उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन: वे 7 मुस्लिम ‘ रैट माइनर्स’, जिन्होंने टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकला
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
सतराह दिनों की मशक्कत के बाद यह अब सबको पता चल चुका है कि उत्तरकाशी के ध्वस्त टनल में 17 दिनों तक फंसे 41 मजदूरों को निकालने में देशी-विदेशी तमाम तकनीकें बेकार हो गई थीं. मजदूरों को बाहर निकालने में किसी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तो वे थे ‘रैट माइनर्स’. सोशल मीडिया पर चल रही खबरों पर यकीन करें तो इसके लिए रैट माइनर्स के 12 लोगों की जो टीम बनाई गई थी, उसमें 7 मुसलमान थे. यही नहीं इनकी कमान भी एक मुसलमान वकील हसन के हाथों में थी.
कोयला चोरी की तकनी है रैट माइनिंग
उल्लेखनीय है कि ‘रैट माइनिंग’ एक तरह की अवैध तकनीक है, जिसका इस्तेमाल कोयला चोर बंद खदानों से कोयला निकालने के लिए करते हैं. इसके लिए सुरक्षा के उपाय किए बिना एक संकरा रास्ता बनाया जाता है, जिसकी मदद से कोयले के अवैध खनन करने के साथ उसे बाहर निकाला जाता है. चूंकि इसमें कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं होता, इसलिए अक्सर ऐसे अवैध माइन ध्वस्त हो जाते हैं और कोयला चारों की उसमें दबकर मौत हो जाती है.
रैट माइनिंग तकनीक से टनल में बना रास्ता
उत्तरकाशी के ध्वस्त टनल में भी रैट माइनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया. जब सारी देशी-विदेशी तकनीक फेल हो गई तो इसके लिए रैट माइनिंग कर मजदूरों को निकालने के लिए रास्ता बनाया गया. इसके लिए खोदे गए रास्ते में लोहे की पाइप भी साथ में पुश की गई, ताकि रैट माइनिंग करते समय किसी तरह का कोई हादसा न हो. वकील हसन कहते हैं, ‘‘ पत्थरों, लोहे की सरिया, गार्डर के चलते इस काम मंे थोड़ी रूकावट जरूर हुई, पर मजदूरों को सकुशल निकाल लिया गया.’’
"Never imagined we could do this": Wakeek Hassan tells The Hindu. Mr. Hassan is the leader of the rat mining team that dug the final 18 meters to rescue workers trapped in Uttarakhand tunnel. pic.twitter.com/k9QXirAuNB
— The Hindu (@the_hindu) November 28, 2023
रैट माइनर्स की सोशल मीडिया पर हो रही तारीफ
सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के अनुसार, रैट माइनिंग तकनीक को अमली रूप देने के लिए जिन 12 लोगों की टीम बनाई थी उसमें शामिल थे वकील, मुन्ना कुरैशी, फिरोज, मोनू , नसीम, इरशाद, अंकुर ,राशिद, जतिन, नासिर, सौरभ एवं देवेन्द्र.
इस बारे में जमा नामक ट्विटर हैंडल से जो जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की गई है, उसके अनुसार, ‘‘ इस ऑपरेशन के असली हीरो वो 12 रैट माइनर्स हैं, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर नामुमकिन काम को मुमकिन कर दिखाया. आखिरी 15 मीटर पूरे किए, जो कोई मशीन नहीं कर पाई.
Real Heros of this operation are those 12 Rat Miners who risked their lives and made impossible task possible, completed the final 15 metres, which no machine could do.
— زماں (@Delhiite_) November 29, 2023
1. Vakeel 2. Munna 3. Feroz
4. Monu 5. Naseem 6. Irshad
7. Ankur 8. Rashid 9. Jatin
10. Nasir 11.… pic.twitter.com/pVHSFoaPRR
इसमें आगे लिखा गया है-‘‘1. वकील 2. मुन्ना 3. फिरोज 4. मोनू 5. नसीम 6. इरशाद 7. अंकुर 8. राशिद 9. जतिन 10. नासिर 11. सौरभ 12. देवेन्द्र.26 घंटे में पूरा किया काम, जो नवीनतम तकनीक 18 दिनों में नहीं कर पाई!’’वह रैट माइनर्स की तारीफ में आगे लिखते हैं, ‘‘चल रहे बचाव अभियान में जब अत्याधुनिक बरमा मशीन खराब हो गई तो उन्होंने 26 घंटे तक लगातार मेहनत की.
Real Heros of this operation are those 12 Rat Miners who risked their lives and made impossible task possible, completed the final 15 metres, which no machine could do.
— زماں (@Delhiite_) November 29, 2023
1. Vakeel 2. Munna 3. Feroz
4. Monu 5. Naseem 6. Irshad
7. Ankur 8. Rashid 9. Jatin
10. Nasir 11.… pic.twitter.com/pVHSFoaPRR
मजदूरों को निकालने में दो मुस्लिम अधिकारियों का भी रहा अहम रोल
मजदूरों को सकुशल ध्वस्त टनल से निकलने की जंग में दो मुस्लिम अधिकारियों का भी अहम रोल रहा. इसमें एक है सेवानिवृत ले.जे. सैयद अता हसनैन और दूसरे हैं महमूद अहमद. महमूद एनएचएआई के एमडी हैं, जबकि आपदा प्रबंधन के सदस्य हैं अता हसनैन. मजदूरों के बचाव ऑपरेशन भी ये भी उन्हें दी गई जिम्मेदारियों पर मुस्तैद रहे. पूरे ऑपरेशन की निगरानी की.