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वक्फ अधिनियम 2025 वक्फ संपत्तियों के लिए खतरा: जमीअत उलमा-ए-हिंद विशेषज्ञों ने जताई गंभीर चिंता

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

— वक्फ अधिनियम 2025 के प्रस्तावित प्रावधानों को लेकर देशभर के कानूनी विशेषज्ञों, इस्लामी विद्वानों, सामाजिक नेताओं और बुद्धिजीवियों ने गहरी चिंता जताई है। जमीअत उलमा-ए-हिंद द्वारा नई दिल्ली स्थित मदनी हॉल में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि यह नया कानून वक्फ संपत्तियों की रक्षा करने के बजाय, उनके अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने स्पष्ट किया कि यह मसला केवल कानूनी नहीं बल्कि धार्मिक, नैतिक और सामाजिक ज़िम्मेदारी से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, “हमने स्वतंत्रता से पहले और बाद में वक्फ की रक्षा में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन वर्तमान सरकार ने न तो धार्मिक संगठनों और न ही कानूनी विशेषज्ञों की राय ली है। मसौदा अधिनियम वक्फ की मूल भावना, उसकी आत्मा और उसके उद्देश्यों को कमजोर करता है।” उन्होंने इस कानून के खिलाफ कानूनी और जनजागरण स्तर पर व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया।

बैठक में भाग लेने वाले प्रख्यात वक्फ विशेषज्ञ व पूर्व आईआरएस अधिकारी सैयद महमूद अख्तर ने कहा कि यह नया कानून दिल्ली विकास प्राधिकरण जैसे ढांचे पर आधारित है, जिसमें इस्लामी शरिया के सिद्धांतों की कोई झलक नहीं मिलती। उन्होंने इसे वक्फ की स्वायत्तता और धार्मिक स्वरूप को खत्म करने वाला बताया।

सेंट्रल वक्फ काउंसिल के पूर्व सदस्य एम. इकबाल ए. शेख ने कहा कि मसौदा अधिनियम की धारा 40 और धारा 83 के माध्यम से वक्फ बोर्ड के कानूनी अधिकार और वक्फ संपत्तियों के संरक्षण को कमजोर किया गया है।

दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया के सज्जादा नशीन एडवोकेट पीरजादा फरीद अहमद निजामी ने धारा 3 में पांच वर्ष की उम्र की मुस्लिम पहचान की अनिवार्यता और धारा 3डी में पुरातात्विक महत्व की संपत्तियों को वक्फ की श्रेणी से बाहर करने को इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ बताया।

दरगाह सफीपुर के नायब सज्जादा नशीन अफजाल मुहम्मद सफवी फारूकी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में वक्फ संपत्तियों की स्थिति और प्रबंधन को लेकर गंभीर जागरूकता की कमी है। इस कारण वहां पर कब्जा और दखल जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं।

सज्जादा नशीन गेसू दराज़, सैयद मुहम्मद अली हुसैनी ने तत्काल वक्फ संपत्तियों के दस्तावेज तैयार कराने पर जोर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट एम. आर. शमशाद ने कहा, “इस कानून का बाहरी चेहरा कुछ और है, जबकि अंदरूनी ढांचा पूरी तरह अलग है। हर वक्फ संपत्ति को व्यक्तिगत स्तर पर सुरक्षित रखने के प्रयास जरूरी हो गए हैं।”

एडवोकेट रऊफ रहीम ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय एकता और संगठित प्रयासों की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत प्रयासों से अब बात नहीं बनेगी, देशव्यापी आंदोलन चलाना होगा।

एडवोकेट मुहम्मद ताहिर हकीम (गुजरात) ने वक्फ संपत्तियों का दर्जा खत्म करने की संभावनाओं को खतरनाक बताया।

पूर्व आईएफएस अधिकारी और वरिष्ठ पत्रकार एम. जे. अकबर ने कहा कि सरकार वक्फ की परंपरा को खत्म कर ट्रस्ट संस्कृति को बढ़ावा देना चाहती है, जो एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है।

बैठक में समाधान और कार्ययोजना पर भी चर्चा हुई।

  • मौलाना सिद्दीकुल्लाह चौधरी (पश्चिम बंगाल अध्यक्ष, जमीअत उलमा) ने सुझाव दिया कि कानूनी सहायता हेतु वकीलों की टीम बनाई जाए, उनके संपर्क प्रकाशित किए जाएं।
  • हाजी मोहम्मद हारून (मध्य प्रदेश अध्यक्ष, जमीअत उलमा) ने 100 शहरों में जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया।
  • हाफिज नदीम सिद्दीकी (महाराष्ट्र अध्यक्ष) ने ब्लॉक स्तर पर युवाओं की टीम बनाकर वक्फ संपत्तियों की जांच व संरक्षण की आवश्यकता बताई।
  • प्रोफेसर निसार अंसारी (महासचिव, गुजरात जमीअत) ने सभी राज्यों में उप-समितियों के माध्यम से दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया तेज करने की अपील की।

बैठक का निष्कर्ष यह रहा कि वक्फ अधिनियम 2025 की कमियों को उजागर करना, कानूनी मोर्चे पर उसका विरोध करना, और जनता में व्यापक जन-जागरूकता फैलाना वक्त की ज़रूरत है। जमीअत उलमा-ए-हिंद ने सभी सामाजिक, धार्मिक और कानूनी संस्थाओं से इस अभियान में सहयोग की अपील की है।

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