… https://t.co/uAh2dquGFI pic.twitter.com/GtPoNFb7iu
❓ क्या यही है अनुशासन? नेताओं और पत्रकारों की प्रतिक्रियाएं
@Wasim_Akram_Tyagi:
“तस्वीर पत्रकार @Abhinav_Pan ने पोस्ट की है। इलाहाबाद के बहरिया की बताई जा रही है। कुछ दिन पहले @myogiadityanath कह रहे थे कि मुसलमानों को हिंदुओं से अनुशासन सीखना चाहिए। क्या यही है वो अनुशासन?”
अभी चार दिन पहले ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जी एक इंटरव्यू में कह रहे थे कि मुस्लिम समाज धार्मिक हिंदुओं से अनुशासन सीखे।
— Imran Pratapgarhi (@ShayarImran) April 6, 2025
क्या यही वो अनुशासन है जिसकी बात मुख्यमंत्री जी कर रहे थे ??
क्या भारत के सबसे बड़े राज्य में इस तरह की अराजकता पर @Uppolice कोई उदाहरण प्रस्तुत करने वाली… pic.twitter.com/WHvHUeJbxd
@ImranPratapgarhi:
“सीएम योगी कह रहे थे मुसलमानों को अनुशासन सीखना चाहिए। क्या यही अनुशासन है? क्या यूपी पुलिस इस पर कोई कार्रवाई करेगी या आंखें मूंदे रहेगी?”
@zoo_bear (मोहम्मद जुबैर):
“दरगाह पर चढ़कर गालियां देने वाला मनेंद्र सिंह खुद को बीजेपी सदस्य बताता है। यूपी पुलिस को टैग नहीं कर रहा, पिछली बार टैग किया तो मेरे खिलाफ एफआईआर हुई थी।”
@SadafAfreen:
“संभल में छत पर नमाज़ न पढ़े इसलिए ड्रोन से निगरानी की गई, पासपोर्ट रद्द करने की धमकी दी गई। लेकिन प्रयागराज में दरगाह पर नाच-गाना, नारेबाज़ी, सब जायज़?”
🛑 प्रशासन की चुप्पी और दोहरे मापदंड पर उठे सवाल
उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। एक ओर सड़कों पर नमाज़ पढ़ने पर मुकदमे दर्ज किए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर धार्मिक जुलूस के नाम पर खुलेआम दरगाहों की बेअदबी होती है, और प्रशासन मौन साध लेता है।
सवाल यह भी उठता है कि क्या धार्मिक पहचान के आधार पर कानून का पालन और कार्रवाई तय होगी? क्या अनुशासन और ‘मर्यादा’ का दायरा भी अब धर्म देखकर तय किया जाएगा?
📱 सोशल मीडिया पर जनता का आक्रोश
इस घटना को लेकर ट्विटर (अब X) पर #PrayagrajShame, #RamNavamiViolence जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। यूज़र्स सरकार और यूपी पुलिस से जवाब मांग रहे हैं। कई लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह ‘मॉब ऑथोराइजेशन’ की दिशा में एक खतरनाक कदम होगा।
🔎 क्या कहती है संविधान और क़ानून?
भारत का संविधान सभी धर्मों को समान अधिकार देता है। धार्मिक स्थलों का अपमान भारतीय दंड संहिता की धारा 295A के तहत दंडनीय अपराध है। लेकिन सवाल यह है कि क्या कानून सबके लिए बराबर लागू होता है?
🧭 निष्कर्ष: भारत किस दिशा में जा रहा है?
धार्मिक सौहार्द भारत की आत्मा है। लेकिन अगर उसे बार-बार सत्ता संरक्षण और प्रशासनिक चुप्पी के नाम पर घायल किया जाता रहा, तो देश का सामाजिक ताना-बाना बिखरने में देर नहीं लगेगी। अब वक्त है कि सभी जिम्मेदार नागरिक और संस्थाएं एक सुर में कहें — “नफरत के खिलाफ एकजुट हो जाइए, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।”