वक्फ विधेयक 2024: जमात-ए-इस्लामी हिंद ने बताया मुस्लिम विरोधी, उठाया संविधान उल्लंघन का मुद्दा
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वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के खिलाफ विधायी भेदभाव की मिसाल: सैयद सदातुल्लाह हुसैनी
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता
जमात-ए-इस्लामी हिंद (Jamaat-e-Islami Hind) के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे “मुसलमानों के खिलाफ विधायी भेदभाव का मार्ग प्रशस्त करने वाला अत्यंत निंदनीय कदम” करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक भारत के संवैधानिक मूल्यों, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ है।
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Highlights
- वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर जमात-ए-इस्लामी हिंद की कड़ी आपत्ति
- सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने बताया – संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन
- मुसलमानों के अधिकारों पर हमला, अन्य धर्मों के लिए बने कानूनों की अनदेखी
- परामर्श प्रक्रिया को बताया औपचारिकता, मीडिया की भूमिका पर सवाल
- देशभर में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की चेतावनी, AIMPLB होगा अगुआ
🛑 विधेयक से मुसलमानों को निशाना बनाए जाने का आरोप
हुसैनी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वक्फ अधिनियम, 1995 के जो प्रावधान इस विधेयक के जरिए निरस्त किए जा रहे हैं, वे केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं हैं। बल्कि अन्य धार्मिक समुदायों के पास भी समान अधिकार हैं।
“हिंदू मंदिरों और ईसाई चर्चों जैसे अन्य धार्मिक समुदायों के बंदोबस्ती कानून अपने संबंधित धर्म के अनुयायियों को ही प्रबंधन बोर्डों में शामिल करने की अनुमति देते हैं। ऐसे प्रावधान ‘यूज़र्स बाय टेंपल’ के तहत मौजूद हैं, जो ‘यूज़र्स बाय वक्फ’ के समकक्ष हैं,” – उन्होंने कहा।
⚖️ स्पष्ट विधायी भेदभाव और संविधान का उल्लंघन
हुसैनी ने इस विधेयक को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 26 का खुला उल्लंघन बताया, जो हर धार्मिक समुदाय को अपने धार्मिक मामलों के स्वतंत्र प्रबंधन का अधिकार देता है।
“केवल मुस्लिम समुदाय को इन अधिकारों से वंचित करना एक खतरनाक विधायी भेदभाव और साम्प्रदायिक पूर्वाग्रह की मिसाल है,” – उन्होंने दो टूक कहा।
🔍 विधेयक से वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ेगा
जमात प्रमुख ने चेताया कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के धार्मिक और स्वतंत्र चरित्र को समाप्त कर देगा। इसके जरिए सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा मिलेगा और वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को नुकसान पहुंचेगा।
“यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की रक्षा, अवैध कब्जों, या भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं करता, बल्कि वक्फ प्रशासन को कमजोर करता है।”
📢 परामर्श प्रक्रिया को बताया दिखावा
हुसैनी ने कहा कि सरकार ने लाखों आपत्तियों और मुख्य हितधारकों की राय को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया। परामर्श प्रक्रिया सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई।
“यह तय था कि विधेयक को हर हाल में पास करना है, चाहे जनता क्या कहे।”
📰 मीडिया की भूमिका पर उठाए सवाल
उन्होंने कुछ मीडिया संस्थानों की भी आलोचना की जो, उनके अनुसार, झूठे आख्यानों के जरिए जनता को गुमराह कर रहे हैं और इस विधेयक को तर्कसंगत ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।
🧭 राजनीतिक दलों से समर्थन नहीं, विरोध की अपील
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने सभी धर्मनिरपेक्ष दलों, विपक्षी नेताओं और एनडीए सहयोगियों से इस विधेयक का विरोध करने की अपील की है।
“जो पार्टियाँ धर्मनिरपेक्षता की बात करती हैं लेकिन इस विधेयक का समर्थन कर रही हैं, वे मुस्लिम समुदाय के साथ विश्वासघात कर रही हैं। इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा।”
✊ संघर्ष का ऐलान, शांतिपूर्ण विरोध होगा राष्ट्रव्यापी
जमात ने कहा है कि यदि यह विधेयक अलोकतांत्रिक ढंग से पारित होता है तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के नेतृत्व में देशभर में लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
“हम इस कानून को संवैधानिक, कानूनी, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से चुनौती देंगे। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक मुस्लिम समुदाय के अधिकार बहाल नहीं हो जाते।