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रमज़ान के दौरान ट्रेन में मौलाना की पिटाई का वीडियो वायरल: देश में बढ़ती भीड़तंत्र की घटनाएं चिंताजनक

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
रमज़ान के पवित्र महीने में एक बार फिर भीड़तंत्र का खौफनाक चेहरा सामने आया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक मौलाना को ट्रेन में कुछ लोगों द्वारा बेरहमी से पीटा जा रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि मौलाना ने ट्रेन में एक महिला से छेड़छाड़ की, जबकि पीड़ित के परिवार का कहना है कि वह केवल कुरआन की तिलावत कर रहे थे और अपने मदरसे के लिए चंदा इकट्ठा करने राजस्थान के गंगापुर से गुजरात जा रहे थे।

भीड़तंत्र का नया मामला, कानून की गैर-मौजूदगी

इस घटना ने फिर से कानून व्यवस्था और न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर किसी व्यक्ति पर कोई आरोप है, तो कानून के तहत उसकी जांच और न्यायिक प्रक्रिया होनी चाहिए। लेकिन इस मामले में भीड़ ने खुद ही ‘न्याय’ करने की कोशिश की और एक मुस्लिम शख्स को सिर्फ शक के आधार पर पीट डाला।

👉 मुख्य चिंताएं:
✔ किसी भी व्यक्ति को केवल शक के आधार पर पीटना एक खतरनाक प्रवृत्ति है।
✔ पीड़ित मौलाना रोज़े से थे, फिर भी उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया।
✔ रेलवे पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
✔ सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर उनकी छवि धूमिल की गई।

क्या कुरआन की तिलावत करना अपराध है?

पीड़ित के परिवार का कहना है कि मौलाना ट्रेन में कुरआन की तिलावत कर रहे थे, और इसी दौरान उन पर झूठा आरोप लगाकर पिटाई की गई। यह गंभीर सवाल खड़ा करता है कि क्या अब किसी मुस्लिम व्यक्ति को सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक ग्रंथ पढ़ने की भी अनुमति नहीं है?

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से कई वीडियो वायरल हुए हैं, जहां कुछ समूह ट्रेन, बस, हवाई जहाज में भजन-कीर्तन करते नजर आते हैं, और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। लेकिन एक मुस्लिम व्यक्ति कुरआन पढ़ता है, तो उसे पीट दिया जाता है?


सोशल मीडिया पर बढ़ता आक्रोश

इस घटना के बाद ट्विटर (X) पर #TrainLynching, #MuslimUnderAttack, और #JusticeForMaulana जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और आम लोग इस पर अपनी राय रख रहे हैं।

पत्रकार जाकिर अली त्यागी लिखते हैं:
“कल से एक मौलाना की पिटाई का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि उन्हें ट्रेन में गुंडों ने छेड़छाड़ का झूठा आरोप लगाकर गाली-गलौच करते हुए बेरहमी से पीटा। यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि देश में हर रोज़ ट्रेन में मुसलमानों को लिंचिंग का सामना करना पड़ रहा है।”

Maktoob Hindi की रिपोर्ट के अनुसार:
“मौलाना कुरआन पढ़ रहे थे, कुछ लोगों ने उन पर झूठे इल्ज़ाम लगाए और उन्हें बेरहमी से पीटा।”


मुसलमानों के खिलाफ ‘सांस्कृतिक युद्ध’ और देश की बिगड़ती छवि

इस तरह की घटनाएं यह बताती हैं कि कुछ समूहों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ एक सांस्कृतिक युद्ध छेड़ा जा रहा है।

👉 प्रमुख मुद्दे:
✔ भीड़तंत्र (Mob Lynching) का चलन खतरनाक रूप ले चुका है।
✔ मुसलमानों को निशाना बनाकर उनकी धार्मिक पहचान पर हमले हो रहे हैं।
✔ सरकार और पुलिस की निष्क्रियता ऐसे मामलों को बढ़ावा दे रही है।
✔ देश की अंतरराष्ट्रीय छवि भी इससे धूमिल हो रही है।

सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा:
“अगर ट्रेन में भजन-कीर्तन हो सकता है, तो कुरआन की तिलावत क्यों नहीं? क्या धार्मिक स्वतंत्रता सिर्फ एक समुदाय के लिए रह गई है?”


रेलवे और सरकार की चुप्पी क्यों?

अब तक रेलवे पुलिस (RPF) और रेलवे मंत्रालय की ओर से कोई ठोस बयान नहीं आया है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या सरकार और प्रशासन जानबूझकर ऐसी घटनाओं को अनदेखा कर रहे हैं?

क्या होना चाहिए?
✅ रेलवे सुरक्षा बल (RPF) को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
✅ पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
✅ भीड़तंत्र को रोकने के लिए सख्त कानून लागू होने चाहिए।

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