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अमेरिकी महावाणिज्यदूत और कुलपति ने MANUU में उमर खालिदी हॉल का किया उद्घाटन

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,हैदराबाद

हैदराबाद में अमेरिका के महावाणिज्य दूतावास की काउंसिल जनरल जेनिफर लार्सन (Consul General, U.S. Consulate General, Hyderabad ) ने कहा कि डॉ उमर खालिदी के जीवन और शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों में किए गए काम भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक पुल के रूप में पहचान रखते हैं. वह मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में उमर खालिदी हॉल के उद्घाटन के अवसर पर बोल रही थीं.

दरअसल हाल का निर्माण एच.के. शेरवानी सेंटर फॉर दक्कन स्टडीज (एचकेएससीडीएस), एमएएन और यू.एस. महावाणिज्य दूतावास, हैदराबाद द्वारा दिवंगत डॉ. उमर खालिदी को दक्कन पर उनकी विद्वता के लिए एक उचित श्रद्धांजलि के रूप में किया गया है. इस मौके पर विवि के कुलपति प्रोफेसर सैयद ऐनुल हसन भी मौजूद थे.

जेनिफर लार्सन ने हाल में प्रदर्शित खालिदी परिवार द्वारा दान की गई विभिन्न भाषाओं की पुस्तकों, पांडुलिपियों के विशाल संग्रह वाले उमर खालिदी हॉल के उद्घाटन के अलावा इसका अवलोकन भी किया. बता दें कि उमर खालिदी हैदराबाद में पैदा हुए यूएस नागरिक थे. वह अल्पसंख्यक अधिकारों, इतिहास, वास्तुकला, अर्थशास्त्र, जनसांख्यिकी, राजनीति, उर्दू शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रख्यात विद्वान माने जाते हैं. उन्होंने सामान्य रूप से दक्कन के इतिहास और संस्कृति और विशेष रूप से हैदराबाद पर कई किताबें और लेख लिखे हैं.

एमएस जेनिफर लार्सन ने अपने संबोधन में उनके प्रयासों की सराहना की. कहा कि दो देशों को करीब लाने में उमर खालिदी ने अहम किरदार निभाया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह पुस्तक संग्रह दूसरों के लिए उनके नक्शेकदम पर चलने और संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच और भी मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक अनुस्मारक होगा.

अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में, प्रोफेसर ऐनुल हसन ने उस पुरानी यादों के बारे में बात की और दक्कन के अध्ययन के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे शोधकर्ताओं के लिए इसका महत्व समझाया. उन्होंने उमर खालिदी को बहुमुखी लेखक बताया.

प्रो इश्तियाक अहमद, रजिस्ट्रार ने इस दुर्लभ संग्रह को दान करने के लिए हुए समझौते के महत्व पर प्रकाश डाला.प्रो सलमा अहमद फारूकी, निदेशक, एचकेएससीडीएस ने बताया कि केंद्र उमर खालिदी पुस्तक संग्रह को हैदराबाद लाने के मिशन पर था, क्योंकि यह केवल पुस्तक संग्रह नहीं है. उन्होंने कहा कि कई अमेरिकी विश्वविद्यालय और हैदराबादवासी इसकी मांग कर रहे थे. यह संग्रह बड़ी मात्रा में भावनात्मक मूल्य पैदा करता है और इस संग्रह को हैदराबाद के एक विश्वविद्यालय में रखना सबसे उपयुक्त लगता है.

आलिया खालिदी, वकील और डॉ. उमर खालिदी ने अपने वीडियो संदेश में किताबों को इकट्ठा करने और पढ़ने के लिए अपने पिता की दीवानगी को याद किया. मीर अयूब अली खान, पूर्व मीडिया समन्वयक और वरिष्ठ पत्रकार ने उमर खालिदी के बारे में बात की. कहा कि उन्हें हैदराबाद के इतिहास और संस्कृति में बहुत रुचि थी. उन्होंने 25 पुस्तकें लिखीं.

सहायक प्राध्यापक – डॉ. ए. सुभाष ने स्वागत भाषण दिया और डॉ. शाहिद जमाल ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा.सम्मेलन में हैदराबाद से बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित व्यक्तित्व, संकाय, शोधकर्ता शामिल हुए. तकनीकी सत्र की अध्यक्षता सज्जाद शाहिद, विरासत संरक्षण सलाहकार और सह-संयोजक, आर. यशवंत राममूर्ति ने भी अपने विचार रखे.