वक्फ संशोधन विधेयक: बीआरएस एमएलसी के कविता ने जताया विरोध, संसद में उठाएंगी आवाज
Table of Contents
मुस्लिम नाउ,हैदराबाद (तेलंगाना)
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के कविता ने वक्फ संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक को संसद में चुनौती देगी और मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा के लिए हमेशा खड़ी रहेगी।
बांसवाड़ा में आयोजित एक इफ्तार पार्टी में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान के कविता ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “हम रमज़ान के इस पवित्र महीने में अपने लोगों के साथ खड़े हैं। केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास कर रही है, जिसे हम किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे। बीआरएस पार्टी मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इस विधेयक के खिलाफ संसद में मजबूती से आवाज उठाएगी।”
वक्फ संशोधन विधेयक: क्या है विवाद?
वक्फ अधिनियम, 1995 को लेकर लंबे समय से भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और अवैध अतिक्रमण के आरोप लगते रहे हैं। सरकार ने इसे सुधारने के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट प्रणाली और पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ अवैध कब्जों को हटाने के लिए कानूनी तंत्र को मजबूत करना है। हालांकि, मुस्लिम समुदाय और कई राजनीतिक दल इस विधेयक को वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की साजिश मान रहे हैं।
एआईएमपीएलबी का भी विरोध, देशव्यापी आंदोलन की घोषणा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी इस विधेयक के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। बोर्ड के कार्यालय सचिव मोहम्मद वकार उद्दीन लतीफी ने बयान जारी कर कहा, “दिल्ली में 17 मार्च को हुए सफल विरोध प्रदर्शन के बाद अब पूरे देश में इस विधेयक के खिलाफ आंदोलन छेड़ा जाएगा।”
संयुक्त संसदीय समिति करेगी विधेयक की जांच
विवाद को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस विधेयक की बारीकी से जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया है, जिसमें विशेषज्ञों और हितधारकों की राय ली जाएगी।
राजनीतिक सरगर्मियां तेज, विपक्ष भी हमलावर
बीआरएस के अलावा अन्य विपक्षी दल भी इस विधेयक पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। कई सांसदों का मानना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के स्वायत्त प्रबंधन को कमजोर करने की साजिश है। वहीं, केंद्र सरकार का तर्क है कि इससे पारदर्शिता आएगी और वक्फ संपत्तियों के सही उपयोग को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश में बहस तेज हो गई है। जहां एक ओर केंद्र सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दल इसे संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण की चाल करार दे रहे हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद से सड़कों तक तूल पकड़ सकता है। अब देखना यह होगा कि संयुक्त संसदीय समिति इस विधेयक पर क्या निर्णय लेती है और क्या सरकार इसमें संशोधन करने के लिए तैयार होगी।