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संवैधानिक अधिकारों का हनन: रुद्रप्रयाग में मुस्लिम फेरीवालों पर पाबंदी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

नफरती हिंदू-मुसलमान के नाम पर जहर बोकर भारत को फिर बांटने की साजिश रच रहे हैं. इस बार सांस्कृतिक बंटवारे की साजिश चल रही है. इसकी ऐसी दो तरफा ब्यार चल रही है कि धीरे-धीर इसकी चपेट में आम नागरिक आता जा रहा है.

हद यह है कि ऐसे लोग अनर्गल बकवास कर न केवल देश की शांति-व्यवस्था में पलीता लगाने को आमादा हैं, खुले तौर पर कानून और संविधान का भी उल्लंघन कर रहे हैं. इससे भी चिंताजनक बात यह है कि इनको को एक वर्ग विशेष से शह मिल रही है और आम लोगों को इस आग में झोंने की साजिशें चल रही हैं.

उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में ऐसी ही एक घटना सामने आई है. बोर्ड लगाकर मुसलमानों और मुस्लिम वेंडरों को प्रवेश नहीं करने की चेतावनी दी जा रही है. दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन और अदालतें आंखें मूंदे हैं. भारतीय संविधान के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक कहीं भी आ-जा और रह सकता है.

मगर रुद्रप्रयाग में बोर्ड लगाकर संविधान को खुली चुनौती दी जा रही है.  रोहिंग्या  के नाम पर मुसलमानों के गांवों में आने-जाने और प्रवेश पर बोर्ड लगाकर पाबंदी लगाई जा रही है.

दरअसल, रोहिंग्या बहाना मात्र है. क्यों कि अवैध तरीके से यदि कोई भी विदेशी नागरिक भारत में कहीं भी रहता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. इसके अलावा यदि देश के किसी हिस्से में कोई रोहिंग्या रह भी रहा है तो वह भी देश और अंतरराष्ट्रीय कानून की इजाजत से. ऐसे लोगों का विरोध भी अंतरराष्ट्रीय कानून और भारत के संविधान का उल्लंघन है.मगर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में इन सारी बातों को ठोकर पर रखी गई है.

एक्स पर Zakir Ali Tyagi नामक एक पत्रकार ने कई तस्वीरों के साथ एक पोस्ट साझा की है, जिसमें उन्होंने कहा है-‘‘उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में दर्जनों गांवों के बाहर मुसलमान या कोई मुस्लिम फेरीवाला घुसा तो 5,000₹ जुर्माना लिया जाएगा,लिख बोर्ड लगा दिए गए हैं. कहा गया है कि अगर कोई मुस्लिम फेरीवाला गांवों में व्यापार या घूमता पाए जाने पर जुर्माने के साथ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.’’

उन्होंने इस मामले के प्रति अपने पोस्ट के माध्यम सेदेश के प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षिक करते हुए आगे लिखा है-‘‘ हाल ही में कह रहे थे दुनियाभर के मुसलमान बदल रहे हंै, लेकिन भारत में लोग अभी भी हिंदू मुसलमान करते है!, अगर पीएम के बयान की थोड़ी भी लाज रखनी है तो इन गुंडों पर त्वरित कार्रवाई  होनी चाहिए! ’’

दुखद बात यह है कि इस संवेदनशील मामले में निष्पक्ष लोगों को आगे आकर ऐसे लोगों को सजा दिलाने का प्रयास करना चाहिए. इसके उलट इसे सही ठहराने के लिए अनर्गल दलीलें दी जा रही हैं. यहां तक कि दुनिया के दूसरे देशों की मिसाल पेश की जा रही है.

जबकि सबको पता है कि विश्व में जो मार-काट मची है, उसके पीछे कौन हैं और क्या वजह है. रही बात मुस्लिम देशों की तो वहां क्या मुसलमान और क्या हिंदू, सभी भारतीय बड़ी शांति से रहकर रोजी-रोटी कमा रहे हैं.

इसके विपरीत एक यूजर ने थोथी दलील दी है-‘‘मुस्लिमों को स्वयं आत्मचिंतन करना होगा, क्यों पूरे विश्व में उनके साथ ऐसा हो रहा है.क्यों विश्व की प्रत्येक कम्युनिटी मुस्लिमों के साथ रहने में असहज महसूस करती है.’’
इसकी वजह ये रही.जो ये बोर्ड लगाना पड़ा. मामला रुद्रप्रयाग जिले के शेरसी व गौरीकुंड गांव का है.

इसके जवाब में एक अन्य यूजर ने लिखा-अगर यही बोर्ड इंडियंस के लिए विदेशों में लगा दिए जाएं तो करोड़ों भारतीयों को वापस आना पड़ सकता है.यहां संविधान अपने नागरिकों आर्टिकल 19 में देश में कहीं भी जाने और रहने की इजाजत देता है, वहां ऐसे बीमार लोग कहां से पैदा हो गए हैं जो अपने इलाकों में खुद अछूत हो गए?

उन्हें खुली छूट दी गई है. यहां तक कि सरपंच भी खुलकर इसका समर्थन कर रहे हैं.अब कानून-व्यवस्था पुलिस प्रशासन नहीं बल्कि स्थानीय लोग तय करेंगे?इसपर एक अन्य की दलील है-भाई अब गांव वाले उनसे सामान नहीं खरीदना चाहते तो लोग अपने अधिकारों के प्रति स्वतंत्र हैं.सबको संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं.

अब उनको कोई खतरा महसूस होता होगा इसीलिए उन लोगों ने ऐसा बोर्ड चिपकाए हैं.’’अब ऐसे मूढ़ को कौन समझाए कि यदि किसी को किसी से डर लगता है तो उसे नियंत्रित करने का काम पुलिस प्रशासन का है. आम आदमी कैसे कानून हाथ में ले सकता है ?

इससे भी दो हाथ आगे एक अन्य यूजर ने एक्स पर पोस्ट किया-‘‘सरकार को कानून बनाकर ये बोर्ड हर गली मोहल्ले में लगाना चाहिए , ताकि जाहिल जिहादी सनातनी इलाके में नजर ना आएं.’’

अब देखना है कि शासन-प्रशासन ऐसे लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है या करती भी है या नहीं.

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