वक्फ अधिनियम 2025 लागू: मुसलमानों के विरोध के बावजूद राष्ट्रपति मुर्मू ने दी मंजूरी, विरोधियों ने बताया ‘काला कानून’
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दलों के तीव्र विरोध को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को कानूनी रूप दे दिया है। शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद यह विधेयक अब कानून बन गया है। इसके साथ ही 1995 के मौजूदा वक्फ अधिनियम का नाम बदलकर ‘यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम, 1995’ रख दिया गया है।
इस कानून के लागू होते ही मुस्लिम संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘काला कानून’ करार दिया और 5 अप्रैल को ‘ब्लैक संडे’ के रूप में चिन्हित किया। उनका आरोप है कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता में हस्तक्षेप है और उनके पर्सनल लॉ का उल्लंघन भी।
क्या है वक्फ अधिनियम 2025?
सरकार के अनुसार, इस अधिनियम का उद्देश्य देशभर में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और कुशल प्रशासन लाना है। इसके जरिए वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग, अतिक्रमण और भ्रष्टाचार को रोकने का दावा किया गया है।
नए कानून में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों और महिलाओं की नियुक्ति, वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण, राजस्व अधिकारियों (जैसे कलेक्टर) को सर्वेक्षण का अधिकार, और ट्रिब्यूनल के फैसलों के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील का प्रावधान जैसे कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।
क्यों हो रहा है विरोध?
मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों का मानना है कि यह कानून मुस्लिमों की धार्मिक संस्थाओं और संपत्तियों में ‘सरकारी दखल’ को बढ़ावा देता है। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति को समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया जा रहा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, मुस्लिम मजलिसे मुशावरत सहित कई संगठनों ने इस कानून को असंवैधानिक बताया है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की चेतावनी दी है।
सरकार का पक्ष
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने सदनों में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि वक्फ अधिनियम 2025 मुस्लिम विरोधी नहीं है। बल्कि इसका उद्देश्य गरीब मुस्लिम महिलाओं, बच्चों और वंचित वर्गों को वक्फ संपत्तियों से सीधे लाभ पहुंचाना है।
गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर उन्होंने स्पष्ट किया कि 11-सदस्यीय बोर्ड में अधिकतम तीन गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे, जिससे बहुमत अब भी मुस्लिम समुदाय का ही बना रहेगा।
कैसे पारित हुआ यह कानून?
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों से मंजूरी मिली।
- लोकसभा में: 3 अप्रैल की सुबह यह विधेयक पारित हुआ, जिसमें 288 वोट इसके पक्ष में और 232 विरोध में पड़े।
- राज्यसभा में: 4 अप्रैल को 128 सांसदों ने इसके पक्ष में और 95 ने विरोध में वोट दिया।
गौरतलब है कि 2024 में प्रस्तुत पहले ड्राफ्ट को विपक्ष की आपत्तियों के बाद संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था। समिति की सिफारिशों के आधार पर इसमें कई संशोधन कर अब नया कानून लाया गया है।
एक अहम बदलाव यह है कि यह कानून पूर्व प्रभाव से लागू नहीं होगा, यानी पिछली संपत्तियों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा।